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ट्रांसपोर्टर से विश्वास नेपाली के नाम पर रंगदारी मांगने का प्रकरण – एक माह बाद भी खाली है वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के हाथ, आज भी है दो दशक से अबूझ पहेली ये अपराधी

तारिक आज़मी  

वाराणसी। वाराणसी के शिवपुर निवासी ट्रांसपोर्टर जिसका कार्यालय धुपचंडी में स्थित है पर आकर कुछ अपराधियों द्वारा विश्वास नेपाली के नाम पर 50 लाख की रंगदारी मागने और फिर फोन काल तथा मैसेज के माध्यम से कथित रूप से खुद को विश्वास नेपाली कहने वाले व्यक्ति द्वारा रंगदारी मांगने के प्रकरण में आज लगभग एक माह का समय गुज़र जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है। सुरक्षा के दृष्टि से पुलिस ने ट्रांसपोर्टर को सुरक्षा उपलब्ध करवा दिया है। जाँच अभी भी अँधेरी गलियों में भटक रही है।

दर्ज शिकायत के अनुसार दिनांक 24 मई को दोपहर ढाई बजे के करीब एक युवक अपने दोनों हाथो में असलहा लेकर ट्रांसपोर्टर के आफिस में घुस आया। ट्रांसपोर्टर के द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत को अगर आधार माने तो आये हुवे युवक ने असलहा दिखा कर गालिया देते हुवे धमकी दिया। घटना के बाद दिनांक 25 मई को ट्रांसपोर्टर की तहरीर थाना चेतगंज को मिलती है। तहरीर के अनुसार पुलिस अपराध संख्या 75/21 दर्ज कर विवेचना शुरू कर देती है।

चेतगंज पुलिस के हाथ पाँव इस प्रकरण में तब फुले जब ट्रांसपोर्टर अपने पास आये मोबाइल पर मैसेज और काल की डिटेल लेकर उच्चाधिकारियों तक पंहुचा और बताया कि खुद को विश्वास नेपाली बताने वाले व्यक्ति ने फोन पर उससे पचास लाख की रंगदारी मांगी है। आनन फानन में पुलिस द्वारा ट्रांसपोर्टर को सुरक्षा मुहैया करवा दिया गया। सुरक्षा मिलने के बाद मामला मीडिया में आया और 9 जून को सभी मीडिया हाउस ने इस सम्बन्ध में समाचार प्रकाशित किया। जहा से पुलिस की भागदौड़ तेज़ हो गई। आनन फानन में आसपास के सीसीटीवी फुटेज की तलाश किया गया।

इस पूरी घटना में पुलिस के पास सिर्फ दो बाइक सवारों के सीसीटीवी फुटेज के अलावा कुछ और सुराग नहीं है ऐसा पुलिस सूत्र बताते है। सीसीटीवी फुटेज भी सिर्फ एक ही जगह का एकत्रित हुआ जिसके आधार पर विवेचना कर रही टीम प्रकरण में विवेचना कर रही है। ट्रांसपोर्टर द्वारा जो घटना की जगह बताई जा रही है यानि ट्रांसपोर्टर का कार्यालय जिस जगह पर है वहा आसपास सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नही है। पुलिस दो बाइक सवारों का फुटेज लेकर ट्रांसपोर्टर के इस केस की विवेचना करने को आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है। मगर सूत्रों की माने तो ट्रांसपोर्टर द्वारा पहचानने से इनकार भी किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि आने वाले युवक द्वारा हेलमेट लगाया गया था जिससे उसको पहचान नही रहा हु।सब मिला जुला कर पुलिस की जाँच डेड एंड तक पहुच जा रही है, ऐसा पुलिस सूत्रों का कहना है।

