तारिक़ खान
लखनऊ : हाल में पांच राज्य/यूटी में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी का परफार्मेंस उसके लिए ही चिंता का विषय है। असम में सत्ता में वापसी करने में सफल भाजपा पुदुच्चेरी में स्थानीय सहयोगी के साथ जीत हासिल कर पाई है। लेकिन तमिलनाडु में एआईएडीएमके साथ बीजेपी के गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा। बंगाल में भी ममता बनर्जी की टीएमसी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। केरल के विधानसभा चुनाव में तो बीजेपी का खाता भी नही खुल सका है और किसी भी सीट पर जीत हासिल करने में वह नाकाम रही।
बहरहाल, केवल बनारस ही नही बल्कि प्रदेश के अन्य जनपदों में भी भाजपा का प्रदर्शन बहुत बढ़िया नही रहा है। अयोध्या में भले स्थानीय नेता “सब कुछ चंगा है” कहते रहे मगर एक बड़ा झटका अयोध्या से भी मिला है जहा भाजपा को महज़ 6 सीट ही मिल पाई है। बताते कि अयोध्या में कुल 40 सीट है। जहा भाजपा को केवल 6 सीट पर ही संतोष करना पड़ा है। बकिया सभी सीट विपक्ष के पाले में गई है। पूर्व सीएम अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी (एसपी) ने 24 सीटें हासिल की हैं जबकि मायावती की बीएसपी के खाते में 5 सीटें आई हैं।
वही दूसरी तरफ भगवान कृष्ण की नगरी मानी जाने वाली मथुरा में भी बीजेपी को अपेक्षित नतीजे नहीं मिले हैं। यहां की 33 सीट में से पार्टी को महज़ 8 सीटें मिली हैं। यहां नंबर एक पार्टी के रूप में बीएसपी रही है जिसे 13 सीट मिली हैं। अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी के खाते में एक-एक सीट आई है। मगर यहाँ भी स्थानीय नेता ये कहते दिखाई दे जा रहे है कि हम निर्दल के बल पर जिला पंचायत अध्यक्ष पद हासिल कर लेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में भी स्थिति कुछ बढ़िया नही रही है। गोरखपुर की 68 सीटों में बीजेपी और समाजवादी पार्टी, दोनों ने 20-20 सीटें हासिल की है। निर्दलीयों ने 23 सीटों पर कब्जा किया। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और निषाद पार्टी को एक-एक और बीपी को दो सीट मिली हैं।
गौरतलब हो कि तीर्थस्थल वाले शहर, अयोध्या, मथुरा, प्रयागराज और वाराणसी के पंचायत चुनाव को अगले वर्ष होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिहाज से अहम माना जा रहा है। इन परिणामों ने बीजेपी के लिए निश्चित रूप से कुछ चिंता बढ़ाने का काम किया है। वाराणसी, अयोध्या और मथुरा में पंचायत चुनाव में बीजेपी को करारा झटका लगा है। इसे राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए चेतावनी माना जा रहा है। इस परिणाम को इस तौर पर देखा जा रहा है कि पार्टी को ग्रासरूट लेवल पर अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। अयोध्या और मथुरा के अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ के गृहनगर में भी बीजेपी को समाजवादी पार्टी से कड़ा मुकाबला मिला है।
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