तारिक़ आज़मी
वाराणसी। वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश के निर्देशों पर पुरानी घोटालो की फाइले खुल रही है। नीलगिरी के घटना से संज्ञान लेकर वाराणसी पुलिस अब शाइन सिटी से सम्बंधित घोटालो के जड़ तक जाने की कोशिश में जुट गई है। वाराणसी जिले के हजारो लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने वाली रियल इस्टेट की शाइन सिटी सहित अन्य ऐसी फ्रॉड छह कंपनियों के बारे में भी पुलिस जानकारी इकट्ठा कर रही है।
मूल रूप से प्रयागराज के करैली निवासी शाइन सिटी कंपनी के सीएमडी राशिद नसीम और उसका भाई एमडी आसिफ नसीम वर्ष 2019 में देश छोड़ कर फरार हो गए थे। वर्ष 2019 में हमारे द्वारा एक समाचार इनके अपकमिंग घोटाले का भी प्रकाशित किया गया था। मामले में तत्कालीन एसएसपी ने संज्ञान भी लिया था, मगर कैंट पुलिस द्वारा प्रकरण को हल्के में लिया और जाँच के नाम पर खानापूर्ति किया गया। हमारे समाचार प्रकाशन के बाद से गुड मोर्निंग के जगह गुड मोर-अर्निंग कहकर जनता को बेवक़ूफ़ बनाने वाला राशिद नसीम और उसका भाई आसिफ नसीम अपने वाईस मैसेज के माध्यम से हमारे खबर को गलत बताते हुवे अपने कर्मचारियों को मोटिवेट कर जनता के पैसे की लूट मचाने के लिए खुला छोड़ रखा था।
राशिद नसीम ने शिवपुर स्थित सेंट्रल जेल रोड पर कार्यालय खोला था और इसके बाद दोनों भाइयों ने प्रोजेक्ट में निवेश कराने और एक ही जमीन को कई लोगों को रजिस्ट्री कराने, अधिक प्लॉट बिकवाने पर गोवा, बैंकाक, मलेशिया की सैर कराने से लेकर कार व बुलेट तक उपहार में देने की स्कीम के बहाने लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई। शिक्षकों, चिकित्सकों और अन्य कई लोगों का अरबों लेकर फरार सीएमडी-एमडी के बारे में पुलिस को कोई ठोस जानकारी नहीं है। वैसे हमारे सूत्र कहते है कि करेली से दोनों भाई अब खाड़ी के किसी देश में फरार हो चुके है और वहा होटल तथा अन्य व्यवसाय कर रहे है। पिछले साल पुलिस ने सीएमडी-एमडी के कर्ताधर्ता कंपनी में निदेशक की भूमिका में रहने वाले लक्सा निवासी अमिताभ श्रीवास्तव को नई दिल्ली स्थित बसंतकुंज से गिरफ्तार किया था। पुलिस की पूछताछ में अमिताभ श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी थी कि सीएमडी-एमडी दोनों भाई दुबई में हीरा और होटल व्यवसाय से जुड़ गए हैं।
वाहन के नाम भी जनता को जमकर लूटा है शाइन सिटी ने
शाइन सिटी के एमडी और सीएमडी ने सस्ते दर पर वाहन देने एक वायदे के साथ काफी लम्बी लूट किया था। ये घोटाला तो अभी तक पुलिस के संज्ञान में आया ही नही है। हमको जानकारी मिलने पर वर्ष 2019 में हमने एक समाचार संकलन क्या था और मामले की गंभीरता से आम जन को अवगत करवाया था। मगर पुलिस काश उस समय एक्शन मोड़ दिखाती तो शायद राशिद नसीम आज सलाखों के पीछे होता।
25 हज़ार में एक्टिव और महज़ एक लाख में बुलेट तथा 4 लाख में इनोवा दिलवाने का ग्राहकों से वायदा करने वाला राशिद नसीम शायद भागते समय भी भुत की चड्ढी नोच लेने की नियत रखकर फरार हुआ है। पुलिस को इस मामले में अभी तो शिकायत ही नही मिली है क्योकि बुकिंग अमाउंट को भूल चुकी जनता अभी तक पुलिस के पास अपनी शिकायत करने गई ही नही है। मगर असली दिमागदार तो राशिद नसीम और आसिफ नसीम थे जो जनता का पैसा लूट रहे थे और तत्कालीन प्रशासन मम्मले में शांत बैठा था। अगर उस समय ही गंभीर प्रयास किया जाता तो इस समय शायद राशिद नसीम और आसिफ नसीम सालको के पीछे होते।
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