तारिक आज़मी
वाराणसी। एक तरफ जहा आला अधिकारी जनता के दिल में बेवजह पुलिस के खौफ को मिटाते हुवे आम जनता को पुलिस के करीब लाकर अपराध पर अंकुश लगाने की कोशिश करते है। वही उत्तर प्रदेश पुलिस के कुछ पुलिस वाले ऐसे भी है जो किसी मामूली मुद्दे को इतना बढ़ा चढ़ा देते है कि आम नागरिक दहशतजदा हो जाए। मौजूदा मामले में दशाश्वमेघ थाना क्षेत्र के मदनपुरा चौकी इंचार्ज शमशाद पर एक बुज़ुर्ग को बेवजह 4 घंटे थाने पर बैठाने और अभद्रता करने का बड़ा आरोप लगा है।
क्या है मामला
दरअसल मामला ये है कि मदनपुरा क्षेत्र के पाण्डेय हवेली स्थित मकान नम्बर डी0 28/113 के मूल निवासी और मालिक मो ईसा जिनकी उम्र लगभग 80 वर्ष है के चार बेटे है। बड़ा बेटा अब्दुल्लाह नासिर, दूसरा बेटा जमाल नासिर, तीसरा बेटा नसीम अख्तर और चौथा बेटा शमीम अख्तर। 80 साल के बुज़ुर्ग मो ईसा के बेटे जमाल नासिर के पास अच्छा कारोबार और ठीक ठाक माली हैसियत है। वही बकिया तीन बेटे बिनकारी के माध्यम से थोडा तंगदस्त रहते है। मो0 ईसा अब काम नही कर पाते तो ज़ाहिरी तौर पर अपने खर्च के लिए औलादों पर निर्भर हो जायेगे। ईसा मिया ख़ास तौर पर अपने बेटे नसीम अख्तर पर निर्भर है।
बकौल ईसा मिया के जमाल नासिर के कमरों में एसी लगी हुई थी। जिससे घर पर लगे बिजली के बिल में बढ़ोतरी होने लगी। बिल की बकाया अभी लगभग 40 हजार है। बिजली के बिल के लिए उन्होंने सभी बेटो को उनके हिस्से की रकम देकर बिल चुका देने की बात कही। ईसा ने बताया कि जून 2020 में उनका बेटा जमाल नासिर नवाबगंज जाकर रहने लगा और एक कमरे में उसने ताला बंद कर दिया। कई बार बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए पैसे देने को कहा मगर उसने एक पैसे अभी तक नही दिए। जिससे नाराज़ होकर मो0 ईसा ने अपने मकान के उस कमरे पर अपना भी ताला बंद कर दिया जिस पर उनके बेटे जमाल नासिर का ताला बंद है। भवन स्वामी मो ईसा के अनुसार वर्त्तमान में उस कमरे में दो ताले बंद है।
यहाँ एक शब्द ख़ास तौर से ध्यान देने वाला है कि एक पिता ने अपनी संपत्ति में से अपने बेटे के कमरे में ताला बंद कर दिया है। वैसे कानूनन एक पिता को अधिकार भी प्राप्त होता है कि वह चाहे तो अपने बेटे को जायदाद में हिस्सा दे अथवा न दे। इससे नाराज़ होकर बेटे जमाल नासिर ने कथित तौर पर एक शिकायत का पत्र कथित रूप से चौकी इंचार्ज मदनपुरा को दिया जिसमे उसका आरोप है कि उसके भाई नसीम अख्तर ने कमरे पर ताला बंद किया है। ये बात हमसे एक दिन पूर्व हुई टेलीफोन पर बातचीत में खुद चौकी इंचार्ज मदनपुरा शमशाद साहब ने अर्ज़ करते हुवे कहा कि नसीम अख्तर के खिलाफ तहरीर है। अब तहरीर है या नही है हम इसकी पुष्टि नही करते है।
आखिर एक बुज़ुर्ग पिता को क्यों बैठाला 4 घंटे थाने पर
