उमेश गुप्ता
बिल्थरारोड (बलिया)। सोशल डिस्टेंसिंग धरो ताख पर, उठा के फेक दो कोविड प्रोटोकाल, नियम को रख तो अलमारी में। बस फोटो खिचवाना है भाई। जी हाँ ऐसा ही कुछ हुआ स्थानीय सीयर ब्लॉक के ग्राम सभा कुशहाँभाड में प्राइमरी पाठशाला पर जहा बुधवार की प्रातः 10 बजे से बाल विकास पुष्टाहार वितरण आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ व गांव में गठित समूह के नेतृत्व में गर्भवती महिला व 3 माह से 6 माह तक के बच्चों को पुष्टाहार का वितरण किया गया।
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि सभी महिला विना मास्क के ही वहां पहुंची थी। जब कि कोरोना से बचाव के लिए जहा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए सभी विद्यालय व अवाश्यक कार्य को छोड सभी प्रकार दुकान को बन्द कर देने का आदेश दिया था। लोगो मे इस बात की आशंका सता रही थी कि कहीं छोटे-छोटे बच्चों के साथ गर्भवती महिलाए भी कहीं कोरोना वायरस जैसे भयंकर महामारी की चपेट में न आ जाएं। मगर जो ज़िम्मेदार है वह अपनी ज़िम्मेदारी ढंग से तो कम से कम नही निभा रहे है। एक भी महिला के चेहरे पर मास्क नही था। टोकने पर साडी के पल्लू से मुह ढक ले रही थी। क्यों भाई कोरोना क्या बीमारी नही कोई बड़े बुज़ुर्ग है क्या ?
इन तस्वीर को देख कर आप भले किसी को कोसे, किसी का दोषारोपण करे। मगर ध्यान रखे एक बात का कि इसके सिर्फ और सिर्फ ज़िम्मेदार वो है जो खुद को सामाजिक चिन्तक कहते नही थकते है। उनको जागरूक करना होगा समाज को। खुद को समाजसेवी कहने वाले कहा बैठे थे क्या वो चंद मास्क इन महिलाओं को देकर जागरूक नही कर सकते थे ? सवाल गहरे है। इसका जवाब तो समाजसेवा का दम्भ भरने वालो को ही तलाशना होगा।
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