वाराणसी। मुन्ना बजरंगी गैंग के ख़ास शूटर और मुन्ना बजरंगी का सबसे विश्वासपात्र माना जाने वाला अपराध जगत में एक नाम जो पुलिस के लिए पिछले लगभग दो दशक से अबूझ पहेली बना हुआ है वह आज एक बार फिर वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के लिए परेशानी का सबब बन गया है। कुख्यात इनामिया अपराधी विश्वास नेपाली के नाम से वाराणसी के एक ट्रांसपोर्टर से 50 लाख की रंगदारी मांगने का सनसनीखेज़ मामला सामने आने के बाद वाराणसी पुलिस में हडकंप मच गया है। पहले ट्रांसपोर्टर के कार्यालय में दो बदमाशों ने रंगदारी के लिए असलहा दिखाकर धमकाया फिर फोन पर तीन से चार बार विश्वास नेपाली के नाम से रंगदारी के लिए धमकी दी गई है।
इस धमकी से डरे और सहमे ट्रांसपोर्टर ने पुलिस उच्चधिकारियों से गुहार लगाई तो चेतगंज थाने की पुलिस ने मुक़दमा दर्ज करते हुए फोन कॉल को ट्रेस करना शुरू कर दिया है। ट्रांसपोर्टर के धूपचंडी स्थित कार्यालय पहुंचकर चेतगंज पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने सीसीटीवी फुटेज खंगालने सहित अन्य तफ्तीश में जुट गई है। फिलहाल पुलिस ने ट्रांसपोर्टर को सुरक्षा मुहैया करा दी है।
घटना के सम्बन्ध में मिली जानकारी के अनुसार शिवपुर थाना अंतर्गत तरना के रहने वाले एक शख्स की लंबे समय से ट्रांसपोर्ट का कारोबार चल रहा है। कारोबारी का चेतगंज थाना क्षेत्र के धूपचंडी इलाके में ट्रांसपोर्ट कार्यालय है। ट्रांसपोर्टर के अनुसार बुधवार शाम कार्यालय में हेलमेट लगाए दो बदमाश घुसे और असलहा सामने रखते हुए 50 लाख की रंगदारी की मांग किया। यही नहीं, बदमाशों के जाने के बाद फोन आया और उधर से अपने को विश्वास नेपाली बताने वाले कालर ने धमकी भरे लहजे में कहा कि 50 लाख रुपये दे दो, अन्यथा व्यापार करने लायक नहीं रहोगे।
विश्वास नेपाली वाराणसी ही नही बल्कि पूर्वांचल के जरायम की दुनिया में एक बड़ा नाम है। मुन्ना बजरंगी का राईट हैण्ड माना जाने वाला विश्वास वाराणसी पुलिस का इनामिया अपराधी है और पिछले लगभग डेढ़ दशक से वाराणसी पुलिस के लिए एक अबूझ पहेली बना हुआ है। विश्वास नेपाली का नाम खूंखार अपराधियों की फेहरिश्त में आता है। स्वाभाविक है कि विश्वास नेपाली का नाम सुनते ही ट्रांसपोर्टर के माथे से पसीना छूटने लगे होंगे। इस दौरान अधिकारियों के निर्देश पर चेतगंज थाने में रंगदारी समेत अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया। चेतगंज इंस्पेक्टर संध्या सिंह ने बताया कि ट्रांसपोर्टर की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।
खूंखार और शातिर अपराधी है विश्वास नेपाली
विश्वास नेपाली पर 30 से ज्यादा मुकदमे दर्ज है। पिछले डेढ़ दशक से पुलिस के लिए एक अबूझ पहेली के तरीके से ये अपराधी है। मुन्ना बजरंगी के मारे जाने एक बाद से ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि उसकी वरासत विश्वास नेपाली ही संभाल सकता है। अगर देखे तो अभी कोई ऐसी पुष्ट सुचना नही है कि विश्वास नेपाली ने मुन्ना बजरंगी के गैंग का सञ्चालन खुद शुरू कर दिया हो। मगर सूत्रों की माने तो अपराध जगत में इस बात का अंदाज़ लगाया जा रहा है कि विश्वास नेपाली अपने गुरु “किल्लर मशीन” मुन्ना बजरंगी का गैंग संचालित कर सकता है।
कौन है विश्वास नेपाली
अगर विश्वास नेपाली के अपराध जगत के रास्ते को देखे तो उसका अपराधिक सफ़र वर्ष 2001 में वाराणसी के भेलूपुर थाने में दर्ज एक धमकी के मुक़दमे से शुरू हुआ। ये वह समय था कि वाराणसी पुलिस के लिए अन्नू त्रिपाठी का गैंग सरदर्द बन गया था। जिसके बाद 2001 में ही उसके खिलाफ रंगदारी मांगने के आरोप में कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद कोतवाली थाने की पुलिस ने उसके खिलाफ गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई भी किया। जिसमे विश्वास जेल गया। सूत्र बताते है कि उस समय जेल में जाने के बाद भी विश्वास को कोई फर्क नही पडा और उलटे वह अपराध जगत में और भी शातिर हो गया।
