तारिक आज़मी
वैश्विक महामारी जिसने दुनिया को झुकाने का ही नही बल्कि पूरी तरह रोक देने का काम किया है। वही कोरोना एक बार फिर अमन-ओ-आमान के शहर बनारस में अपना विकराल रूप धारण करता जा रहा है। वही बाज़ार में बेवजह की भीड़ ने इस कोरोना के संक्रमण को और भी बढाने का काम किया है। कोरोना संक्रमण के बाद से मिली राहत अब एक बार फिर से विकराल रूप लेती जा रही है। संक्रमितो की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।
मगर आपको इससे क्या फर्क पड़ता है। कोरोना के लिए भ्रांतियां पाले। सोशल मीडिया पर जोक्स का आदान प्रदान कर कोरोना को मजाक में लेते रहे। क्या मतलब है आपको कि कल एक दिन में 223 नए संक्रमित मिले। आज फिर सुबह सुबह 162 संक्रमित मिले। आप इसको मज़ाक में लेते रहे। मास्क आपको बोझ आज समझ में आ रहा है। नाक मुह ढकने से आपके नुरानी चेहरे को लोग देखेगे कैसे। भले कोरोना का संक्रमण आपको संक्रमित कर डाले मगर सोशल डिस्टेंस को मेंटेन करना कहा आपके लिए ज़रूरी है।
आपको तो इंतेज़ार है कि जिला प्रशासन सख्ती दिखायेगा तो शायद आपको चालान कटने का डर सताएगा और आप मास्क पहनेगे। वह भी तब आपके नाक और मुह को मास्क ढ्केगा जब आपको दूर से पुलिस दिखाई दे जायेगी। कही चालान न कट जाये इसी खौफ से आपके चेहरे पर मास्क आएगा। आपको पुलिस से और चालान से डर लगेगा मगर कोरोना से आपको खौफ नही आएगा। कमाल का लाजिक है। बातचीत में आपके मुह से अक्सर निकल जायेगा “कुच्छो न हौ बे”। ये कहकर आप जोर से ठहाका मार कर हसेंगे। मगर आप ये क्यों भूल जाते है कि ये महज़ एक बिमारी है। इस बिमारी से बचाव अभी तक सिर्फ और सिर्फ सुरक्षा मानको का प्रयोग ही है। इसके अलावा कुछ भी नही है।
सोचे अमेरिका जैसा देश इस महामारी से घुटनों के बल आ गया। इटली जो स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दुनिया में दुसरे नम्बर पर है आज खत्म होने के कगार पर पहुच गया। वह के प्रधानमंत्री मौतों को देख कर फुट फुट कर रो पड़े। कभी आप उनसे संपर्क करे जो कोरोना पॉजिटिव कभी हुवे है। उनसे समझे कितनी तकलीफ होती है। कभी उनके परिजनों से मिले जिन्होंने इस महामारी में अपने करीबी को खोया है। उनके दर्द को समझे कि आखरी सफ़र में भी वह मरने वाले का मुह तक नही देख सके। कभी इस महामारी की भयावहता को समझे और उससे बचे। “नईने” अथवा “नाही हौ” जैसे लफ्ज़ आपके दिल को भले तसल्ली दे दे। मगर मामला इसके आगे भी कुछ है। सुरक्षित रहे। सोशल डिस्टेंस का पालन करे। मास्क का प्रयोग करे। हाथो को अच्छे से साफ़ करते रहे। अब तो गर्मी आ गई है बार बार धोने में क्या हर्ज है। आप खुद का नही बल्कि बच्चो के ख्याल से सुरक्षित रहे। बिना ज़रूरत भीड़ लगाने का क्या फायदा। घरो में ही रहे। परिवार के साथ वक्त गुज़ारे। आप अपनी दुकानदारी से सुबह 9 से रात 9 तक संतुष्ट नही है तो आप दो और घंटे दूकान खोल कर ताजमहल नही बनवा सकते है। सुरक्षित रहे। स्वस्थ रहे। बनारसी भाषा में चाप के खावा गुरु, मस्त रहा।
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