अनुराग पाण्डेय
डेस्क। अयोध्या में राममंदिर के विस्तारीकरण के लिए खरीदी जा रही जमीन की प्रक्रिया और उस पर व उठ रहे सवालों से पीएमओ और संघ बेहद नाराज हैं। वही दूसरी तरफ निकल कर सामने आ रहे रिकार्ड से श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर के लिए जमीन की खरीद फरोख्त में सवालिया निशानों से घिरता जा रहा है। अमर उजाला की एक खबर के मुताबिक 18 मार्च 2021 को दो करोड़ की जमीन को 18.50 करोड़ रुपये में एग्रीमेंट कराने वाले ट्रस्ट ने उसी दिन लगभग इतनी ही भूमि की रजिस्ट्री मात्र आठ करोड़ में कराई थी।
इस बयनामे में गवाह के तौर पर महापौर ऋषिकेश उपाध्याय और ट्रस्टी अनिल मिश्रा का नाम दर्ज है। इस भूमि की लोकेशन मुख्य मार्ग से सटी हुई दिखाई गई है। बताते चले कि इसके बारे में ट्रस्ट ने अब तक कोई जानकारी नहीं दी थी, जबकि इस भूखंड के पीछे बगैर सड़क मार्ग से जुड़े गाटा संख्या 243, 244 व 246 से 12080 वर्गमीटर संपत्ति को ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में एग्रीमेंट कराया। इसी भूमि को एग्रीमेंट से महज दस मिनट पहले सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने दो करोड़ में बयनामा करवाया था।
इस नए खुलासे के बाद ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वालो को संजीवनी मिल गई है। जबकि दूसरी तरफ ट्रस्ट इस मामले में किसी भी तरह की सफाई नहीं देना चाहता है, मगर अब संघ से लेकर सरकार तक यह मुद्दा सामने आने के बाद ज़मीनों की खरीद के काम की जिसको ज़िम्मेदारी सौपी गई थी उनसे खासे नाराज़ भी होने की बात सामने आई है। सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब जमीन की खरीद के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर और कॉरिडोर के विस्तार के लिए अपनाए जा रहे काशी मॉडल को अपनाया जाएगा।
इस मॉडल की तर्ज पर रजिस्ट्री से पहले प्रशासनिक एक्सपर्ट्स की एक मूल्यांकन समिति से जांच कराई जाएगी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर निगोसिएशन कमेटी विक्रेता से बातचीत कर जमीन की कीमत तय करेगी। काशी मॉडल में मूल्यांकन समिति में एसडीएम, सब रजिस्ट्रार, तहसीलदार-कानूनगो और पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर शामिल रहते थे।
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