तारिक़ आज़मी
नई दिल्ली. लखनऊ में अजीत सिंह हत्याकांड के बाद एक बार फिर से चर्चा में आया कुख्यात अपराधी गिरधारी लोहार उर्फ़ डाक्टर आज नाटकीय ढंग से दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ गया। गिरधारी लोहार पर वाराणसी तहसील परिसर में हुवे नितेश सिंह बबलू हत्याकांड में एक लाख का इनाम घोषित थे। गिरधारी को मऊ, वाराणसी, लखनऊ पुलिस के अलावा एसटीऍफ़ भी तलाश रही थी। मगर दिल्ली पुलिस को गिरधारी बिना किसी नोकझोक और बिना किसी मुठभेड़ के हाथ लग गया और गिरधारी को दिल्ली पुलिस ने एक 9 एमएम पिस्टल के साथ गिरफ्तार कर लिया।
गिरधारी लोहार ने अजीत सिंह की हत्या इस दुस्साहसिक तरीके से किया था कि अजीत सिंह की बुलेट प्रूफ कार से लेकर गाडी में लोडेड पिस्टल भी अजीत सिंह की जान नही बचा सकी थी। अजीत सिंह पर गिरधारी को शक था कि वह उसकी गिरफ़्तारी के लिए उसकी लोकेशन पुलिस को देता है। वही अजीत सिंह जो कभी ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू का करीबी दोस्त हुआ करता था सियासी पहुच और संपत्ति बटवारे के कारण उसका दुश्मन बन बैठा था। गिरधारी लोहार ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू गैंग का सबसे बड़े शूटरो में से एक माना जाता है।
क्या है ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू का गैंग
ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू 70 से अधिक आपराधिक मामलों का आरोपी है। ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू आजमगढ़ जिले में वर्ष 2005 में रजिस्टर्ड डी-11 गैंग का सरगना है। इस गिरोह का सबसे तगड़ा शॉर्प शूटर गिरधारी लोहार उर्फ़ डाक्टर है। पुलिस के अनुसार कुंटू दाहिना हाथ जेल में बंद अखंड है। वही अखंड का दाहिना हाथ गिरधारी है। पुलिस डोजियर के अनुसार कुंटू के गिरोह में 22 बदमाश हैं। 22 लोग उसे शरण देते हैं और 11 लोग उसके जमानतदार हैं। इसके अलावा कुंटू के सात पारिवारिक सदस्य हैं।
गिरधारी के परिवार में छह लोग हैं। इसके साथ ही पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से लेकर लखनऊ और मुंबई तक उसे 21 लोग शरण देते हैं। उधर, अखंड के पारिवारिक सदस्यों की संख्या 14 है। अखंड के साथी बदमाश नौ हैं। उसे तीन लोग संरक्षण देते हैं और 10 लोग सहयोग करते हैं। इस प्रकार देखा जाए तो ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू का गैंग एक मजबूत अपराधिक गैंग बनकर पूर्वांचल में राज करना चाहता है। पुलिस सूत्रों की माने तो अपराधिक गैंग अजय विजय से भी ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू गैंग का सम्बन्ध मधुर है। वही अजीत सिंह के बाद ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू के साम्राज्य को कोई भी टक्कर देने वाला नहीं है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार कैसे पकड़ा गया गिरधारी
अजीत सिंह की हत्या में शूटर के तौर पर गिरधारी का नाम सामने आने के बाद पिछले कुछ दिनों से दिल्ली पुलिस को उसके दिल्ली में ही छिपे होने की सूचना मिल रही थी। ऐसे में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच सहित कई टीमें गिरधारी का सुराग लेने में जुटी हुई थी। इसी क्रम में बाहरी उत्तरी जिले के स्पेशल स्टाफ की टीम को उसके रोहिणी से सटे शाहबाद डेरी इलाके में छिपे होने की जानकारी मिली तो उसके छिपने के ठिकाने पर छापेमारी कर उसे दबोच लिया। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।
दुस्साहसिक शूटर है गिरधारी
पुलिस सूत्रों की माने तो गिरधारी एक दुस्साहसिक युवक है। इसका दुस्साहस का अंदाज़ इसके अपराध करने के तरीके से साफ़ दिखाई देता है। पुलिस के सूत्रों की माने तो गिरधारी कभी भी घटना करने के बाद भागता नही है बल्कि आराम से चल कर जाता है। इसका सबसे अधिक करीबी अखण्ड को माना जाता है। वाराणसी में नितेश सिंह बबलू हत्याकांड में भी गिरधारी के दुस्साहस ने अपना परिचय दिया था। उस समय की घटना स्थल पर मौजूद लोगो ने इस बात को बताया था कि गोली मारने वाले घटना करके टहलते हुवे गए थे।
वही अजीत सिंह हत्याकांड पर नज़र दौडाये तो मामला कुछ ऐसे ही निकल कर सामने आता है। घटना स्थल पर अजीत सिंह और उसके साथी मोहर सिंह के ऊपर हमले के दौरान जमकर गोलियां गिरधारी ने चलाई थी। खुद अजीत सिंह के गाडी में रखी दो लोडेड पिस्टल पुलिस ने बरामद किया मगर अजीत सिंह को उसे चलाने का मौका ही नहीं मिल पाया था। इस घटना के बाद गिरधारी का नाम इस घटना में पहले ही मिनट में आ गया था। मोहर सिंह में ध्रुव सिह, अखंड सिंह आदि के षड़यंत्र से गिरधारी द्वारा हत्या का नाम लिया गया था। जिसके बाद चर्चा के अनुसार गिरधारी प्रदेश के एक बाहुबली पूर्व सांसद के शरण में होने की बात सामने आई थी।
उत्तर प्रदेश पुलिस का प्रयास – कैसे आये गिरधारी उत्तर प्रदेश
गिरधारी की तलाश उत्तर प्रदेश में वाराणसी और लखनऊ दोनों पुलिस कर रही थी। गिरधारी अचानक आज जब दिल्ली में गिरफ्तार हो गया है तो उसको उत्तर प्रदेश लाने के लिए पुलिस मंथन कर रही है। लखनऊ पुलिस जहा अजीत सिंह हत्याकाण्ड में उससे पूछताछ करना चाहती है वही वाराणसी पुलिस एक लगभग डेढ़ वर्ष से अनसुलझे नितेश सिंह बबलू हत्याकाण्ड में उससे पूछताछ करना चाहती है। वही गिरधारी के आका लोग उसको उत्तर प्रदेश में लाने से रोकने की भी जुगत में लगे होंगे। अब देखना होगा कि वाराणसी पुलिस को कब तक गिरधारी पूछताछ के लिए मिल पाता है और साथ ही साथ जैसे इस हत्याकांड में सफ़ेदपोशो के संरक्षण की बात सामने आई थी क्या पुलिस उन सफेदपोशो का नाम गिरधारी से उगलवा पाती है।
तारिक आज़मी वाराणसी: वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने साफ़ साफ़ हुक्म जारी किया था कि शहर…
फारुख हुसैन डेस्क: असम-मणिपुर सीमा के निकट जिरी नदी में शुक्रवार को एक महिला और…
ए0 जावेद वाराणसी: गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने…
ईदुल अमीन डेस्क: उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने…
माही अंसारी डेस्क: मणिपुर में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। इसे लेकर…
मो0 शरीफ डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के…