वही इस प्रकरण में चेतगंज थाना प्रभारी चेतगंज का ने कहा कि “हम पूरा प्रयास कर रहे है। खुलासे के लिए क्राइम ब्रांच के साथ चेतगंज थाने की टीम भी लगी हुई है। घटना का जल्द ही अनावरण किया जायेगा।” अब ये जल्द कब होगा शायद ये पुलिस खुद जाने या फिर इसके पहले की कुछ घटनाओं के तरह इसका भी अनावरण न हो पाए। ऐसी ही एक धमकी का प्रकरण चौक थाने पर दर्ज हुआ था जब एक क्षेत्र के एक बिल्डर को रंगदारी के लिए टेक्स्ट मैसेज आया था। उस प्रकरण में भी आज दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी खुलासा नही हुआ है। मामला ऐसे ही ठन्डे बसते में चला गया। क्योकि उस प्रकरण को अगर ध्यान से देखे तो उस प्रकरण में भी पुलिस को कोई सुराग मैसेज भेजने वाले नंबर का नही मिल पाया था। वह प्रकरण किसी अज्ञात अपराधी के द्वारा भेजा गया था।

कौन है विश्वास नेपाली

विश्वास नेपाली मुन्ना बजरंगी गैंग का ख़ास शूटर और मुन्ना बजरंगी का सबसे विश्वासपात्र माना जाने वाला अपराध जगत में एक नाम है। जो पुलिस के लिए पिछले लगभग दो दशक से अबूझ पहेली बना हुआ है वह आज एक बार फिर वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के लिए परेशानी का सबब बन गया है। विश्वास नेपाली वाराणसी ही नही बल्कि पूर्वांचल के जरायम की दुनिया में एक बड़ा नाम है। मुन्ना बजरंगी का राईट हैण्ड माना जाने वाला विश्वास वाराणसी पुलिस का इनामिया अपराधी है और पिछले लगभग डेढ़ दशक से वाराणसी पुलिस के लिए एक अबूझ पहेली बना हुआ है। विश्वास नेपाली का नाम खूंखार अपराधियों की फेहरिश्त में आता है।

विश्वास नेपाली पर 30 से ज्यादा मुकदमे दर्ज है। पिछले डेढ़ दशक से पुलिस के लिए एक अबूझ पहेली के तरीके से ये अपराधी है। मुन्ना बजरंगी के मारे जाने एक बाद से ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि उसकी वरासत विश्वास नेपाली ही संभाल सकता है। अगर देखे तो अभी कोई ऐसी पुष्ट सुचना नही है कि विश्वास नेपाली ने मुन्ना बजरंगी के गैंग का सञ्चालन खुद शुरू कर दिया हो। मगर सूत्रों की माने तो अपराध जगत में इस बात का अंदाज़ लगाया जा रहा है कि विश्वास नेपाली अपने गुरु “किल्लर मशीन” मुन्ना बजरंगी का गैंग संचालित कर सकता है।

अगर विश्वास नेपाली के अपराध जगत के रास्ते को देखे तो उसका अपराधिक सफ़र वर्ष 2001 में वाराणसी के भेलूपुर थाने में दर्ज एक धमकी के मुक़दमे से शुरू हुआ। ये वह समय था कि वाराणसी पुलिस के लिए अन्नू त्रिपाठी का गैंग सरदर्द बन गया था। जिसके बाद 2001 में ही उसके खिलाफ रंगदारी मांगने के आरोप में कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद कोतवाली थाने की पुलिस ने उसके खिलाफ गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई भी किया। जिसमे विश्वास जेल गया। सूत्र बताते है कि उस समय जेल में जाने के बाद भी विश्वास को कोई फर्क नही पडा और उलटे वह अपराध जगत में और भी शातिर हो गया।

शायद प्राईमरी स्कूल से निकल कर विश्वास जेल में अपराध की यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने लगा था। जेल से जमानत पर छूटने के बाद विश्वास नेपाली अनुराग त्रिपाठी उर्फ़ अन्नू त्रिपाठी और मुन्ना बजरंगी से जुड़ गया। जिसके बाद से विश्वास नेपाली के अपराध का सफ़र रुका ही नही और उसके खिलाफ लूट, हत्या, अपहरण और रंगदारी मांगने के आरोप में 30 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं।

