तारिक़ आज़मी
वाराणसी। वाराणसी के एक अगनी संस्था सुबह-ए-बनारस अक्सर समसमयिक मुद्दों पर अपनी बेबाक प्रतिक्रिया और कार्यो के लिए मशहूर है। वैसे तो इस संस्था के द्वारा अक्सर ही कुछ न कुछ लीक से हटकर आम जनमानस के जागरूकता के लिए प्रयास किया जाता है जो सराहनीय है। मगर इस बार अपने सराहनीय प्रयास से ही वह खुद कटाक्ष का मुद्दा बन गए है। हुआ कुछ इस तरह की सुबह-ए-बनारस के सदस्यों के द्वारा आज शहर बनारस में बिना मास्क के दिखाई देने वाले कुछ लोगो की कटाक्ष के रूप से सांकेतिक आरती उतारी और इस कार्यक्रम से सम्बन्धित अपना प्रेस नोट फोटो सहित सोशल मीडिया पर वायरल किया जो अब खुद कटाक्ष का एक हिस्सा बन बैठा है।
अब आते है मोरबतियाँ पर
सुनील जायसवाल और उनके साथी विजय कपूर ने अपनी संस्था के सदस्यों के साथ जो प्रयास किया वह वाकई काबिल-ए-तारीफ हो सकता था। मगर शायद नसीहत के पहले खुद को भी उस पैमाने पर खड़ा करना होता है। सुनील साहब और कपूर साहब आप लोगो को सोशल डिस्टेंस का पालन करने की नसीहत आज दिए जो बेहद ज़रूरी है। खौफ पैदा होता है ये भीड़ देख कर। मगर ये सोशल डिस्टेंस सिर्फ आम नागरिको के लिए नहीं आपके संस्था के ऊपर भी लागू होता है। आपके द्वारा प्रचारित और प्रसारित फोटो आपको भेज रहा हु। सोशल डिस्टेंस शुन्य है भाई साहब।
सुनील जी, कपूर साहब वैसे बुरा न माने, आपने लोगो को मास्क न पहनने पर उनकी कटाक्ष सहित आरती उतारी। तनिक इस फोटो को गौर से देखे और खुद के संस्था के सदस्यों की भी आरती थोडा उतार ले। लोगो को कोरोना का खतरा मुह, नाक से होने का सबसे अधिक डर रहता है। मगर आपके द्वारा पहने हुवे मास्क का भी कोई मतलब नही बनता है क्योकि इस मास्क से नुरानी चेहरा-ए-मुबारक फोटो में दिखाने के लिए मुह नाक तो बंद नही है बल्कि एक सज्जन की ठोढ़ी ढकी ज़रुर है। नाक तो आपकी भी मास्क से खुली है साहब और आपके कुछ साथियों को छोड़ कर सबकी खुली है।
भाई साहब, मास्क के साथ भी फोटो खुबसूरत आते है। प्रयास करके देखिये। वैसे सोशल डिस्टेंस को मेंटेन करने के लिए आपका किया गया जागरूकता हेतु प्रयास वाकई उत्तम है। मगर साहब तनिक इस सोशल डिस्टेंस का पालन संस्था के स्वयं के लोगो से करवा लिया होता तो और भी सोने पर सुहागा हो गया होता। साहब, दो गज की दुरी, मास्क है ज़रूरी। मगर मास्क मुह और नाक को ढके तभी उसकी ज़रूरत होती है पूरी। न कि ठोढ़ी ढककर मास्क की फार्मेलिटी पूरी करवाने से मास्क की ज़रूरत पूरी नही हो जाती है। नसीहत देना अच्छी बात है। मगर अमल भी उस पर कर लेना थोडा और भी बढ़िया बात होगी। हम अपने सुधि पाठको से आग्रह पूर्वक अपील करते है कि कोरोना की भयावहता को समझे। मास्क लगाये। हाथो को अच्छे तरीके से बार बार धोये और मास्क से मुह और नाक ढके न कि ठोढ़ी को ढक कर काम चलाये। ध्यान रखे मास्क मज़बूरी नही बल्कि आपके और आपके अपनों की सुरक्षा हेतु ज़रूरी है।
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