शायद प्राईमरी स्कूल से निकल कर विश्वास जेल में अपराध की यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने लगा था। जेल से जमानत पर छूटने के बाद विश्वास नेपाली अनुराग त्रिपाठी उर्फ़ अन्नू त्रिपाठी और मुन्ना बजरंगी से जुड़ गया। जिसके बाद से विश्वास नेपाली के अपराध का सफ़र रुका ही नही और उसके खिलाफ लूट, हत्या, अपहरण और रंगदारी मांगने के आरोप में 30 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं।
क्या है विश्वास नेपाली का इतिहास
पक्के महाल स्थित कपिलेश्वर की गलियों में बैठ कर गांजा पीने वाला युवक जरायम की दुनिया में इतना बड़ा नाम बन जायेगा किसी ने सोचा भी नही था। नेपाल के मूल निवासी श्रीधर शर्मा और आशा शर्मा की तीन बेटे विश्वास, विशाल और वल्लभ थे। श्रीधर शर्मा लहुराबीर स्थित बाटा में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। बच्चो को तालीम तो उन्होंने काफी दिया था। तीनो भाई पढाई में ठीक ठाक थे। दो बेटिया भी पढ़ लिख रही थी। नौकरी में वाराणसी आने के बाद कपिलेश्वर गली में किराय का मकान लेकर रहने वाले श्रीधर शर्मा का बेटा विश्वास इलाके के कुछ दोस्तों के साथ उठना बैठना शुरू करता है। मूल रूप से नेपाल का रहने वाला विश्वास इलाके में नेपाली नाम से मशहूर हो चूका था।
शुरू से ही मनबढ़ विश्वास का पहली बार जरायम में नाम वर्ष 2001 में भेलूपुर थाना क्षेत्र में सामने आया जब उसके नाम से पहली ऍफ़आईआर आईपीसी की 506 में दर्ज हुई थी। इसके बाद इसी साल कोतवाली थाना क्षेत्र में रंगदारी मांगने का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने उसके ऊपर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहां और इसी वर्ष गुंडा एक्ट तथा गैंगेस्टर की भी कार्यवाही कोतवाली पुलिस द्वारा किया गया। यहाँ से अपराध की प्राइमरी में पढने वाला विश्वास अचानक ही जरायम की दुनिया के यूनिवर्सिटी में पंहुच जात है और उसको साथ अनुराग त्रिपाठी उर्फ़ अन्नू त्रिपाठी, बाबु यादव गैंग का मिल जाता है। फिर क्या था दुबारा उसने पलट कर पीछे नही देखा।
सूत्र बताते है कि अन्नू त्रिपाठी गैंग का मुख्य शूटर ही नहीं बल्कि गैंग का मास्टर माइंड विश्वास नेपाली ही था। कोई भी घटना को कैसे अंजाम देना है और कहा देना है का प्लान विश्वास ही बनाता था। उसकी हरकतों से परिवार भले ही परेशान रहता था, मगर विश्वास शायद अपना कदम पीछे नही खीचना चाहता था। कोतवाली क्षेत्र में हुई हत्या में भी विश्वास का नाम आया, पूर्वांचल की सबसे बड़ी मडी विशेश्वरगंज में रंगदारी का पोस्टर लगा कर अन्नू गैंग ने दहशत कायम कर डाला था। लगभग डेढ़ दशक पहले लगे इन पोस्टरों के बाद वाराणसी पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी। पुलिस सूत्र बताते है कि मामले में तफ्तीश शुरू हुई तो पता चला कि यह पोस्टर विश्वास नेपाली के खुद के कंप्यूटर से बनाये गए थे। यहाँ से विश्वास नेपाली पुलिस के लिए अबूझ पहेली बना जो आज तक है।
सूत्र बताते है कि किलर मशीन मुन्ना बजरंगी सबसे अधिक विश्वास पर ही विश्वास करता था। सूत्र तो ये तक बताते है कि मुन्ना बजरंगी के कामो में भी विश्वास की काफी पैठ थी और घटना के बाद का एग्जिट प्लान केवल विश्वास ही बनाता था। हाईटेक टेकनोलाजी का माहिर विश्वास के नाम कई अपराध पंजीकृत हुवे और वह पुलिस की पकड़ से दूर ही होता चला गया। विश्वास का परिवार बनारस छोड़ कर वापस नेपाल चला गया। वही सूत्र कहते है कि विश्वास ने नेपाल जाकर पहले खुद की पैठ बनाया और उसके बाद परिवार को वहा बुलवा लिया।
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