तारिक आज़मी
बलिया। हम ज़िन्दगी के मरहले में इस तरह से उलझ जाते है कि अपने बच्चो की परवरिश और उनकी तरबियत में ध्यान ही दे पाते है। इस दरमियान बच्चो की पढ़ाई भी मोबाइल से होने लगी तो हाथो में हमने भी उनको मल्टीमीडिया सेट थमा दिया और खुद को हाईटेक समझने लगे। इस मोबाइल से बच्चे पढ़ाई के अलावा भी क्या कर रहे है इसका हमको जरा भी अंदाजा नही रह रहा है। बस हम खुद को बड़े शान से बताते है कि मेरा बेटा फलनवा बड़का स्कूल में पढ़ रहा है। ये देखे हमने टेबलेट या इतना महंगा मल्टी मीडिया सेट उसको खरीद कर दिया है। जिससे वो बढ़िया पढाई कर सके।
ऐसा ही एक मामला बलिया जनपद में सामने आया जिसको जानकार आप भी अचम्भे में पड़ जायेगे। शायद आप फिक्रमंद भी होंगे। बलिया जनपद के रेवती थाना क्षेत्र में एक महज़ 13 साल के बालक ने ढाई साल की मासूम का बलात्कार कर दिया। उम्र पर ध्यान दीजियेगा। महज़ 13 साल के बच्चे ने किया ऐसा कुकर्म। जानते है पुलिस ने जब जाँच किया तो मालूम चला कि तो पता चला कि वो महज़ 13 साल का बच्चा मोबाइल पर पोर्न वीडियोज देखता था। आप सोचे जमाना मॉडर्न हुआ है या फिर अश्लील हो गया।
दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज होती है। गुजिश्ता जुमेरात यानि बृहस्पतिवार को वह 13 साल का बच्चा पकड़ा जाता है। पुलिस ने उस बच्चे को जुबेनाइल कोर्ट में पेश किया। इसके बाद वह से अदालत ने उसको बाल सुधार गृह भेज दिया। मामले में हमसे बात करते हुवे थाना प्रभारी रेवती यादवेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि मासूम पीडिता अपने ननिहाल आई थी घुमने के लिए। इस दौरान वो खेलते खेलते पड़ोस के घर में चली गई। वहा इस 13 साल के बच्चे ने उसके साथ कथित रूप से दुष्कर्म किया जिसके बाद मासूम बच्ची की नानी ने थाने पर इसकी लिखित शिकायत किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर उस 13 साल के बच्चे को गिरफ्तार कर लिया। गोबरही ढाले के पास से उस 13 साल के बच्चे की गिरफ़्तारी हुई है।
अब आप सोचे उस उम्र में जब पढने और खेलने के अलावा बच्चो को कुछ और नहीं मालूम रहता है वैसी छोटी सी उम्र में उस बच्चे ने बलात्कार जैसी घटना को अंजाम दे दिया। इसको सीरत और तरबियत का मामला नहीं तो और क्या कहेगे। तरबियत की ही तो बात है कि ध्यान ही नही वह बच्चा मोबाइल पर क्या देख रहा है। बस हाईटेक होने की एक अंधी दौड़ में हम दौड़ रहे है। हमको इससे क्या मतलब कि बच्चे मोबाइल का प्रयोग सही कर रहे है अथवा गलत। हम तो सिर्फ अपनी बडबत्ती बघार रहे है।
कभी पलट कर नही देखते कि महंगे मोबाइल से बेटा क्या कर रहा है। मगर बेटियों को लाख तंबिया दे रहे है। ये न करो, ऐसे न करो, ये न पहनो, फटी जींस नही। यार इसका एक फीसद बेटे के ऊपर भी तो लागू करो। क्या सभी हिदायते बेटियों को देंगे। कभी बेटे को भी तो दे। कभी उठाये उसका मोबाइल और उसकी हिस्ट्री चेक करे। कभी संस्कार की बात भी कर ले। कभी तरबियत पर भी तस्किरा कर डाले। मगर नही साहब, फटी जींस पर तस्किरा होगा मगर सीरत पर नही हो सकता है।
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