आदिल अहमद
कानपुर। सत्ता के नशे में चूर भाजपा नेता नारायण सिंह भदौरिया ने भले ही सत्ता की हनक के बल पर करोडो की संपत्ति बनाई हो शासन प्रशासन पर भले ही रौब गाँठ कर अपने खिलाफ जारी कुर्की के आदेश को वर्ष 2017 से अभी तक अमल में आने न दिया हो। मगर विनाश काले विपरीत बुद्धी के कारण नारायण सिंह भदौरिया आखिर पुलिस के चक्रव्यूह में आ गया और जिस टीम के साथ रेल बाज़ार इस्पेक्टर रवि श्रीवास्तव हो वह भला कामयाबी न पाए ये थोडा मुश्किल ही है। नोयडा से नारायण सिंह भदौरिया अपने दो साथियो के साथ धर दबोचा गया है। नारायण सिंह भदौरिया के साथ राकी यादव और गोपाल शरण चौहान भी पकडे गए है। दोनों गेस्ट हाउस प्रकरण में वांटेड थे।
आज हुई गिरफ़्तारी में पुलिस का नेटवर्क ज़बरदस्त काम किया। एक तरफ मंसूर अहमद का नेटवर्क और दूसरी तरफ रवि श्रीवास्तव का नेटवर्क। दोनों के सुचना तंत्र ने ये बड़ी कामयाबी दिलवाई है। सटीक सूचना पर पुलिस ने शुक्रवार को मनोज सिंह को बर्रा 8 सर्वोदय हॉस्पिटल के सामने से गिरफ्तार कर लिया। वहीं सर्विलांस सेल और मुखबिर की सूचना पर गुरुवार को ही एसीपी गोविंदनगर विकास पांडेय, थाना प्रभारी बर्रा हरमीत सिंह व थाना प्रभारी रेल बाजार रवि श्रीवास्तव की एक टीम नोएडा रवाना हो चुकी थी। जहा टीम ने नारायण सिंह भदौरिया के नोएडा स्थित फ्लैट में दबिश देकर किदवईनगर निवासी नारायण सिंह, यातायात पुलिस लाइन क्वार्टर नंबर 115 निवासी रॉकी यादव व रावतपुर गांव सैय्यदनगर निवासी गोपाल शरण चौहान को गिरफ्तार कर लिया।
इस गिरफ़्तारी के सम्बन्ध में एसीपी विकास पांडेय ने बताया कि कानपुर लाकर उनसे पूछताछ के बाद कोर्ट में हाजिर किया जाएगा। हिस्ट्रीशीटर मनोज सिंह समेत अब तक पांच लोगों की ही गिरफ्तारी हो चुकी है। आदित्य दीक्षित, धीरू शर्मा, रॉबिन सक्सेना, राज वल्लभ पांडेय, विकास तिवारी, बाबा ठाकुर समेत अन्य लोग अभी भी फरार हैं।
प्रॉपर्टी व डेयरी के काम से कमाई करोड़ों की संपति
नारायण सिंह भदौरिया की किदवई नगर मेन रोड पर भोला नाम से दूध डेयरी है। मगर वर्ष 2017 के बाद से नारायरण सिंह भदौरिया की संपत्ति में दिन दुनी रात चौगुनी वृद्धि हुई। सूत्रों की माने तो नारायण सिंह भदौरिया दूध की डेयरी के साथ साथ प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त भी काम करने लगा था। सूत्रों तो यहाँ तक बताते है कि सत्ता की हनक दिखा कर विवादित संपत्ति औने पौने दामो में खरीद कर खुद के पुलिस प्रशासन में जान पहचान और अपने पद का फायदा उठा कर नारायण भदौरिया ने इन विवादित संपत्तियों को ऊंचे दामों पर बेच कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है। इसी धंधे में गोपाल शरण चौहान, रॉकी यादव भी थे। सूत्र बताते है कि जहा बाहुबल की ज़रूरत होती तो इसके साथी अपराधी उस कमी को पूरा कर देते थे। मनोज सिंह भी इसकी इस फ़ौज का एक हिस्सा था।
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