तारिक़ आज़मी
डेस्क. लखनऊ में आज पुलिस चौकी के पास भीड़ भाड वाले इलाके में गैंगवार हुई और हमेशा बुलेट प्रूफ गाडियों से चलने वाले अजीत सिंह की हत्या हो गई। वैसे अजीत सिंह की हत्या में पुलिस सॉलिड मुखबिरी को आधार मान रही है और उसका मानना है कि अजीत सिंह के किसी करीबी ने परफेक्ट टाइमिंग के साथ मुखबिरी किया है। इस हत्याकांड में शक की सुई पूर्वांचल के बाहुबली कुंटू सिंह पर घूम रही है। ये वही कुंटू सिंह है जो कभी अजीत सिंह का काफी करीबी और जिगरी दोस्त हुआ करता था।
हालांकि पुलिस बहुत दिनों तक सर्वेश सिंह सीपू को सुरक्षित नही रख पाई थी। तत्कालीन विधायक सर्वेश सिंह सीपू के ह्त्या हो गई। इस हत्याकांड में पुलिस को तीन शूटरो की तलाश थी जिसमे एक वाराणसी के चोलापुर थाना क्षेत्र का मूल निवासी गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ़ गिरधारी लोहार उर्फ़ डाक्टर थे। सीपू के हत्या से मात्र लगभग 15 दिनों पहले ही गिरधारी ज़मानत पर बाहर आया था। पुलिस ने गिरधारी की गिरफ़्तारी के लिए काफी जाल बिछाए थे और हत्याकांड में बड़ा खुलासा करने का मन बनाया हुआ था। मगर गिरधारी पुलिस के हाथ न पड़कर सीधे अदालत में सरेंडर कर गया था। इस हत्या में गिरधारी के साथ कुंटू सिंह का भी नाम आया था। विधायक हत्याकांड में अजीत सिंह प्रमुख गवाह भी थे।
मुहम्मदाबाद गोहना ब्लॉक के ज्येष्ठ प्रमुख रह चुके अजीत सिंह और कुंटू सिंह की दोस्ती में रोड़ा पड़ चूका था और इसमें सबसे अधिक गहरी खाई सियासत ने पैदा किया। कुंटू सिंह की दिली तमन्ना ब्लाक प्रमुख पद पर कब्ज़ा करने की हमेशा रही। मगर अजीत सिंह इस ख्वाहिश में एक बड़ी चट्टान का नाम होने लगा। उसकी तमन्ना धरी की धरी रह गई थी। सियासत में कुंटू सिंह ने अजीत सिंह से हमेशा पटखनी ही खाया। पिछली बार मुहम्मदाबाद गोहना सीट पिछड़ी जाति की महिला के लिए आरक्षित होने के बाद अजीत ने अपनी करीबी महिला को ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ाया था। उधर, माफिया ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह इस पद के लिए अपने दाहिने हाथ बनारस के चोलापुर थाना क्षेत्र के मूल निवासी कुख्यात अपराधी गिरधारी विश्वकर्मा को ब्लॉक प्रमुख बनवाने की तमन्ना पाले रखा था।
कुंटू ने गिरधारी को भदीड़ से बीडीसी का चुनाव भी लड़ाया था लेकिन गिरधारी जो कुंटू सिंह का दाहिना हाथ है को चुनाव न जितवा सका और वही अपने प्रत्याशी को चुनाव जिता कर अजीत ने कुंटू के हाथ से बाजी छीन ली। बताते हैं कि कुंटू सिंह इससे भी अजीत सिंह से बहुत खार खाए थे। मुहम्मदाबाद गोहना ब्लॉक के प्रमुख की सीट महिला के लिए आरक्षित हो जाने के बाद 2005 में अजीत सिंह ने अपने पत्नी रानू सिंह को चुनाव लड़ाया था, जिसमें वह विजयी हुई थीं। इसके पूर्व अजीत सिंह खुद भी मुहम्मदाबाद गोहना ब्लॉक के ज्येष्ठ प्रमुख रह चुके थे। पिछली बार मोहम्मदाबाद गोहना ब्लॉक प्रमुख की सीट पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हो गई तो अजीत सिंह ने अपनी करीबी मनभाती को प्रत्याशी बनाया और जीत हासिल की। लगभग दो दशक से ब्लाक प्रमुख कोई भी रहे मगर प्रमुख जी तो अजीत सिंह ही थे।
इस सबसे अजीत सिंह और कुंटू सिंह की दोस्ती एक जानी दुश्मनी में बदलती गई। ये बात अजीत सिंह को भी भली भांति पता थी और वह खुद की सुरक्षा पर अच्छा ख्याल रखने लगा था। हमेशा बुलेट प्रूफ गाडी से चलना। साथ में खुद के प्राइवेट सुरक्षा हेतु युवको को रखना और खुद की जानकारी किसी को न देना ये उसकी आदत में शुमार हो चूका था। वर्त्तमान में जिलाबदर अपराधी अजीत सिंह के दाहिने हाथ के तौर पर रहने वाले मोहर सिंह को भी इस घटना में गोली लगी है। मोहर सिंह को अजीत सिंह के साए की तरह लोग देखते थे।
इस दुस्साहसिक हत्याकांड के बाद एक बार पूर्वांचल के गैंगवार ने खुद का सर राजधानी में उठाया है। पूर्वांचल के जिलो में पुलिस कप्तान इस समय अपने अपने जिलो में चाकचौबंद व्यवस्था में लगे हुवे है कि कही इस गैंगवार की आंच उनके जिले में भी न पंहुच जाए। वही स्थानीय ग्राम पंचायतो के चुनाव में इस गैंगवार का कोई असर न हो इसके खातिर पूर्वांचल में भी पुलिस खासी चिंतित दिखाई दे रही है।
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