Crime

पुलिस जाच में साबित हुआ कि षड़यंत्र के तहत संजय सहगल “बब्बन” पर लगा था झूठा बलात्कार का आरोप, बढ़ सकती है वादिनी/पीडिता और षड्यंत्रकारियो की मुश्किलें

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी के दशाश्वमेघ थाने में अदालत के आदेश पर पंजीकृत अपराध संख्या 33/2021 पर पुलिस ने अपनी तफतीश पूरी कर विवेचना की फाइनल रिपोर्ट अदालत में पेश कर दिया है। 520 पेज के संलग्नको सहित इस फाइनल रिपोर्ट में पुलिस ने पाया है कि संजय सहगल “बब्बन” पर एक षड़यंत्र के तहत बलात्कार का झूठा आरोप लगा था। पुलिस ने अदालत से इस प्रकरण में 182 की कार्यवाही का भी निवेदन प्रेषित किया है। इस रिपोर्ट के बाद प्रकरण में षड्यंत्रकारियो में खलबली मची हुई है। वही क्षेत्र में पुलिस की निष्पक्ष जाँच को लेकर प्रशंसा का दौर जारी है।

बताते चले कि बिहार की मूल निवासिनी और वर्त्तमान में चंदौली जनपद के चौरहट में रहने वाली एक महिला ने आरोप लगाया था कि वह झोला सिलने का काम संजय सहगल के लिए करती है और घटना वाले दिन यानी 2 फरवरी 2021 को वह संजय सहगल “बब्बन” के आवास पर झोला पहुचाने सुबह 10 बजे गई थी तभी आरोपी संजय सहगल ने उसके साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया। जिसकी शिकायत उसने पुलिस से किया और पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न होते देख अदालत का रुख किया और 156(3) के तहत मामला दर्ज करवाया जिसमे अदालत ने मुकदमा पंजीकृत कर प्रकरण में विवेचना करने का आदेश दशाश्वमेघ पुलिस को दिया था।

पुलिस ने विवेचना के दरमियान आखिर सिद्ध किया कि उसके लम्बे हाथ पेड़ से आम तोड़ने को नही बने है बल्कि अपराध के जड़ तक पहुचे के लिए है। पुलिस की विवेचना रिपोर्ट के अध्यन से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने सर्वप्रथम पीडिता/वादिनी के मोबाइल की घटना के दिन की लोकेशन निकाली तो सुबह दस बजे से लेकर शाम तक उसके मोबाइल की लोकेशन चौरहट की दिखाती रही। वादिनी/पीडिता के 161 तथा 164 के बयानों के आधार पर पुलिस ने आरोपी संजय सहगल “बब्बन” के भी काल डिटेल निकलवाया। इसमें भी कुछ संदिग्ध न निकलने पर पुलिस ने प्रकरण में आगे की जांच करते हुवे वर्णित घटना स्थल की जाँच किया और स्वतंत्र गवाहों का बयान लिया। स्वतंत्र गवाहों के बयानों के अनुसार भी घटना की पुष्टि नही हुई। किसी ने भी घटना के सम्बन्ध में पुष्टि नही किया वही पीडिता/वादिनी ने खुद का चिकित्सीय प्रशिक्षण करवाने से इन्कार कर दिया था।

पुलिस ने मामले में सदिग्धता देखते हुवे पुरे षडयत्र का पर्दाफाश करने का काम शुरू किया और एक बिल्डर सहित क्षेत्र के एक नेता और वादिनी/पीडिता के पुरुष मित्र की जब सीडीआर निकाली तो मामला पूरी तरह से साफ़ हो गया कि पुलिस को गुमराह करते हुवे आखिर किस तरह से वादिनी/पीडिता ने झूठा आरोप लगाया था। सीडीआर से साफ़ हुआ कि नवम्बर 2020 से लेकर अगस्त 2021 तक आरोपी संजय सहगल “बब्बन” की न तो कोई काल पीडिता/वादिनी को नही गई और न ही दोनों के मोबाइल लोकेशन एक दुसरे से कभी भी मिले। बल्कि आरोप लगाने वाली महिला के पुरुष मित्र राशिद से अधिकतर बाते हुई है। वही वादिनी के आरोपों के अनुसार संजय सहगल “बब्बन” उसके चौरहट स्थित आवास पर आता जाता रहा है। जब पुलिस ने इस मामले में तफ्तीश किया तो उस इलाके का कोई भी संजय सहगल को आते जाते पहले कभी नही देखे था।

