तारिक़ आज़मी संग शाहीन बनारसी
वाराणसी। भोली-भाली जनता को सपनो का आशियाना दिखाकर उनकी ज़िन्दगी भर की कमाई को ठगने का काम सिर्फ नीलगिरी और शाइन सिटी ही नहीं बल्कि शहर के कुछ बिल्डर भी करते है। इसमें एक बड़ा नाम अतीक गुड्डू का आज कल उभरकर सामने आया है। पाई-पाई जोड़ कर इंसान अपना आशियाना बनाना चाहता है मगर इसके जैसे बिल्डर उनकी ज़िन्दगी भर की कमाई को एक सपना दिखाकर ठग लेते है। ठगा हुआ इंसान अपनी अर्जियां लेकर थाने चौकी दौड़ लगाकर थक कर बैठ जाता है। उनमे से कुछ बिरले ही होते है जो इन्साफ की जंग आखिरी लम्हों तक जारी रखते है।
सौदा तय होने के बाद महताब कुरैशी ने अतीक अहमद गुड्डू को पेशगी के तौर पर साढ़े आठ लाख रुपया दिया। बाकी रकम फ्लैट की रजिस्ट्री के समय देने की बात हुई। लेकिन 3 साल गुजर जाने के बाद भी महताब कुरैशी अतीक गुड्डू के पीछे-पीछे दौड़ता रहा और उसको फ्लैट नहीं मिला। इस दौरान वायदा किया हुआ फ्लैट भी अतीक गुड्डू ने किसी और को बेच दिया। महताब से जब भी मुलाकात होती, तब अतीक गुड्डू उसको फ्लैट देने का वायदा करता और कोई न कोई तारीख दे देता। थक हार कर महताब ने पुलिस कमिश्नर को इस सम्बन्ध में तहरीर दी, जिस पर पुलिस कमिश्नर ने जांच हेतु थाना चेतगंज को निर्देशित किया।
मामले की जांच तत्कालीन चौकी प्रभारी पानदरीबा को मिली। तत्कालीन चौकी प्रभारी पानदरीबा मिथिलेश यादव ने दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठा कर बात की। उस समय अतीक गुड्डू ने 3 महीने के अन्दर फ्लैट महताब को देने का वायदा किया। 3 महीने गुजर गये मगर अतीक गुड्डू ने न ही महताब को फ्लैट दिया और न ही महताब को पैसे वापस करने की उसकी नियत थी। थक हार कर महताब ने अदालत का सहारा लिया। अदालत ने महताब की सुनी और अतीक गुड्डू पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश चेतगंज थाने को दे दिया। समाचार लिखे जाने तक चेतगंज थाने ने मुकदमा दर्ज नहीं किया है। ऐसी जानकारी हमारे पुलिस सूत्र उपलब्ध करा रहे है।
वही अतीक गुड्डू थाने चौकी पर अपने रोआब से काम सलटा लेने की दम्भ भी लोगो से भरता सुनाई पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि अतीक गुड्डू के ऊपर कोई पहला मामला दर्ज हो रहा है। इससे पहले थाना शिवपुर में इसके ऊपर धोखाधड़ी का मुकदमा इसके ही एक पूर्व पार्टनर मुहम्मद आज़म उर्फ़ राजू द्वारा दर्ज करवाया गया है। जिसमे इसके ऊपर 88 लाख रुपया हड़प कर लेने का आरोप है। इस मामले में हमारे सूत्रों ने जानकारी दिया है कि अतीक गुड्डू प्रकरण में विवेचक से अपनी सेटिंग कर बैठा है। ऐसी ही सेटिंगो के बल पर इसके खिलाफ पड़ने वाली हर एक शिकायत किसी न किसी ठण्डे बसते में चली जाती है।
चंद तथाकथितो और कुछ सफ़ेदपोशो के संरक्षण में ऐसे बिल्डरों का ठगी का कारोबार जारी रहता है। 2-4 हज़ार में खुद को बड़ा समाजसेवक दिखाकर थाने चौकी पर छोटे-मोटे गिफ्ट पहुंचाकर होली-दिवाली जैसे त्योहारो पर मिठाई तकसीम कर ये लोग स्थानीय पुलिस के चहीते बन जाते है। इसके बाद पाई-पाई जोड़ कर अपना आशियाना बनाने की चाहत रखने वाले थाने चौकी के चक्कर काटा करते है। इसका एक जीता जागता उदाहरण इसके ऊपर शिवपुर में मामला है। सूत्रों के मुताबिक, इसके उस मामले में वहां तैनात एक इसका पूर्व परिचित हेड कांस्टेबल इसकी पैरवी कर रहा है। वही वादी मुकदमा मुहम्मद आज़म उर्फ़ राजू अपनी बातो को रखने के लिए परेशान है। इसके रसूख की बात इसी से समझी जा सकती है कि वादी मुकदमा आज़म उर्फ़ राजू ने जब पुलिस कमिश्नर को तहरीर दिया था तो उसकी जांच तत्कालीन एसआई मुहम्मद अकरम को मिली थी। मगर दरोगा जी ने कोई कार्यवाही नही किया था, जिससे मजबूर होकर वादी मुकदमा ने अदालत का रुख किया था। और अदालत ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था।
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