Crime

मेहनत ला रही रंग – कोडिन सिरप के काले कारोबारियों पर वाराणसी कोतवाली पुलिस का एक और तगड़ा प्रहार, करोडो का कोडिन सिरप हुआ बरामद

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। नशे के काले कारोबार में सबसे बड़ा अगर सिंडिकेट है तो वह है कोडिन सिरप का। प्रतिबंधित कोडिन सिरप को नशे के तौर पर इस्तेमाल करने वालो और इसकी मांग को देखते हुवे इस काले कारोबार को करने वाले रातो रात करोडपति बनने की चाहत लेकर इस काले कारोबार के ज़रिये अपना सोने का महल खड़ा कर रहे है। वही हमारे मुल्क के नवजवान इस नशे में अपना सर्वत्र बर्बाद कर रहे है। प्रतिबंधित कोडिन सिरप और इसके हो रहे नशे के तौर पर उपयोग तथा इसके कारोबार के सम्बन्ध में हम एक वर्ष से समाचारों के माध्यम से समाज को जागरूक करने का प्रयास कर रहे है।

इस कड़ी में वाराणसी पुलिस प्रशासन ने इसके पहले एक बड़ी कार्यवाही करते हुवे फरवरी 2021 में छापेमारी कर करोडो के इस प्रतिबन्धित सिरप के साथ पांच लोगो को गिरफ्तार किया था। वाराणसी पुलिस प्रशासन द्वारा ये इतिहास में कोडिन के तस्करों पर की गई सबसे बड़ी कार्यवाही थी। इस कार्यवाही ने इन नशा तस्करों के दिल में खौफ पैदा कर दिया था। खौफ के कारण कोडिन के तस्करों ने खुद का कारोबार कुछ समय के लिए बंद कर दिया था।

मगर समय बीतने के बाद एक बार फिर इन तस्करों की फ़ौज ने अपना पर निकालना शुरू कर दिया। मगर शायद उनको पता नही था कि इस बार कोतवाली पुलिस भी अपने सुचना तन्त्र को मजबूत किये हुवे है। मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी कोतवाली पुलिस ने आज ड्रग विभाग के साथ मिलकर छापेमारी किया और इस छापेमारी में लाखो शीशी तस्करी हेतु रखा हुआ कोडिन सिरप बरामद किया है। इस बरामदगी के सम्बन्ध में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माल एक बड़े कारोबारी का है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज हुई छापेमारी में एक लाख शीशी से अधिक नशे का सिरप कोडिन बरामद हुआ है जिसका बाज़ार मूल्य डेढ़ करोड़ के करीब बताया जा रहा है। समाचार लिखे जाने तक इस सम्बन्ध में गिरफ़्तारी और पुरे माल की संख्या उपलब्ध नही हो पाई थी।

वही सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार नशे के काले कारोबार के मालिको में इस समय हडकंप की स्थिति मची हुई है। अन्य स्थानों पर छुपा कर रखे हुवे कोडिन सिरप को हटाने का काम देर रात जारी हो चूका है। सूत्रों की माने तो नशे के काले कारोबारियों द्वारा अपना काला कारोबार जो उन्हें डूबता हुआ दिखाई दे रहा है को सँभालने के लिए जुगाड़ का भी इंतज़ाम इन तस्करों के द्वारा किया जा रहा है कि स्टॉक के मालिक किसी तरह बच जाए। इस हेतु राजनैतिक पहुच को भी भुनाने का काम जारी है। छापेमारी में इस्पेक्टर कोतवाली सहित सप्तसागर चौकी इंचार्ज प्रभाकर सिंह कबीरचौरा चौकी इंचार्ज प्रीतम तिवारी आदि उपस्थित थे।

