तारिक आज़मी
वाराणसी। वाराणसी के बिजनेस हब बने दालमंडी के कारोबारी सिर्फ अपने कारोबार से मतलब रखते है ये बात हम अपने लेख और समाचारों के माध्यम से कई बार बता भी चुके है। मगर फिर भी दालमंडी के कुछ मुट्ठी भर लोगो के द्वारा ऐसी हरकते होने लगती है जो पुरे इलाके को बदनाम करके धर देती है। बड़े बुज़ुर्ग जो अब तक संजीदगी से मामलो को हल कर देते थे। शायद खुद का वकार बचा रहे इसके लिए खामोश हो चुके है। उनकी ख़ामोशी इन मुठ्ठी भर लोगो के लिए जैसे संजीवनी बनी हुई है। ताज़ा मामला दालमंडी के पंजाबी कटरे के बाहर का सामने आ रहा है। जहा ग्राहक बुलाने के नाम पर दोअर्थी भाषाओं का प्रयोग और मौका मिलने पर छेड़खानी की शिकायते आने लगी है।
हम पंजाबी कटरे के बाहर खड़े होकर हालात का जायज़ा ले रहे थे। आसपास के दुकानदारों ने दोनों पटरी पर अपने स्टाफ खड़े कर रखे हुवे थे। इन स्टाफ का काम सड़क से केवल ग्राहक बुलाना होता है। यहाँ उजड्डपन की सभी हदे पार होते हुवे हमने अपनी आँखों से देखा। बेहूदगी की हद तो ऐसी कि एक लड़का आवाज़ लगता है “ओये चेक कर ले”, उस आवाज़ पर खड़ा सामने पटरी पर लड़का पास से गुज़रती युवती को भद्दे तरीके से टच करके कहा है “मैडम देख ले एक बार।” वो युवती बिना कुछ कहे आगे चले जाती है तो दोनों लड़के एक दुसरे को देख कर बेहयाई की हंसी हस्ते है।
दोअर्थी भाषा का प्रयोग तो इस प्रकार हो रहा था कि हम अपने लफ्जों में बयाना नही कर सकते है। हालात ऐसी थी कि कोई अगर उनकी हरकतों पर आपत्ति करता है तो उसको अपनी इज्जत से हाथ धोना पड़ेगा। क्योकि ये असल में एक नुक्कड़ के झुण्ड वाले गुंडे है। 8-10 की तायदात में झुण्ड बना कर इनकी गुंडागर्दी पंजाबी कटरे से शुरू होकर खजूर वाली मस्जिद होते हुवे बनिया चौराहे पर आकर खत्म हो जाती है। इस इलाके में अगर अपने कुछ बोला तो आप अपनी इज्ज़त खुद से गवा बैठेगे। इनको कटरे के दुकानदारों का बड़ा समर्थन भी हासिल है।
क्या है पुलिस की भूमिका
दरअसल पंजाबी कटरा थाना दशाश्वमेघ का हिस्सा पड़ता है। वही सड़क की एक पटरी चौक थाना क्षेत्र के पियरी पुलिस चौकी का क्षेत्र है वही दूसरी दशाश्वमेघ थाना क्षेत्र की है। अब दो थानों के बोर्डेर इलाके का सबसे बड़ा फायदा इन लफंगों को मिल जाता है। चौक पुलिस की गश्त के दरमियान ये ख़ास तौर पर अलर्ट मोड़ में हो जाते है क्योकि इनको पता है कि इस्पेक्टर चौक इनके बाप से नही डरने वाले और जमकर सबक सिखा देंगे। उनके आने की जानकारी होते ही बड़े सीधे और एकदम शरीफ बच्चो की तरह हो जाते है।
वही दशाश्वमेघ पुलिस इस क्षेत्र में गश्त बहुत कम करती है। अगर किया भी तो किसी को न कुछ बोलना और न टोकना। इन लडको के लिए दशाश्वमेघ पुलिस मित्र पुलिस लगती है। वही चौक पुलिस इनकी नज़र में खलनायक है जो वाकई में आम जनता के लिए नायक है। चौक इन्स्पेक्टर डॉ आशुतोष तिवारी किसी दबाव में आते ही नही है और जमकर कार्यवाही हो जाती है। शायद इसी कारण उनका डर इन लडको के दिमाग में है।
क्या करना चाहिए पुलिस को
जिस तरीके की हरकते यहाँ हो रही है, उसको रोकने के लिए आसपास एक दो कांस्टेबल की ड्यूटी लगा देना चाहिए और हरकत-ए-बेजा करने वाले एक दो को भी शांति भंग में भी चालान हुआ तो कई की गंदे दिमाग की नसे ढीली पड़ जाएगी। इस कटरे के आसपास जो अतिक्रमण करके बैठे है उनकी दुकानों को वापस अन्दर करवा देना चाहिए ताकि उन दुकानदारों को भी समझ में आये कि आखिर इन लफंगों की वजह से उनका नुक्सान हुआ है। जिससे वो भी इस लफंगापन की मुखालफत कर सके।
कौन है ज़िम्मेदार
एक व्हाट्सअप पोस्ट वायरल होने के बाद भी इस इलाके में काम करने कही और से आने वाले लडको की इतनी हिम्मत हो जाये ये समझ में नहीं आया था। हमने जब इस सम्बन्ध में आसपास के अपने सूत्रों से बात किया तो जानकारी हासिल हुई कि हमारी पोस्ट वायरल होने के बाद कई बड़े बुजुर्गो ने इस मामले का संज्ञान लिया और सख्त हिदायत दिया। मगर दुकानदार से बिल्डर बने एक युवक ने उन बुजुर्गो के मुखालिफ ही इन लडको का हौसला और बढ़ा दिया कि ग्राहक बुला रहे हो तो बुलाओ जो होगा मैं देख लूँगा।
असल में दुकानदार भी पंजाबी कटरे के ज़िम्मेदार है। अधिकतर दुकानों पर नवजवान लड़के बैठ कर दुकानदारी अब करते है। पहले बड़े बुज़ुर्ग उनके दुकानों पर रहते थे तो उनकी इज्ज़त और खौफ के कारण कोई भी हरकते नही होती थी। मगर बुजुर्गो को रिटायर कर दूकान पर जब से लडको ने अपना कब्जा जमा लिया है तब से ऐसी हरकतों को और भी बल मिल रहा है। कोई शिकायत करता है तो उसके सामने तो मैं अभी उसकी ?”#####च#### दूंगा” कहकर उस वक्त मामले को ठंडा कर देते है। शिकायत करने वाला जैसे ही जाता है उसके ही चरित्र पर लाख बाते उन्ही अपने स्टाफ के सामने करते है। इससे उन लडको को और मनोबल मिल जाता है।
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