तारिक़ आज़मी
आज सुबह सुबह जल्दी उठ गया। सोचा कुछ ताज़ी हवा ले लेते है। अब ताज़ी हवा तो शहरो में नसीब नही है तो कह सकते है कि थोडा मौज मस्ती करने निकल पड़ा। दिमाग में कोरोना का खौफ बैठा था तो मास्क भी चेहरे पर था और जेब में सेनेटाइज़र रख कर निकल पड़ा। मेरे एक पड़ोस के बचपन के दोस्त को भी शायद नींद रात भर नही आई होगी तो सड़क पर टहलते दिखाई दे गए। उनको भी साथ ले लिया और पैदल ही निकल पड़ा।
हमारी शक्ल देखते के साथ ही उसने जोक दे मारा, “का गुरु डर लगत ब न कोरोना से, तनी ई बतावा कि कोरोना से डरत हऊवा कि किरऊना से।” हमारे दोस्त ने भी तपाक से जवाब दिया कि अरे यार कोरोना के किरऊना से डर लगता है। तुम काहे मास्क पहिने हो बे।” हाज़िर जवाब बब्बू ने तुरंत कहा कि “अरे गुरु मालूम नाही के कोरोना लेकर चल आवे और प्रसाद देकर चल जावे, ईहे बदे हम गिलास कुल हटा देहले हई और पूरउवा में सबके चाय देत हई।”
उसकी बात में दम था। दम दमदम वाला दम था मगर आज भी समाज में कई ऐसे लोग है जो हुज्जत-ए-बंगाल होते है। तभी एक शख्स जो देखने में तो पढ़े लिखे लग रहे थे उन्होंने तपाक से कह डाला। “अरे गुरु कुछो न है। देखा खुदे कुल रैली भाषण होत ब उहा कोरोना न ब का।” भाई साहब थोडा अजनबी थे तो उन्होंने भाषण जारी रख दिया। उन्होंने कहा कि “खाली जनता के परेसान करे बदे कुल रायता ब, देखा लोगन घुमत बाएन, का लगत ब कोरोना ब, नाही यार कोरोना न ब खाली भौकाल मचल ब। देखत रहा का का होला कुल देस में। का करी मास्क।” उन्होंने व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी के ज्ञान को परोसते हुवे कहा कि देखा एक दिन देखली समाचार में कि इटली एक गो कोरोना मरीज का पोस्टमार्टम कइले रहल, उमना कुछु न निकलल।”
आखिर हमारे और बब्बू दोनों के बर्दश्त की हद खत्म हो चुकी थी। हमने कहा गुरु कहा ई वाली खबर देखे रहे। तो वो कह उठे टीवी पर देखा रहा। कामेडी के लिए मशहूर बब्बू ने कहा कि गुरु का सोलोर टीवी पर देखे रहे का, काहे कि हमरे ईहा सैमसंग टीवी ब उमना ई समाचार न आवत ब, बतावा त हमहू ओके बेच के सोलोरा टीवी ले लेब।” हमको जोर की हंसी छुट पड़ी थी। हमने बड़े ही नम्र भाव से उन अज्ञात सज्जन से पूछ लिया क्या गुरु ई इटली वाला ज्ञान कहा से मिला। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से मिला है क्या ? क्योकि अगर ऐसा होता तो इंटरनॅशनल खबर बनती और हम लोगो को ये खबर नही पता है आपको पता चल गई।
हमने उनको जवाब दिया, भाई साहब इटली दुनिया में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दुसरे पायदान का देश है, घुटनों के बल बैठ चूका है। अमेरिका, ब्राज़ील, ब्रिटेन जैसे देश इस महामारी से त्राहि त्राहि कर रहे है। आप इस महामारी को ही सिरे से झुठला रहे है। आखिर में हमने भी व्हाट्सएप के एक पोस्ट जो हमें एक इस्पेक्टर ने भेजी थी चेप डाली और कहा कि गुरु सुनो “शास्त्रों के अनुसार निम्न महापुरुषों को अमरता का वरदान जिन लोगो को प्राप्त है उनका नाम है राजा बाली, अश्वत्थामा, ऋषि वेदव्यास, महाबली हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और परशुराम। यदि आपका नाम इस सूचि में नहीं है, तो कृपया मास्क पहने, सामाजिक दूरी बनाए रखे, सेनिटाइजर का उपयोग करें, हाथ धोते रहे।“
वैसे ये घटना आपको देखी सुनी सी लग रही होगी। क्योकि आप रोज़ ऐसे महान ज्ञाताओ से दो चार होते होंगे। आखिर समाज है भाई। कौन कहता है कि काबुल में घोड़े ही होते है। समाज में हर प्रकार के ज्ञाता मिल जायेगे, मगर आप खुद की समझदारी दिखाए। आप सोचे आपका परिवार है। बाल बच्चे है। भाई बहन है। आप कोरोना से डरे, सोशल डिस्टेंस का पालन करे। सेनिटाइजर का उपयोग करें, हाथ धोते रहे। सबसे बड़ी बात, बिना काम के बाहर न निकले। जब निकलना हो तो मास्क का उपयोग अवश्य करे। सुरक्षित रहे।
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