ए जावेद संग शाहीन बनारसी
डेस्क. वैदिक कन्या गुरुकुलम, हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ की ओर से संचालित गुरुकुल है। इसकी बिल्डिंग से कूदकर एक साध्वी ने सुसाइड कर लिया है। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें कई बातें लिखी हैं। बताया जा रहा है कि साध्वी पिछले 6 साल से गुरुकुल में रह रही थी। हालांकि ये पुष्टि नहीं हो पाई है कि साध्वी ने किस वजह से आत्महत्या की।
सुसाइड नोट में क्या लिखा है?
बहादराबाद थाने के इंचार्ज परवेज अली ने बताया कि मौके से एक सुसाइड नोट मिला है। उसमें धार्मिक बातों का जिक्र है। उन्होंने इससे ज्यादा सुसाइड नोट के बारे में नहीं बताया। जनसत्ता की एक रिपोर्ट बताती है कि सुसाइड नोट में एक शख़्स का जिक्र करते हुए कई बातें लिखी हुई हैं, हालांकि पूरे सुसाइड नोट में साध्वी का नाम नहीं लिखा है। जनसत्ता के मुताबिक, सुसाइड नोट में देवपूर्णा दीदी का जिक्र है। इसके अलावा स्वामी, आचार्य, गुरुदेव, माता पिता और भाई को प्रणाम भी किया है।
बहादराबाद थाने के डीएसपी परवेज़ अली ने कहा कि सुसाइड नोट साध्वी के कमरे से बरामद हुआ है। हमने उनके माता-पिता को ख़बर कर दी है। मामले की जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चीजें कुछ साफ़ हो पाएंगी।
परिजन पहुचे हरिद्वार
वैदिक कन्या गुरुकुल में पांचवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करने वाली छात्रा साध्वी देवज्ञा का परिवार सोमवार सुबह हरिद्वार पहुंच गया। पुलिस ने डाक्टरों के पैनल से शव का पोस्टमार्टम कराया है। जिसके बाद कनखल श्मशान घाट पर शव का अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, साध्वी के स्वजन का कहना है देवज्ञा ने कभी मानसिक परेशानी का जिक्र नहीं किया, घटना से वह हतप्रभ हैं।
पतंजलि कन्या गुरुकुल में एमए महाभाष्य की छात्रा देवज्ञा उर्फ राधा निवासी सेमलिया तहसील हलौरा जिला मंसौर मध्य प्रदेश ने रविवार तड़के चार बजे संदिग्ध परिस्थितियों में पांचवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। एक रजिस्टर से सात पन्नों का सुसाइड नोट भी पुलिस को बरामद हुआ था। सूचना मिलने पर साध्वी के पिता ईश्वर लाल, बड़े भाई नंद किशोर व नारायण और परिवार के अन्य लोग हरिद्वार पहुंच गए। महिला उपनिरीक्षक पूनम प्रजापति के पंचनामा भरने के बाद तीन डाक्टरों के पैनल ने शव का पोस्टमार्टम किया।
हरिद्वार जिला अस्पताल में मीडिया से बात करते हुए साध्वी के पिता ईश्वर लाल ने बताया कि वह पेशे से किसान हैं। बेटी देवज्ञा ने अपनी मर्जी से संन्यास लेने का फैसला लिया था। तभी से वह पतंजलि में रहती आ रही थी। लेकिन, उसने कभी किसी परेशानी से उन्हें अवगत नहीं कराया। जबकि गुरु पूर्णिमा पर वह परिवार सहित करीब 15 दिन पतंजलि में रहकर गए थे। तब भी बेटी ने कोई शिकायत या किसी परेशानी का जिक्र नहीं किया था।
साभार – जनसत्ता
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