शाहीन बनारसी/ ए जावेद
वाराणसी। पहाड़ों पर हो रही बरसात से बनारस में गंगा अब उफान पर आ गई हैं। हालात सैलाब जैसी बन चुकी है। वरुणा के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगो ने अपने आशियाने से ज़रूरी गृहस्थी का सामान बटोर कर कदमो को किसी और अशीयाने की तलाश में निकाल लिया है। कई इलाके ऐसे है जहा सैलाब का पानी एक तल्ला ऊपर तक पहुच चूका है। 2013 की दहशत दिलो से समेटे लोग पहले ही आशियाने से निकल कर कही ऐसी जगहों पर जा रहे है जहा उनको सैलाब का पानी नुक्सान न पंहुचा सके।
आज शुक्रवार को रात आठ बजे तक केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जलस्तर 70 मीटर पहुंच गया था। गंगा के जलस्तर में छह सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ोत्तरी हो रही है। सुबह से ही वरुणा पार इलाके में गंगा के पलट प्रवाह के कारण खलबली मची थी। पुलकोहना से नक्खीघाट के बीच दर्जनों की संख्या में मकान पानी से घिर गए हैं। बीते 36 घंटों में गंगा में दो मीटर सात सेंटीमीटर का बढ़ाव दर्ज किया गया। बाढ़ बुलेटिन के अनुसार शुक्रवार की सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 69.30 मीटर था, जो दोपहर दो बजे 69.66 मीटर पहुंच गया था। बृहस्पतिवार की सुबह आठ बजे जलस्तर 67.69 मीटर था। इन 24 घंटों में 01.61 मीटर पानी बढ़ गया। शुक्रवार की सुबह आठ से रात आठ बजे तक करीब आधा मीटर की वृद्धि हुई है। गंगा का चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर और खतरे का निशान 71.26 मीटर है। प्रयागराज में बढ़ाव जारी होने के कारण बनारस में जलस्तर में और बढ़ाव की आशंका बनी हुई है।
बाद नमाज़ जुमा आज हम हालात-ए-सैलाब का जायजा लेने निकल पड़े। कोनिया से लेकर नक्खी घाट तक सडको से हम बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में गए। ये वरुणा का तटवर्ती इलाका है जहा लोग दहशत में दिखाई दिए। लोगो के दिलो दिमाग में वर्ष 2013 की स्थिति याद है जब रात में उनके घरो में पानी घुस गया था और काफी लोग बाढ़ के पानी में अपने घरो में कैद हो गए थे। इन हालात से दुबारा दो चार न होना पड़े इसलिये लोग ऊँची बस्तियों में किराय का मकान तलाश रहे है। किराय के मकान देने वालो ने भी इस आपदा के समय अवसर को तलाश कर अपने कमरों के दाम बढ़ा दिए है।
शक्कर तालाब के कुछ इलाको में एक मंजिल उंचा पानी पहुच गया है और एक मंजिल तक की उचाई के मकान पानी में डूब चुके है। काफी लोग पहले तल्ले के डूब जाने के बाद दुसरे तल्ले पर रह रहे है। ये ऐसी स्थिति है कि उनके कदमो तले ज़मीन नहीं बल्कि पानी है। ये पानी उनको जहा और बढने की दहशत दे रहा है वही दूसरी तरफ मकान छोड़ कर चोरो के भय से नही जा पा रहे है। बताते चले कि चोर भी ऐसे अवसर तलाशते है।
वरुणा किनारे बसी बस्तियां कोनिया, दीनदयालपुर, नक्खीघाट, पुलकोहना में दो सौ से अधिक मकान पानी से घिर चुके हैं। आज जुमे के रोज़ सुबह से लोग अपने जरूरी सामानों के साथ पलायन कर रहे थे। तिनपुलवा के नीचे से होते हुए वरुणा में गिरने वाले नाले के दोनों ओर बने अधिकतर मकानों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। इन हालात में सबसे बड़ी बात ये निकल कर सामने आई कि इन इलाको के लोगो को ये तक नही जानकारी है कि प्रशासन ने इनके लिए बाढ़ चौकी का निर्माण कहा किया है। चमेलिया इलाके में भी पानी घरो के अन्दर घुस चूका है।
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