तारिक आज़मी
वाराणसी। वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने नगर निगम वाराणसी को आदेशित किया था कि शहर के जर्जर भवनों को ज़मीदोज़ कर दिया जाए। इस आदेश के बाद नगर निगम ने कागज़ी घोड़े तो काफी दौडाये मगर ज़मीन पर उतर कर कोई काम नही हुआ। बारिश ने जमकर शहर को भिगाया। इन बारिश में कुछ ऐसे भी भवन गिरे जो खबरों की खबर तक नही पहुच पाए। वही कोई जान माल की हानि शहर में नही हुई। हाँ बडागाव क्षेत्र में एक मकान गिरने से एक बुज़ुर्ग की मौत ज़रूर हो गई थी।
इस खबर के प्रकाशन होने पर अधिकारियो ने मामले में संज्ञान लिया। नगर निगल और जिला प्रशासन द्वारा संज्ञान लेने के बाद नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा कागज़ी घोड़े दौडाने के काम तो बहुत तेज़ी से शुरू हुआ। इधर बेचैनगंज के हलकान शख्सियत बन कर बैठे इस भवन के किरायदार जो क्षेत्र के एक बाहुबली का आदमी है और इस सिंडिकेट का काम ही मकानों पर किरायदार बनकर कब्ज़ा करना, और फिर औने पौने दामों में खरीद लेना है के दुर्दांत बाहुबली बिल्डर्स ने मकान के लिए कहना शुरू कर दिया कि भवन जर्जर नही है।
बहरहाल, नगर निगम के इंजीनियरों ने इस भवन का निरीक्षण किया। घूम घूम कर भवन को चारो तरफ से देखा और मान लिया कि भवन काफी जर्जर स्थिति में है। भवन के जर्जर होने की रिपोर्ट प्रेषित करने के बाद नगर आयुक्त द्वारा भवन स्वामी मोहम्मद शाहनवाज़ उर्फ़ शानू को नोटिस भी थमा दिया गया कि भवन जर्जर है इसको तत्काल तोडवाये। अब पेशोपेश में पड़े भवन स्वामी मोहम्मद शाहनवाज़ उर्फ़ शानू कैसे उस बाहुबली किरायदार के सिंडिकेट को समझाये कि “गुरु मकान खाली कर दो ताकि इसको तुडवा दे अन्यथा अगर मकान गिर गया तो कई लोग मर जायेगे।”
खैर, बात आगे बढ़ी, नगर निगम ने एक नोटिस जारी करके खुद के कर्तव्यों की इतिश्री कर लिया। मामला जिला प्रशासन तक पंहुचा। किरायदार के साथी बिल्डर ने कहा कि भवन जर्जर नही है। कोई खौफज़दा नही है। सब बहादुर है। और बहादुरी के साथ रहेगे। भवन अगर गिर भी जाएगा तो रेट की तरह रहेगा और किसी का कोई जानमाल का नुकसान नही होगा। मामले में पीडब्लूडी से भी रिपोर्ट तलब हुई। दो दिन पूर्व पीडब्लूडी के इंजीनियरो की टोली इस भवन का निरिक्षण करने पहुची। निरिक्षण के दौरान खुद इंजिनियर डरे हुवे थे। उनका कहना था कि भवन किसी भी समय गिर सकता है और भारी जानमाल का नुकसान हो सकता है। पीडब्लूडी के अधिशासी अभियंता ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भवन इतना ही जर्जर है कि कभी भी गिर सकता है। इसके गिरने पर भारी संख्या में जानमाल का नुक्सान हो जायेगा।
अब बात यहाँ अटकी है कि भवन को गिराया कब जायेगा। कब नगर निगम जागेगा। आखिर कब नगर निगम इस बात को चेतेगा कि काफी सकरी गली में स्थित यह भवन कमर्शियल मार्किट में है। जहा हर समय हज़ारो की संख्या में ग्राहकों का आना जाना लगा रहता है। भवन अगर मार्किट के समय में धाराशाही हुआ तो जानमाल का कितना बड़ा नुक्सान होगा जिसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। देखना होगा कि नगर निगम कागज़ी घोड़ो को आखिर कब ज़मीन पर लाकर दौड़ता है। सिर्फ एक यही नही बल्कि शहर के कई ऐसे जर्जर भवन है जो कभी भी किसी भी वक्त बड़ी घटना-दुर्घटना का कारन बन सकते है।
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