आफताब फारुकी
कानपुर। एक तरफ कोरोना संक्रमण पुरे मुल्क में दहशत फैला रहा है। वही अपने प्रदेश में भी कोरोना संक्रमण के मामले अपने शबाब पर है। उँगलियाँ उठाने वाले लोग भले ही संक्रमण में किसी अपने को नही खोये है और बेवजह की उंगलियाँ सिर्फ उठा रहे है। मगर ज़मीनी हकीकत ये है कि सफ़ेदपोश कुछ ऐसे है जो इस आपदा में भी अपनी सियासत का अवसर तलाश रहे है।
कानपुर में गली मुहल्लों में दुकाने खुल गई है। सकरी पेचीदा दलीलों जैसी गलियों को भीड़ गुलज़ार किये रहती है। उनको खौफ नही है कि अगर उन्हें संक्रमण हुआ तो खतरे में उनकी खुद की ज़िन्दगी हो जाएगी। बस उनके दिमाग में एक बात है कि “अल्लाह को जो मंजूर होगा वही होगा अथवा भगवान् जो चाहेगा वही होता है।” अब उनको कैसे कोई समझाये कि अल्लाह या भगवान आपको दिमाग भी दिया है जिसका इस्तेमाल करना पड़ता है। वरना अल्लाह या भगवान खुद चलकर नही आएगा आपको बचाने के लिए। आस्था और अकीदत की बात करने वाले इन लोगो को कोई कैसे समझाए कि अगर ऐसा है तो फिर हिमालय की सबसे ऊँची छोटी से अथवा बुर्ज़ खलीफा के छत से कुद्दी पार दो। अल्लाह को अथवा भगवान् को जो मंज़ूर होगा वही होगा और बच जाओगे। यकीनन कहता हु कि बचोगे तो नही।
बहरहाल, हमारा मकसद कही से आपको ज्ञान देने का नही है। बल्कि एक घटना से अवगत करवाने से पहले तनिक बातचीत कर भूमिका बनाने का है। कानपुर पुलिस को लगातार मीडिया के माध्यम से सूचनाएं प्राप्त होती रही है कि लॉक डाउन में लोग चोरी छिपे दुकानें लगाकर नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। वो शायद ऐसे लोग है जो लॉक डाउन ख़त्म होने के बाद इसी कमाई से एक और ताजमहल बनवायेगे।
खैर, आज लॉक डाउन का पालन कराने के लिए प्रभारी निरीक्षक बेकनगंज नवाब अहमद पूरे फोर्स के साथ निकले थे। इस दरमियान उन्होंने देखा कि एक सकरी गली में कुछ लोग लॉक डाउन का उलंघन कर रहे है। जिस पर प्रभारी निरीक्षक ने लोगो से अपील किया कि आप लोग नियमो का पालन करें। ये अपील कुछ सफेदपोश लोगो को बड़ी नागवार गुजरी। उन्होंने खुद तो सामने आने की हिम्मत न जुटाया उलटे कुछ महिलाओं को गुमराह कर उनको पुलिस से भिड़वा दिया। महिलाओ ने पहले तो पुलिस से बहस शुरू किया उसके बाद फिर उन्होंने पुलिस से हाथापाई शुरू कर दिया।
कुछ देर बर्दाश्त करने के बाद खुद को महिलाओं से घिरे देख कर इस्पेक्टर ने एक हाथापाई कर रही महिला से सख्ती दिखाई और अलग करने की कोशिश किया जिससे उसको धक्का लग गया और वह गिर पड़ी। जिसके बाद आसपास की छतो से कुछ लोगो ने धार्मिक नारे भी लगाने शुरू कर दिए। इस दरमियान ज़मीन पर गिरी महिला ऐसे पड़ी थी कि वह “निकल” ली हो। पुलिस भी थोडा घबरा गई और तत्काल इस सकरी गली से सड़क पर आना खुद की सुरक्षा के लिए बेहतर समझा। पुलिस जब जाने लगी तो गली की ज़मीन पर गिरी महिला जो अभी तक बेहोश अथवा “निकल” ली समझ में आ रही थी वह अचानक पुरे चेतना में आ गई और नोच भाकोट करने लगी।
महिलाओं के तरफ से खुद को सफेदपोश कहने वाले लोग वीडियो काटछाट कर सोशल मीडिया अपर वायरल कर रहे है। इस पुरे घटना का वीडियो किसी के छत से बनाया गया। हमको वह वीडियो उपलब्ध हो गया है जिसको आप देख सकते है। आखिर किस मक्कारी के हद तक इंसान अपने मुफाद के लिए चला जाता है आप खुद समझ सकते है। शायद इसको ही कहते है “सियासत में ज़रूरी है रवादारी समझता है, वो रोज़ा तो नही रखता मगर इफ्तारी समझता है।”
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