आदिल अहमद
कानपुर : एक तरफ भाजपा के शीर्ष पदाधिकारी आने वाले चुनाव के पहले समीक्षा में जुटे हुवे है। अपराधियों के पैरवी पर अथवा अपराधियों के साथ नाम आने पर सख्त लहजे में समझाया भी जा रहा है। वही दूसरी तरफ भाजपा के कुछ नेता ऐसे है कि वह लगातार पार्टी की छवि पर धब्बा लगाने का प्रयास कर रहे है। ऐसा ही कुछ जीता जागता नमूना सामने आया कानपुर के थाना नौबस्ता स्थित उस्मानपुर के आकर्षण गेस्ट हाउस में। जहा भाजपा नेता नारायरण भदौरिया के जन्मदिन पार्टी में कई अपराधिक छवि के लोग इकठ्ठा हुवे। इसमें एक वांटेड अपराधी भी था। उसकी गिरफ़्तारी के लिए पहुची पुलिस से अभद्रता तो हुई ही, साथ ही पकडे गए अपराधी को भीड़ ने छुडवा कर फरार भी करवा दिया।
अब ये कहना मुश्किल है कि जो अपराधी मनोज सिंह को छुडवा कर भगा दिए है वह अपराधी और आदमी भाजपा नेता नारायण सिंह के थे या फिर अपराधी मनोज सिंह के थे। मगर इस घटना ने प्रदेश सरकार में कानून व्यवस्था पर एक बड़ा धब्बा ज़रूर लगवा दिया था। ये वही कानपुर है जहा बिकरू कांड का विलेन विकास दुबे जन्म लेता है। उस कानपुर में इस प्रकार की घटना होना दुबारा वाकई कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल उठाता है। इस घटना ने आम जनमानस को एक सबक दे दिया है, कि आप कुछ भी करिए भाजपा नेता की शरण में चले जाइए आपका बाल भी बांका नही होगा। अगर पुलिस गिरफ्तार भी आकर लेगी तो तुरंत लोग छुडवा लेंगे।
अब नैतिकता की दुहाई देने वाली भाजपा इस प्रकरण में क्या सख्त और कानूनी कदम उठाएगी, यह तो वक्त ही बताएगा। मगर कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के अपर पुलिस उपयुक्त दक्षिणी ने बयान जारी करके घटना का विवरण देने में पूरी सावधानी बरती है। कही भी भाजपा नेता का नाम अथवा उनकी बर्थडे पार्टी का ज़िक्र नही किया है। सत्ता के कारण इस बयान को समझा जा सकता है। कार्यवाही क्या होगी इसको समझने के लिए अपर पुलिस उपयुक्त दक्षिणी का जो ट्वीट हुआ बयाँन है वह समझने के लिए काफी है। कुछ नामज़द और कुछ अज्ञात के चक्र में कार्यवाही चलेगी ज़रूर। मामले की जाँच होगी, जाँच कितनी निष्पक्ष होगी ये देखने वाली बात होगी।
इसी कानपुर जनपद में अपराधियों को फरार करवाने अथवा सरकारी कार्यवाही में बाधा बनने पर युपीपीए और रासुका जैसे अपराध पंजीकृत हुवे है। मगर अपर पुलिस उपयुक्त के बयान में अभी तक कोई ऐसी बात नही थी। कड़ी कार्यवाही के तहत सभी शब्द सीमित है।सबसे बड़े ताज्जुब की बात ये है कि कानपुर पुलिस जिसके जबड़े से अपराधी को खींच ले गए, उसने पूरे ही घटनाक्रम में ना तो भाजपा नेता का नाम लिया और ना ही यह बताया है की जन्मदिन की पार्टी में से मनोज सिंह को पुलिस ने खींचा ऐसा क्यों है ईश्वर जाने और भाजपा जाने या पुलिस जाने। मगर सब मिलाकर साफ़ है कि इन सब घटनाओं ने सत्तारूढ़ दल भाजपा के छवि पर काफी प्रभाव डाला है। सियासत में इन घटनाओं की चर्चाये काफी दिनों तक रहती है।
लगातार मीडिया में होती आलोचनाओं के बाद आखिर देर रात कानपुर कमिश्नरेट पुलिस ने इस घंटना में शामिल संदिग्धों की फोटो जारी कर दिया है। फोटो पर कुछ वांटेड नाम के साथ है और कुछ अज्ञात है। वांटेड में एक महिला का भी फोटो है जिसकी शिनाख्त नही हुई है।
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