शर्मसार इन्सानियत – घर में नहीं बचा कोई मर्द, दो सगे भाइयो की मौत के बाद बेटिया लगाती रही फोन पर गुहार, नहीं आया कोई शव उठाने
संजय ठाकुर
आजमगढ़। इसको इन्सानियत को शर्मसार करने वाली घटना नही कहेगे तो और क्या कहेगे। आजमगढ़ में एक परिवार में सिर्फ दो सगे भाई ही बतौर मर्द थे। एक ही दिन दोनों सिर्फ घंटे दो घंटे के अंतराल पर इस दुनिया को छोड़ कर चले गये। घर में सिर्फ एक महिला सहित दो बेटियाँ ही बची। पूरी रात फोन पर लोगो से शव उठाने को कहती रही। मगर कोई मदद को नही आया। आखिर सुबह होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम एम्बुलेंस लेकर आई और राजघाट लेकर गई, जहा दोनों भाइयो का अंतिम संस्कार किया गया।
घटना आजमगढ़ के खत्री टोला मुहल्ला की है जहा के निवासी दो सगे भाइयों की बृहस्पतिवार की रात इलाज के अभाव में मौत हो गई। उन्हें न तो निजी अस्पताल में बेड मिला और न ही मेडिकल कालेज में। दौड़ भाग करने के बाद परिजन उन्हें लेकर घर लौट आए और दोनों ने घर पर ही दम तोड़ दिया। दोनों भाई कोरोना से पीड़त थे या नही इसकी कोई पुष्टि नही है क्योकि दोनों की कोरोना जाँच नहीं हुई थी। मगर लक्षण के आधार पर कोरोना पीड़ित लोगो ने मान लिया था। परिवार में कोई पुरुष सदस्य कोई नहीं था। एक महिला व दो बेटियां फोन कर गुहार लगाती रहीं लेकिन शव उठाने भी कोई नहीं आया।
शुक्रवार की सुबह 10 बजे स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस ने राजघाट ले जाकर अंतिम संस्कार कराया। बताया जाता है कि बड़े भाई की एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है। छोटे भाई की भी दो बेटियां हैं। बृहस्पतिवार हालत बिगड़ने लगी तो दोनों बेटियां उन्हें लेकर लाइफ लाइन हास्पिटल पहुंचीं। जहा से उन्हें मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। मेडिकल कालेज पहुंचने पर वहां डॉक्टर ने बेड न होने की बात कहते हुए वापस कर दिया। इसके बाद दोनों पिता व ताऊ को लेकर घर आ गईं। सीएमओ आदि कई अधिकारियों को फोन कर बेटियों ने इलाज की व्यवस्था करने की गुहार लगाई लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई।
रात में पहले बड़े भाई ने दम तोड़ दिया। इसकी जानकारी छोटे भाई को हुई तो डेढ़ दो घंटे बाद उनकी भी मौत हो गई। दोनों बेटियां व उनकी मां दरवाजे पर खड़े होकर मदद की गुहार लगाती रहीं लेकिन कोरोना के डर से कोई भी उनके घर नहीं पहुंचा। शवों को घाट तक पहुंचाने के लिए भी कोई तैयार नहीं था। बार-बार फोन करने पर स्वास्थ्य विभाग ने कुछ पीपीई किट व एंबुलेंस की व्यवस्था कराई। इसके बाद वाराणसी से आए मृतक के साले के पुत्र व साथ काम करने वाले दो लोगों ने मिल कर दोनों मृतकों के बॉडी को थ्री लेयर पॉलिथीन में पैक किया और फिर एंबुलेंस में लादकर शवों को राजघाट ले गए। वहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।