कानपुर दौरे पर राष्ट्रपति – बीमार महिला का यातायात व्यवस्था में रुका वाहन, इलाज के दरमियान हुई मौत पर पुलिस ने मांगी माफ़ी, एक एसआई सहित 4 निलंबित
कानपुर। कानपुर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दौरे के दरमियान सुरक्षा व्यवस्था के तहत यातायात व्यवस्था में तैनात पुलिसकर्मियों की कथित लापरवाही से एक महिला की मौत हो गई है। राज्य सरकार ने कानपुर शहर में गंभीर रूप से बीमार महिला वंदना मिश्रा की मौत पर माफी मांगी है। राष्ट्रपति के कानपुर यात्रा के दौरान शुक्रवार की रात उसे और उसके परिवार को कथित तौर पर यातायात प्रतिबंध में रोक दिया गया था। इस वजह से महिला समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सकी। अस्पताल पहुचने पर मरीज़ की मृत्यु हो गई। परिजनों का कहना है कि चिकित्सको ने कहा है कि यदि दस मिनट पहले लाये होते तो बचाया जा सकता था।
कल यानी शुक्रवार को राष्ट्रपति कोविंद उत्तर प्रदेश के तीन दिवसीय दौरे पर रात ट्रेन से कानपुर पहुंचे थे। उनका पैतृक गांव पड़ोसी ‘कानपुर देहात’ जिले के अंतर्गत आता है। जबकि मरने वाली 50 वर्षीय महिला वंदना मिश्रा इंडियन एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज के कानपुर चैप्टर की महिला विंग की मुखिया थीं। बीमार पड़ने और गंभीर लक्षण विकसित होने के बाद उनके परिवार ने उन्हें कल रात एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। वह हाल ही में कविड से रिकवर हुई थी। मिश्रा की हालत बिगड़ने पर उनका परिवार दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कराने निकला था, तभी कानपुर में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का आगमन हुआ। राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उसी रास्ते पर यातायात रोक दिया था जिस मार्ग पर वंदना मिश्रा का परिवार उन्हें अस्पताल ले जा रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति के कारण ट्रैफिक जाम लग गया और महिला को अस्पताल पहुंचने में देरी हुई, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
मामले के मीडिया में हाई लाइट होने के बाद कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने इस घटना पर दुख जताया है और ट्वीट कर माफी मांगी है। उन्होंने लिखा है, “आईआईए की अध्यक्षा बहन वन्दना मिश्रा जी के निधन के लिए कानपुर नगर पुलिस और व्यक्तिगत रूप से मैं क्षमा प्रार्थी हूं। भविष्य के लिए यह बड़ा सबक है। हम प्रण करते हैं कि हमारी रूट व्यवस्था ऐसी होगी कि न्यूनतम समय के लिए नागरिकों को रोका जाए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो।”
आईआईए की अध्यक्षा बहन वन्दना मिश्रा जी के निधन के लिए कानपुर नगर पुलिस और व्यक्तिगत रूप से मैं क्षमा प्रार्थी हूं। भविष्य के लिए यह बड़ा सबक है। हम प्रण करते हैं कि हमारी रूट व्यवस्था ऐसी होगी कि न्यूनतम समय के लिए नागरिकों को रोका जाए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो।
— POLICE COMMISSIONERATE KANPUR NAGAR (@kanpurnagarpol) June 26, 2021
पुलिस के एक दूसरे ट्वीट में कहा गया कि राष्ट्रपति कोविंद इस घटना से परेशान हैं। ट्वीट में लिखा गया है, “महामहिम राष्ट्रपति जी बहन वन्दना मिश्रा जी के असामयिक व निधन से व्यथित हुए। उन्होंने पुलिस आयुक्त और जिलाधिकारी को बुलाकर जानकारी ली व शोक संतप्त परिवार तक उनका संदेश पहुंचाने को कहा। दोनों अधिकारियों ने अंत्येष्टि में शामिल होकर शोकाकुल परिवार तक महामहिम का संदेश पहुंचाया।” जहां वंदना मिश्रा का अंतिम संस्कार किया गया था, उस घाट की तस्वीरों में दोनों अधिकारियों को मृतक के परेशान परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करते देखा गया है।
— POLICE COMMISSIONERATE KANPUR NAGAR (@kanpurnagarpol) June 26, 2021
इधर, पुलिस प्रशासन ने लापरवाही के आरोप और निर्देश से अधिक समय तक ट्रैफिक रोकने पर सब इन्स्पेक्टर सुशील कुमार और 3 मुख्य आरक्षियों को निलंबित कर दिया गया है और मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। कानपुर के एडिशनल DCP SOUTH मामले की जांच करेंगे। पुलिस ने निर्देश दिया है कि ऐसी स्थिति में सुरक्षा के लिए नागरिकों को दिक्कत न हो, मेडिकल आपात स्थिति में तो बिल्कुल भी नहीं। अधिकारियों ने कहा कि व्यवस्था सुधारने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं ताकि ऐसी पुनरावृत्ति न हो।
क्या वाकई में एसआई और हेड कांस्टेबल दोषी है ?
प्रकरण में एसआई सुशील कुमार और ३ हेड कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही मामले की जांच के आदेश भी हो गए है। मगर सवाल ये उठता है कि ये तीन दोषी है। किसी भी शहर में किसी भी वीआईपी के आगमन पर ट्रैफिक कंट्रोल होता है। यहाँ तो मामला वीआईपी नही बल्कि वीवीआइपी से जुड़ा था। अगर पुलिस कर्मी जो मौके पर ड्यूटी कर रहे थे और आदेशो का पालन करवा रहे था वह मात्र लकीर के फ़कीर की तरह काम करने के लिए वहा उपस्थित रहा ये एक कड़वा सच सबको मानना पड़ेगा।
अब सीन को थोडा पलट कर देखा जाता है। मान लीजिये कि उन पुलिस कर्मियों ने उस वाहन को जाने दिया होता जिसमे मरीज़ थी। वाहन जाने के दरमियान महामहिम का काफिला गुज़रता तो हम सभी खबरनवीसी कर रहे लोगो के लफ्ज़ तुरंत होते “महामहिम की सुरक्षा में चुक”, कुछ तो सीधे कलम को तलवार बना कर चढ़ बैठे होते। उस स्थिति में भी इन पुलिस कर्मियों की नौकरी ऐसे ही गई होती। बात यहाँ किसी के निलंबन की अथवा किसी एक पद के ऊपर पूरी ज़िम्मेदारी की नही है। यहाँ बात केवल और केवल सिस्टम की है। सिस्टम कुछ ऐसा होना चाहिए कि इस प्रकार की घटनाओं को दुबारा हमको देखना न पड़े। वंदना मिश्रा के मौत की हमको भी तकलीफ है। देश के हर एक नागरिक को इस मौत से तकलीफ हुई है। स्वयं राष्ट्रपति को भी कष्ट हुआ। हम किसी सस्पेंशन अथवा कोई बड़ी पुलिस कार्यवाही की बात कैसे कर सकते है। हमे बात तो यहाँ सिस्टम की भी करनी चाहिए। यदि कोई ऐसी यातायात व्यवस्था किसी वीआईपी अथवा वीवीआइपी के दौरे पर हो जिससे दूसरा मार्ग आवागमन के लिए चालु रहे तो शायद इस प्रकार की घटनाओं को हम न सुने।