मामले में पूरी तरह से तह तक जाते हुवे पुलिस ने घटना के एक एक कड़ी को जोड़ कर देखा और एक एक सबूत और स्वतंत्र गवाहों और बयानों को अंकित करते हुवे इस निष्कर्ष को निकाला कि पीडिता/वादिनी द्वारा अपने पुरुष मित्र राशिद अली के और अन्य के साथ मिल कर एक षड़यंत्र के तहत यह झूठा आरोप लगाया था। पुलिस ने प्रकरण में 182 के तहत अदालत से कार्यवाही करने का अनुरोध दिया है। मामला अदालत में है। अदालत प्रकरण में क्या निर्णय लेती है वह अंतिम और सर्वमान्य होगा। मगर इस रिपोर्ट के बाद षड्यंत्रकारियो और उनके सहयोगियों में खलबली मची हुई है। वही क्षेत्र में निष्पक्ष लोगो ने पुलिस द्वारा जाँच इतनी बारीकी से करने की तारीफ हो रही है।

यह कोई पहला केस नही इसके पूर्व भी दर्ज हुआ था आदमपुर में ऐसा ही फर्जी केस 

इस मामले में राशिद खान की संलिप्तता सामने आने के बाद आदमपुर में दर्ज हुवे एक रेप और पाक्सो के केस की याद ताज़ा करवा दिया। आदमपुर थाना क्षेत्र के कोनिया निवासिनी एक मासूम बच्चो को सामने रखकर राशिद के द्वारा अपने साले इमरान पर भी ऐसे ही बलात्कार का मामला दर्ज करवाया गया था। जिसमे वादिनी मुकदमा में अपने बयान में हकीकत भी बयान कर दिया था। प्रकरण में पुलिस ने ऍफ़आर लगाई थी। मगर उस मामले में पुलिस ने 182 की कार्यवाही नही किया था। एक बार फिर राशिद की संलिप्तता ऐसे ही मामले में सामने आने के बाद आदमपुर के उस मामले की याद लोगो के दिमाग में ताज़ा हो गई है।

काफी पड़ा था पुलिस पर षड्यंत्रकारियो और वादिनी/पीडिता का दबाव

पुलिस सूत्रों की माने तो इस प्रकरण में जांच से पहले ही गिरफ्तारी और अन्य कार्यवाही करने का षड्यंत्रकारियो और वादिनी के तरफ से काफी दबाव पुलिस पर पड़ा था। मगर एसीपी दशाश्वमेघ अवधेश कुमार पाण्डेय ने स्पष्ट निर्देश अपने अधिनस्थो को दे रखा था कि इस मामले में पूरी तफ्तीश के बाद ही कार्यवाही हो। तत्कालीन थाना प्रभारी राजेश कुमार पर भी षड्यंत्रकारियो ने काफी दबाव बनाने की कोशिश किया था ऐसा पुलिस सूत्रों का कहना है। मगर वह भी दबाव के आगे झुके नही और मामले की तह तक आखिर पुलिस पहुच ही गई।

pnn24.in

Recent Posts

महाराष्ट्र में सीएम पद हेतु बोले अजीत पवार गुट ने नेता प्रफुल्ल पटेल ‘हर पार्टी चाहती है कि उसको मौका मिले’

आफताब फारुकी डेस्क: महाराष्ट्र में चुनावी जीत के बाद महायुति गठबंधन में शामिल एनसीपी (अजित…

4 hours ago

उपचुनाव नतीजो पर बोले अखिलेश यादव ‘यह नतीजे ईमानदारी के नहीं है, अगर वोटर को वोट देने से रोका गया है तो वोट किसने डाले..?’

मो0 कुमेल डेस्क: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने…

5 hours ago

बोले संजय राऊत ‘महाराष्ट्र चुनाव के नतीजो हेतु पूर्व सीएजआई चंद्रचूड ज़िम्मेदार है’

फारुख हुसैन डेस्क: शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव…

5 hours ago