तारिक आज़मी
वाराणसी में दो दशक से अपना अपराधिक सिक्का चलाने वाला, अभिनेत्री मनीषा कोईराला के सचिव अजीत देवानी की हत्या कर देश में सनसनी फैलाने वाला कुख्यात मनीष सिंह जंसा को आज मुम्बई पुलिस ने धर दबोचा है। मनीष पर 50 हज़ार का उत्तर प्रदेश पुलिस ने इनाम रखा हुआ था। मिले समाचारों के अनुसार मनीष को महाराष्ट्र में अहमदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जंसा निवासी मनीष सिंह के ऊपर वाराणसी के विभिन्न थानों में हत्या, लूट, रंगदारी और आर्म्स एक्ट के 11 मुकदमे दर्ज हैं। मनीष मुन्ना बजरंगी के मारे जाने के बाद उसके आर्थिक साम्राज्य को सम्भालता था।
साधारण सा दिखने वाला युवक कैसे बना इतना खूंखार अपराधी
बचपन से मनीष सिंह चंचल और दबंग किस्म की छवि बना कर इलाके में रहता था। उसके परिजन उसके इस दबंगई का समर्थन कर जाते थे। जंसा के दीनदासपुर में रहने वाला मनीष सिंह युवावस्था में ही अपराध की डगर पर चल पडा था। 30 जून 2001 में फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला के सचिव अजीत देवानी की रंगदारी नहीं देने पर हत्या कर दी थी। इस हत्या में शूटर के तौर पर मनीष सिंह का नाम सामने आया था। हालांकि इस हत्याकांड में अबू सलेम और चोलापुर के इमलिया गांव निवासी दीपक सिंह दीपू का भी नाम सामने आया था। दीपू को वर्ष 2009 में बिहार पुलिस ने सासाराम में मार गिराया था। उधर, इस चर्चित हत्याकांड के बाद से मनीष की पहचान हुई और महाराष्ट्र के बकोला थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था।
बनारस सहित पूर्वांचल के जरायम जगत में चर्चित नाम मनीष सिंह पर कैंट थाने की पुलिस ने 24 मई 2010 को 50 हजार का इनाम घोषित किया था। एक दशक से अधिक समय से फरार मनीष सिंह ने 21 अप्रैल 2007 को आरके सिंह की रथयात्रा स्थित एक लॉन के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या से पुलिस की इतनी किरकिरी हुई कि तत्कालीन एसएसपी सुजीत कुमार पांडेय को हटा दिया गया था। घटना में शूटर के तौर पर मनीष का ही नाम सामने आया था।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार मनीष सिंह ने वर्ष 2012 में आरके सिंह हत्याकांड में साजिशकर्ता रहे अशोक तलरेजा पर दिनदहाड़े फायरिंग की थी। इसी दिन शाम को लूट की नियत से रोहनिया में आढ़ती हरिनाथ पटेल की गोली मारकर हत्या की थी। इसके बाद मनीष ने मुंबई में कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया। रोहनिया थाने के एक मामले में चार साल पूर्व एसओ रहते हुए शिवानंद मिश्रा ने मनीष के दबोचने को लेकर घेराबंदी की थी लेकिन वह भाग निकला था, और शिवानन्द मिश्रा हाथ मलते रह गये थे। इसके बाद तो मनीष एक डरावने सपने की तरह ही हो गया था और पुलिस को दुबारा उसकी सुराग नही मिल पाई थी।
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