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टोक्यो ओलम्पिक में काशी के लाल का कमाल, कांस्य पदक जीत कर भारतीय हाकी टीम ने खत्म किया चार दशको से चल रहा पदक का सुखा

तारिक खान

नई दिल्ली। टोक्यो में जारी ओलिंपिक 2020 खेलों में आज गुरूवार को भारत ने ओलिंपिक में 41 साल का सूखा खत्म करते हुए जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया है। भारतीय पुरुष टीम की इस ऐतिहासिक जीत में सफलता का राज बनी उसकी कड़ी मेहनत। जिसमें वाराणसी के लाल ललित उपाध्याय ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुख्य रूप से फॉरवर्ड और मिडफील्ड से खेलने वाले ललित उपाध्याय ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई है। देश के लिए हीरो बने सभी खिलाड़ियों के घरों और उनके शहरों में इस वक्त जश्न का माहौल है। इस क्रम में बनारस के शिवुपर क्षेत्र के भगतपुर में ललित उपाध्याय के घर पर जश्न मनाया जा रहा है।

मैच में एक  समय भारतीय टीम मुकाबले में 1-3 से पिछड़ रही थी, लेकिन दूसरे क्वार्टर में भारत ने मुकाबले को 3-3 की बराबरी पर ला दिया। और तीसरे क्वार्टर फ़ाइनल में भारत ने इस बढ़त को 5-3 करके बहुत हद तक कांस्य सुनिश्चित कर दिया। यहां से जर्मनी ने एक गोल के अंतर को कम जरूर किया, लेकिन वह 5-4 की बढ़त  से आगे नहीं जा सकी। जर्मनी को मैच के आखिरी मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन इसे गोलची श्रीजैश ने निस्तेज कर दिया और इसी के साथ पूरा भारत झूम उठा। कांस्य पक्का हो गया।

भारत ने आखिरी बार 1980 में मॉस्को ओलिंपिक में पदक जीता था, जो स्वर्ण के रूप में आया था। चौथे क्वार्टर की शुरुआत में ही जर्मनी ने पेनाल्टी कॉर्नर को भुनाते हुए गोल दागकर भारत की बढ़त का अंतर कम करते हुए 5-4 कर दिया था। इससे पहले भारत ने तीसरे क्वार्टर की शुरुआत में दो गोल दागकर खुद को 5-3 से आगे कर लिया था और यह बढ़त क्वार्टर के खत्म होने तक बरकरार रही। एक समय भारत 3-2 से पिछड़ रहा था, लेकिन भारत ने जबर्दस्त वापसी करते हुए खुद को आगे कर कर लिया। तीसरे क्वार्टर की शुरुआत में पेनल्टी स्ट्रोक को गोल में बदलकर जबर्दस्त वापसी करते हुए भारत ने 4-3 से बढ़त बनाई, तो थोड़ी ही देर बाद सिमरनजीत ने मैदानी गोल दागकर स्कोर को 5-3 कर दिया। इससे पहले भारत ने दूसरे क्वार्टर की समाप्ति पर मुकाबले को 3-3 से बराबरी पर ला दिया था।

मैच पहला गोल जर्मनी ने ही किया था, भारत के लिए बराबरी का गोल सिमरनजीत सिंह ने किया था, लेकिन इसके बाद  जमर्नी ने चंद मिनटों के भीतर ही दो गोल दागकर भारत पर 3-1 की बढ़त बनायी। बहरहाल भारत ने जल्द ही दूसरा गोल करके बढ़त के अंतर को 2-3 कर दिया। थोड़ी ही देर बाद भारत ने फिर पेनल्टी कॉर्नर को भुनाते हुए गोल दागकर मुकाबला 3-3 से बराबर कर दिया, जो दूसरा क्वार्टर खत्म होने तक बरकरार रहा। दूसरे क्वार्टर के बाद तक दोनों टीमों को चार-चार पेनल्टी कॉर्नर मिले। जहां जर्मन टीम एक भी पेनल्टी कॉर्नर को गोल में नहीं बदल सकी, तो वहीं भारत ने चार में से दो को गोल में बदला।

आखिरी क्वार्टर की शुरुआत में जर्मनी को पेनल्टी कॉर्नर मिला। भारतीय डिफेंडरों की लय यहां पिछले प्रयासों जैसी दिखायी नहीं पड़ी और विंडफेडर ने खेल के 48वें मिनट में मिले इस पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील करके भारत की बढ़त  के अंतर को कम करते हुए स्कोर को 5-4 कर दिया। खेल के 51वें मिनट में संभवत: भारत को मैच का सबसे बेहतरीन मौका मिला था, जब मनप्रीत गेंद को अकेले धकेलते हुए जर्मनी के डी में पहुंच गए। मनप्रीत के आस-पास कोई भी जर्मनी खिलाड़ी नहीं था। और वह मीलों आगे थे! लेकिन डी के पास पहुंचने पर वह सही निशाना नहीं लगा सके और उनकी लेफ्ट फ्लिक गोलची की छाती से जा टकरायी।

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