पीड़ित बुज़ुर्ग और उसके बेटे नसीम अख्तर के अनुसार ताज़ा घटनाक्रम में रोज़ ही लगभग चौकी इंचार्ज साहब उसके उसके घर जाकर उसकी तलाश कर रहे है। क्षत्रिय नागरिको की माने तो दरोगा जी इस प्रकार से घर पर दो दिनों से दबिश दे रहे है जैसे नसीम अख्तर के रूप में उनको किसी बहुत बड़े अपराधी की तलाश है। घर में हडकंप सा मचा हुआ है। मोहल्ले में चर्चाओं के अनुसार जमाल नासिर और मदनपुरा चौकी इंचार्ज शमशाद अहमद के बीच अच्छे सम्बन्ध है। इस पुलिसिया कथित दबिश के खौफ से नसीम अख्तर और उसके परिवार के लोग दहशत और एक अनहोनी के खौफ से सहमे हुवे है।
इस परिस्थिति में अपनी व्यथा स्थानीय क्षेत्राधिकारी को सुनाने के लिए मो0 ईसा आज क्षेत्रधिकारी कार्यालय दशाश्वमेघ पहुचे। उनका कहना था कि वह क्षेत्राधिकारी को अपना बयान देना चाहते थे कि साहब ताला मैंने बंद किया है। मैं अभी उस सम्पत्ति का पूरा मालिक हु। मो० ईसा के आरोपों को आधार माने तो उनको क्षेत्रधिकारी के कार्यालय के बाहर से ही एसआई शमशाद द्वारा थाना परिसर में बुलवा लिया गया। पीड़ित बुज़ुर्ग के आरोपों को आधार माने तो फिर इसके बाद दरोगा जी द्वारा उनके साथ अभद्र शब्दों का प्रयोग करते हुवे उन्हें दोपहर एक बजे से लेकर 5 बजे तक थाना दशाश्वमेघ में मदनपुरा चौकी इंचार्ज द्वारा बिठाले रहा गया। इस घटना से नसीम अख्तर का परिवार और भी दहशत में आ गया है। वह अपने मासूम बच्चो के साथ मदनपुरा चौकी इंचार्ज के खौफ से दरबदर लगभग छुपता हुआ फिर रहा है।
बड़ा सवाल
अब बड़ा सवाल उठता है कि क्या दशाश्वमेघ थाना क्षेत्र से सम्बंधित चौकी मदनपुरा के इंचार्ज को ये विशेष अधिकार है कि वह किसी को भी थाने पर घंटो बैठा कर रखे। क्या मदनपुरा चौकी इंचार्ज ज़बरदस्ती एक पिता से उसके पुत्र को पिता की संपत्ति में से हिस्सा दिलवायेगे ? क्या मदनपुरा चौकी इंचार्ज सम्पत्ति के मामले को इस प्रकार से ज़बरदस्ती हल करवायेगे ? अगर 80 साल के बुज़ुर्ग मो ईसा के आरोप सही है तो चौकी इंचार्ज साहब कही ज्यादती तो नही कर रहे है आप ?
क्या कहते है ज़िम्मेदार
इस सम्बन्ध में जब हमने मदनपुरा चौकी इंचार्ज से उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए फोन किया तो रात्रि 9:00 बजे से लेकर 9:07 मिनट तक दो बार पूरी पूरी घंटी जाने के बाद भी उनका फोन नही उठा। वही इस सम्बन्ध में हमने क्षेत्राधिकारी दशाश्वमेघ अवधेश पाण्डेय से बात किया तो उन्होंने कहा कि “मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नही आया है। यदि पीड़ित द्वारा मुझसे मिलकर शिकायत किया जाता है तो घटना की पूरी निष्पक्ष जाँच करवाया जायेगा।”
हम जल्द ही बतायेगे कि किस प्रकार से दशाश्वमेघ पुलिस एक न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण को थाने से हल करने का एक पक्ष पर बना रही है दबाव। जुड़े रहे हमारे साथ।
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