अनुराग पाण्डेय
नई दिल्ली: लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 24 “स्वयंभू” संस्थानों को फर्जी घोषित किया है। जिनमे दो संस्थानों में मानदंडों का उल्लंघन पाया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बयान देते हुवे बताया कि छात्रों, अभिभावकों, आम जनता और इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्राप्त शिकायतों के आधार पर यूजीसी ने 24 स्वघोषित उच्च शिक्षा संस्थानों को फर्जी विश्वविद्यालय घोषित किया है।
इस लिस्ट में सबसे अधिक उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय है। जिनमे वाराणसी का वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय, महिला ग्राम विद्यापीठ, इलाहाबाद का गांधी हिंदी विद्यापीठ, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलेक्ट्रो कॉम्प्लेक्स होम्योपैथी, कानपुर का नेताजी सुभाष चंद्र बोस मुक्त विश्वविद्यालय, अलीगढ़ का उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय, मथुरा का महाराणा प्रताप शिक्षा निकेतन विश्वविद्यालय, प्रतापगढ़ और इंद्रप्रस्थ का शिक्षा परिषद, नोएडा।
इस लिस्ट में दिल्ली के ऐसे सात फर्जी विश्वविद्यालय हैं जिनमे वाणिज्यिक विश्वविद्यालय लिमिटेड, संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय, व्यावसायिक विश्वविद्यालय, एडीआर केंद्रित न्यायिक विश्वविद्यालय, भारतीय विज्ञान और इंजीनियरिंग संस्थान, स्वरोजगार के लिए विश्वकर्मा मुक्त विश्वविद्यालय और आध्यात्मिक विश्वविद्यालय। जबकि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में दो-दो ऐसे विश्वविद्यालय हैं। ये हैं – इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता और इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च, कोलकाता। इसके साथ-साथ नवभारत शिक्षा परिषद, राउरकेला और नॉर्थ उड़ीसा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी।
कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, और पुडुचेरी में एक-एक फर्जी विश्वविद्यालय हैं। ये हैं – श्री बोधि एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, पुडुचेरी; क्राइस्ट न्यू टेस्टामेंट डीम्ड यूनिवर्सिटी, आंध्र प्रदेश; राजा अरबी विश्वविद्यालय, नागपुर; सेंट जॉन्स यूनिवर्सिटी, केरल और बड़गंवी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसाइटी, कर्नाटक। फर्जी या गैर-मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों के खिलाफ यूजीसी द्वारा उठाए गए कदमों पर विस्तार से बताते हुए प्रधान ने कहा, “यूजीसी राष्ट्रीय हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्रों में फर्जी विश्वविद्यालयों/ संस्थानों की सूची के बारे में सार्वजनिक नोटिस जारी किए हैं।” उन्होंने कहा, “आयोग राज्य के मुख्य सचिवों, शिक्षा सचिवों और प्रमुख सचिवों को अपने अधिकार क्षेत्र में स्थित ऐसे विश्वविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखे हैं।”
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