तारिक खान
नई दिल्ली: जेलों की सरज़मीन खून से लाल होने का सिलसिला जारी है। वाराणसी से लेकर चित्रकूट तक इस खुनी खेल में कई खुद को कुख्यात समझे जाने वाले जेलों की चारदीवारी के भीतर ही परलोक सिधार चुके है। जेलों की सलाखो में अपनी जान को महफूज़ मानने वाले कुख्यात अपराधियों के लिए अब जेल की चारदिवारियां भी उनकी मौतों को आने से नही रोक पा रही है।
इस बार हत्या कांड दिल्ली के अतिसुरक्षित तिहाड़ जेल में हुई है। तिहाड़ जेल में कुख्यात गैंगस्टर अंकित गुज्जर के मर्डर से सनसनी फैली हुई है। बताया जाता है कि जेल नम्बर तीन में यह हत्या हुई है। जानकारी के अनुसार, अपराधी नरेंद्र मीना और उसके साथियों पर इस हत्या का आरोप है। अंकित को हाल ही में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उस पर यूपी पुलिस की तरफ से 1 लाख 25 हज़ार का इनाम था। अंकित पर 8 हत्याओ का आरोप था। अंकित की दहशत सिर्फ उसके इलाके में ही नही बल्कि दिल्ली तक थी।
सूत्र बताते अहि कि अंकित ने तिहाड़ जेल में बंद गैंगस्टर रोहित चौधरी से हाथ मिलाकर चौधरी गुज्जर गैंग बनाया था। इनकी मंशा साउथ दिल्ली में अपना वर्चस्व कायम करने की थी। अंकित ने अपने गांव यूपी के चांदी नगर से प्रधानी चुनाव लड़ रहे विनोद नाम के शख्स की हत्या कर दी थी और पूरे गांव में पोस्टर लगाए थे कि जो भी चुनाव लड़ेगा, उसको विनोद की तरह मारा जाएगा।
इस पोस्टर के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए अंकित गुज्जर एक सरदर्द बन गया था। सवा लाख के इनामिया बदमाश को पकड़ने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई जाल बिझाये थे मगर अंकित पुलिस के हत्थे नही पड़ा था। उधर दूसरी तरफ अंकित के पोस्टर लगने पर गाँव में भी दहशत का महोल हो गया था। इतने दुर्दांत अपराधी की सबसे सुरक्षित जेल तिहाड़ में हत्या ने जेल सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
क्या है परिजनों का आरोप और जेल प्रशासन का जवाब
गैंगस्टर के परिजनों का आरोप है कि जेल के एक अधिकारी मीणा ने कल अंकित के पास मोबाइल पकड़ा था। जिसके बाद मीणा और अंकित की हाथापाई हो गई थी। हाथापाई के बाद पुलिस उसे ले गई और उसे बहुत पीटा जिससे उसकी मौत हो गई। वहीं पुलिस का कहना है कि कैदियों के बीच झगड़ा हो गया था। झगड़े में के बाद अंकित की मौत हो गई।
जाने कौन था अंकित गुज्जर
अंकित गुज्जर बागपत का एक कुख्यात गैंगस्टर था। अंकित गुज्जर के ऊपर दो दर्जन से अधिक मामले हत्या, लूट, रंगदारी, हत्या के प्रयास, अपहरण आदि के गम्भीर धाराओं में पंजीकृत थे। अंकित गुज्जर को वर्ष 2015 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जिसके बाद वह वर्ष 2019 में ज़मानत पर बाहर आया था। जेल में रहने के दौरान ही उसने अपने साथ बंद एक अन्य गैंगस्टर रोहित चौधरी के साथ गठजोड़ करके चौधरी-गुज्जर गैंग का निर्माण किया था।
इस गैंग में अधिकतर अपराधी सदस्य राजस्थान के नीमराना इलाके के रहने वाले थे। इस गैंग के निर्माण के बाद अंकित गुज्जर ने दिल्ली में अपना गढ़ बना लिया था। यही से वह उत्तर प्रदेश में अपराध की घटनाओं को भी अंजाम दिलवाया करता था। अंकित गुज्जर को पुलिस ने विगत वर्ष सितम्बर में गिरफ्तार किया था। ये गिरफ़्तारी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने किया था।
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