तारिक़ आज़मी
गाज़ियाबाद। सोमवार को एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में एक बुज़ुर्ग की लाठियों और थप्पड़ो से पिटाई करते हुवे कुछ युवको को दिखाया गया था। युवको द्वारा जीन्स पहनी हुई थी। एक युवक ने हाथो में कट्टा लेकर फायर का प्रयास भी किया था मगर गोली शायद मिस कर गई होगी, या फिर कुछ और हुआ होगा। बहरहाल, वीडियो में आरोपी युवको के द्वारा बुज़ुर्ग की दाढ़ी काटते हुवे दिखाया गया था। वीडियो में युवक जीन्स पहने हुवे थे। ये शब्द हमने दो बार लिखा। लोग सोच रहे होंगे कि शायद तारिक़ आज़मी सनक गया है एक ही बात दो बार लिख रहा है। नहीं साहब, सनका नही हु, इस पहनावे के शब्द पर जोर इस लिए दे रहा हु कि कुछ “ख़ुफ़िया” लोग पहनावे में भी मज़हब तलाशने की कोशिश कर देते है।
वीडियो सोमवार को वायरल होते ही पुलिस विभाग में हडकम्प मच गया। वीडियो में मार खा रहे बुज़ुर्ग अब्दुल समद लोगो को तावीज़ (जंतर) देने का काम करते है। मुख्य आरोपी जिसकी शिनाख्त पहले ही हुई थी वह है प्रवेश गुज्जर। बस एक नाम सामने आने के बाद लोगो ने कयास लगाया और नाम में मज़हब तलाशने लगे। अब अगर असली कहानी पर जायेगे तो कहानी पूरी फ़िल्मी है। प्रवेश गुज्जर के साथ अन्य आरोपी युवको नाम भी जान ले। नाम में मज़हब तलाश ले उसके बाद। प्रवेश गुज्जर के अन्य साथ थे, आरिफ, आदिल, मुशाहिब, कल्लू, पोली आदि थे। इनमे कल्लू और आदिल की गिरफ़्तारी कल हो गई है और प्रवेश गुज्जर पहले से ही जेल में एक अन्य किसी मामले में बंद है।
क्या है मामला
मामले को मज़हबी रंग देने वालो के लिए ये हकीकत जानना ज़रूरी है। हकीकत जो प्रकरण में निकल कर सामने आई है वह ये है कि समस्त आरोपी और पीड़ित अब्दुल समद एक दुसरे को पहले से जानते और पहचानते थे। अब्दुल समद तावीज़ बना कर देते थे और युवक उनके तावीज़ पर अकीदा (विश्वास) करते थे। इस दरमियान आरोपियों को अब्दुल समद ने कुछ तावीज़ दिया था। आरोपियों का विश्वास डगमग होकर इस बात पर पहुच गया कि समद ने इस बार जो तावीज़ दिया है उसका असर उल्टा हो गया है।
फिर क्या था, अब्दुल समद को लोनी बुलाया जाता है। अब्दुल समद को लेकर प्रवेश गुज्जर 5 जून को लोनी के बॉर्डर थाना क्षेत्र के बंथला स्थित अपने घर लाता है। जहा पहले से मौजूद अन्य युवको ने समद की पिटाई कर दिया। उनका गुस्सा इतना था कि उसकी दाढ़ी भी काट दिया। घटना 5 जून को होने के बाद समद को रस्ते में ले जाकर छोड़ दिया गया और फिर 6 जून को समद ने बॉर्डर थाने पर इस अपराध की सुचना दिया। तहरीर के मुताबिक पुलिस ने मारपीट की धाराओ में मुकदमा दर्ज कर लिया। फिर उसके बाद सोमवार को वायरल हुआ वीडियो अचानक मज़हब और धर्म के बीच खड़ा कर दिया जाता है।
वीडियो देखने वाले इसको मज़हब और धर्म से जोड़ रहे थे। हमने कल भी कहा था कि हर एक मामले को मज़हबी चश्मे से नही देखना चाहिए। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस विभाग में हडकंप मच गया। प्रवेश गुज्जर और दो अन्य आरोपियों की शिनाख्त होती है। प्रवेश गुज्जर पहले से ही एक अन्य किसी मामले में जेल में बंद है। कल्लू और आदिल की कल ही गिरफ़्तारी हो जाती है। पुलिस ने अन्य आरोपियों पोली, मुशाहिब आदि की तलाश जारी रखा है। सभी आरोपी फरार बताये जा रहे है। गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने कड़ी कार्यवाही किया है। एक बार आपको फिर से कहता हु। हर एक मामले को मज़हबी अथवा धार्मिक चश्मे से नही देखना चाहिये।
विश्वास और अंध विश्वास को पहचाने
घटना को समझे और सोचे। विश्वास और अंधविश्वास दो अलग अलग चीज़े है और दोनों के बीच एक बारीक सी लकीर है। बेशक धर्म अथवा मज़हब पर आस्था बढ़िया बात है। बहुत मनोबल इससे मिलता है। मगर धर्म अथवा मज़हब में जो कुछ अंधविश्वास के हद तक पहुच जाये उससे बचे। बेशक आपकी धार्मिक पुस्तक पर आपका विश्वास अटूट होना चाहिए। कोई जंतर अथवा तावीज़ धार्मिक पुस्तक के अनुसार बनी हुई है तो आप उसके ऊपर विश्वास करते है तो पूरा करे। धर्म अथवा मज़हब किसी का भी नुक्सान नही करेगा। मगर कम से कम इस विश्वास को अंधविश्वास तक न जाने दे। कोई जंतर अगर आपकी किस्मत बदल सकता है तो फिर जंतर बनाने वाले को एक खुद के लिए बना कर पहन लेना चाहिए।
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