पक्के महाल स्थित कपिलेश्वर की गलियों में बैठ कर गांजा पीने वाला युवक जरायम की दुनिया में इतना बड़ा नाम बन जायेगा किसी ने सोचा भी नही था। नेपाल के मूल निवासी श्रीधर शर्मा और आशा शर्मा की तीन बेटे विश्वास, विशाल और वल्लभ थे। श्रीधर शर्मा लहुराबीर स्थित बाटा में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। बच्चो को तालीम तो उन्होंने काफी दिया था। तीनो भाई पढाई में ठीक ठाक थे। दो बेटिया भी पढ़ लिख रही थी। नौकरी में वाराणसी आने के बाद कपिलेश्वर गली में किराय का मकान लेकर रहने वाले श्रीधर शर्मा का बेटा विश्वास इलाके के कुछ दोस्तों के साथ उठना बैठना शुरू करता है। मूल रूप से नेपाल का रहने वाला विश्वास इलाके में नेपाली नाम से मशहूर हो चूका था।

शुरू से ही मनबढ़ विश्वास का पहली बार जरायम में नाम वर्ष 2001 में भेलूपुर थाना क्षेत्र में सामने आया जब उसके नाम से पहली ऍफ़आईआर आईपीसी की 506 में दर्ज हुई थी। इसके बाद इसी साल कोतवाली थाना क्षेत्र में रंगदारी मांगने का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने उसके ऊपर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहां और इसी वर्ष गुंडा एक्ट तथा गैंगेस्टर की भी कार्यवाही कोतवाली पुलिस द्वारा किया गया। यहाँ से अपराध की प्राइमरी में पढने वाला विश्वास अचानक ही जरायम की दुनिया के यूनिवर्सिटी में पंहुच जात है और उसको साथ अनुराग त्रिपाठी उर्फ़ अन्नू त्रिपाठी, बाबु यादव गैंग का मिल जाता है। फिर क्या था दुबारा उसने पलट कर पीछे नही देखा।

सूत्र बताते है कि अन्नू त्रिपाठी गैंग का मुख्य शूटर ही नहीं बल्कि गैंग का मास्टर माइंड विश्वास नेपाली ही था। कोई भी घटना को कैसे अंजाम देना है और कहा देना है का प्लान विश्वास ही बनाता था। उसकी हरकतों से परिवार भले ही परेशान रहता था, मगर विश्वास शायद अपना कदम पीछे नही खीचना चाहता था। कोतवाली क्षेत्र में हुई हत्या में भी विश्वास का नाम आया, पूर्वांचल की सबसे बड़ी मडी विशेश्वरगंज में रंगदारी का पोस्टर लगा कर अन्नू गैंग ने दहशत कायम कर डाला था। लगभग डेढ़ दशक पहले लगे इन पोस्टरों के बाद वाराणसी पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी। पुलिस सूत्र बताते है कि मामले में तफ्तीश शुरू हुई तो पता चला कि यह पोस्टर विश्वास नेपाली के खुद के कंप्यूटर से बनाये गए थे। यहाँ से विश्वास नेपाली पुलिस के लिए अबूझ पहेली बना जो आज तक है।

सूत्र बताते है कि किलर मशीन मुन्ना बजरंगी सबसे अधिक विश्वास पर ही विश्वास करता था। सूत्र तो ये तक बताते है कि मुन्ना बजरंगी के कामो में भी विश्वास की काफी पैठ थी और घटना के बाद का एग्जिट प्लान केवल विश्वास ही बनाता था। हाईटेक टेकनोलाजी का माहिर विश्वास के नाम कई अपराध पंजीकृत हुवे और वह पुलिस की पकड़ से दूर ही होता चला गया। विश्वास का परिवार बनारस छोड़ कर वापस नेपाल चला गया। वही सूत्र कहते है कि विश्वास ने नेपाल जाकर पहले खुद की पैठ बनाया और उसके बाद परिवार को वहा बुलवा लिया।

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