नशे का बड़ा काला कारोबार है कोडिन

हमने इस सम्बन्ध में कई खबरे पहले भी प्रमुखता के साथ प्रकाशित करके अपने पाठको को इस नशे के कारोबार के सम्बन्ध में बताया था। कोडिन वैसे तो काफ सिरप है जिसको खासी होने पर इस्तेमाल की सलाह चिकित्सक देते है। मगर बड़े ही रियर केसेस में इस सिरप की सलाह दिया जात है। मगर युवाओं द्वारा इस सिरप का प्रयोग नशे के तौर पर किया जाता है। विशेषतः उन राज्यों और देशो में इस सिरप की मांग अधिक है जहा शराब प्रतिबंधित है। जिसमे बांग्लादेश जैसे देशो में इसकी खपत अधिक है और अच्छी कीमत भी मिलती है।

इस सम्बन्ध में एसटीएफ की वाराणसी के डिप्टी एसपी विनोद कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि सूचना मिली थी कि अंतरप्रांतीय गिरोहों द्वारा प्रदेश के विभिन्न जनपदों से मादक पदार्थों और दवाओं की अवैध तरीके से तस्करी कर पूर्वोत्तर राज्यों में भेजी जा रही है। तस्करी कर भेजी जा रही दवाओं का उपयोग नशा करने के लिए किया जाता है। इस बीच पता चला कि एक गिरोह द्वारा रोहनिया थाना अंतर्गत भुल्लनपुर में गोदाम बनाकर सीरप को अवैध रूप से लाकर रखा जाता है और उसके बाद उसे पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य जगहों को भेजा जाता है। सूचना की तस्दीक कर भुल्लनपुर स्थित प्रदीप जायसवाल के मकान में छापा मारा तो सामने आया कि सीरप के पैकेट को ट्रक में तस्करों द्वारा लोड किया जा रहा है।

क्या है आखिर कोडिन, जो बना देता है खुद का आदी

कोडिन सीरप के रूप में खासी के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें कोडिन एक प्रकार का फार्मूला है जो दर्दनाशक के तौर पर भी काम करता है। इसके उपयोग से इंसान को नींद भी आती है। मगर इस कोडिन का अधिक इस्तेमाल शरीर के लिए हानिकारक है और नशे के तौर पर ये काम करने लगता है। चिकित्सक डॉ आरिफ अंसारी ने हमसे बातचीत में बतया था कि कोडिन के एडिक्ट की किडनी सम्बन्धी समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके अधिक मात्रा में प्रयोग से तगड़ा नशा होता है जिसके असर 24 से 48 घंटो तक एक आम इंसान को रहता है। वही इसके नशेड़ियो को यह 12 घंटे से अधिक समय तक नशा करता है।

भारत में बिहार, पश्चिम बंगाल एवं पूर्वोत्तर राज्यों में नशा करने वाले लोग इसका प्रयोग नशीले पदार्थ के रूप में करते हैं और यह सीरप वहां महंगे दाम में बिकता है। यही नही वाराणसी में भी इस सिरप के एडिक्ट काफी तेज़ी से बढ़ रहे है। इनको अक्सर आमबोल चाल की भाषा में लोग कोरेक्स्बाज़ का नाम देते है। ये युवक इस सिरप को पीकर इसका नशा दूना करने के लिए चाय को अधिक शक्कर मिला कर पीते है। एक कप चाय में कम से कम 3 चम्मच शक्कर का प्रयोग करने के बाद इसका नशा दूना हो जाता है।

काले कारोबारियों को होता है मोटा मुनाफा

कोडिन के काले कारोबार करने वालो को इसका मोटा मुनाफा मिलता है। अमूमन छोटे दुकानदारो को इसकी खरीद 45 रुपयों तक की पड़ती है। जिसकी बिक्री 75-90 रुपयों में होती है। रिटेल दुकानदारो को एक शीशी कोडिन बेचने पर 30 से 50 रुपयों तक का मुनाफा हो जाता है। घटिया क्वालिटी का कोडिन सिरप महज़ 30 रुपयों का भी दुकानदारो को मिल जाता है। शीशी के कैप पर MB लिखा हुआ कोडिन सिरप महज़ 35 रुपयों का दुकानदारो को मिलता है मगर इसकी बिक्री 90 की होती है। सबसे अधिक शहर में इसी कोडिन सिरप की बिक्री होती है।

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