तारिक आज़मी संग ईदुल अमीन
वाराणसी। वाराणसी के नई सड़क कपडा मार्किट के बहुचर्चित “डीएम” साहब का वैसे तो हर एक जुगाड़ करीब करीब पुलिस ने खत्म कर डाला है। मगर आज भी पुलिस के नाम को बदनाम करते हुवे ये कुछ न कुछ हरकत-ए-बेजा किया करता है, जिससे पुलिस का नाम बदनाम होता रहता है। सिर्फ स्थानीय पुलिस ही नहीं बल्कि अब तो एसटीऍफ़ और क्राइम ब्रांच तक का नाम बदनाम करने में इसको महारत हासिल हो चुकी है। कुछ ऐसी ही हरकत कल रात लगभग 9 बजे के करीब दालमंडी में इस नई सड़क कपडा मार्किट के बहुविवादित “डीएम साहब” ने किया। मगर इस बार हरकत थोडा भारी पड़ गई और दुकानदारों ने ही इसको दौड़ा लिया है।
कल मंगलवार की रात लगभग 8:30 बजे के करीब वापस ये “वसूली भाई” बनकर दालमंडी पंहुचा। इसके साथ दो अन्य युवक थे जिनका परिचय इसने लोगो को “एसटीऍफ़ और क्राइम ब्रांच के साहब” कहकर दुकानदारों से करवाया। आकाश दीप बेच रहे दुकानदारों से इसने कहा कि “साहब का पैसा दो।” एक दुकानदार से इसने 10 हज़ार और दुसरे से 25 हज़ार माँगा और मौके पर खड़ा होकर दबाव बनाने लगा। इसकी जानकारी क्षेत्र के सम्भ्रान्त नागरिको को हुई तो मौके पर दो संभ्रांत नागरिको ने इसको रोका और कहा कि किस साहब ने पैसे मंगवाए है। पहले तो इसने एसीपी दशाश्वमेघ अवधेश पाण्डेय का नाम लिया, तो लोगो ने मोबाइल निकाल कर एसीपी दशाश्वमेघ को फोन करने की बात कही। जिसके बाद इसने इस्पेक्टर चौक और फिर थानाध्यक्ष दशाश्वमेघ का नाम लिया।
इस दरमियान किसी ने इसकी जानकारी दालमंडी चौकी इंचार्ज अजय कुमार को प्रदान कर दिया। बात बिगडती, और अपना खेल गड़बड़ाता देखा कर इसके साथ के दो कथित एसटीऍफ़ और क्राइम ब्रांच वाले निकल लिया। ये अकेला पड़ा और इसको समझ आ गया कि जनता जाग गई है। ये सरकना चाहता था कि आसपास के दुकानदारों ने इसको रोकना चाहा, ताकि मौके पर दालमंडी चौकी इंचार्ज आ जाये और इसका रोज़ का ये खेल पुलिस के नाम पर वसूली बंद हो जाए। मगर ये छटक कर निकल लिया। इस दरमियान दो चार हाथ कुछ युवको ने इसको रसीद कर डाला। नई सड़क कपडा मार्किट के “डीएम साहब” वसूली नहीं कर सके और खुद को फंसता देख दो चार हाथ खाते हुवे धक्के देते हुवे भाग खड़े हुवे।
मौके पर सुचना पाकर चंद मिनटों में पहुचे दालमंडी चौकी इंचार्ज ने इसको और इसके साथियों की तलाश किया। मगर तब तक बंशीधर कटरे से होते हुवे ये बेनियाबाग़ की तरफ से फरार हो गया था। दालमंडी चौकी इंचार्ज और स्थानीय नागरिको ने इसका अवैध वसूली का खेल ख़राब कर दिया था। जलाल में आये “नई सड़क कपडा मार्किट के डीएम साहब” ने फरार होने के पहले कल “सबके घर पर छापा मरवाउंगा” की धमकी दे डाली है। इसकी धमकी ही है जो स्थानीय दुकानदारों और आम नागरिको को दहशत में रखती है। इसी कारण इस “वसूली भाई” का वसूली कार्यक्रम जारी है। साथ में इसके दशाश्वमेघ थाने के कुछ सिपाही “चाय पान” करते रहते है जिससे इसका मनोबल और भी बढ़ा हुआ है।
दूसरी तरफ जब तक थाना प्रभारी राजेश कुमार दशाश्वमेघ थाने पर थे तब तक थाने के अन्दर इसके आने पर प्रतिबन्ध उन्होंने लगा रखा था। थाने पर दिखाई देने पर तुरंत इसको क्यों आये ? क्या काम है? कहकर तुरंत भगा दिया जाता था। मगर उनके स्थानान्तरण के बाद से इसकी थाने के अन्दर आमदरफत बढ़ गई है। जिसका अनुचित लाभ ये इलाके में पुलिस के नाम पर वसूली के तौर पर करता है। ये ज़रूर है कि एसीपी दशाश्वमेघ अवधेश कुमार पाण्डेय ने इसके ऊपर अपनी सख्त नज़र रखा हुआ है। मगर उनके कार्यालय में न रहने पर ये अक्सर उनके कार्यालय में तैनात सिपाहियों के साथ बैठा नज़र आता है। इसका सिर्फ एक मकसद रहता है कि ये जनता के नज़र में खुद को पुलिस का काफी करीबी बताये और फिर पुलिस के नाम पर वसूली करे।
क्या कहती है पुलिस
इस सम्बन्ध में एसीपी दशाश्वमेघ अवधेश कुमार पाण्डेय ने पहले ही जनता से अपील किया है कि किसी भी समस्या पर सीधे उनसे संपर्क करे, वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के नाम पर कोई भी पैसो की मांग करता है तो सीधे उसकी सुचना स्थानीय पुलिस को प्रदान करे।
वही कल घटना के तुरंत बाद मौके पर पहचे दालमंडी चौकी इंचार्ज अजय कुमार ने इस्पेक्टर चौक के संदेशो से क्षेत्र के नागरिको को अवगत करवाते हुवे कहा कि “कोई भी अगर पुलिस के नाम पर आपको डराता और धमकता है तो आप सीधे स्थानीय चौकी इंचार्ज अथवा इस्पेक्टर चौक को सूचित करे। आपको किसी से डरने की ज़रूरत नही है।” गश्त पर निकले इस्पेक्टर चौक डॉ आशुतोष तिवारी ने भी क्षेत्र के दुकानदारों से अपील किया कि वह अपनी समस्याओं से सीधे उन्हें अवगत करवाए और किसी के बहकावे में न आये।
आखिर कब कसेगी वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस इस “वसूली भाई” पर शिकंजा
पिछले डेढ़ दशक के लगभग समय से ये “वसूली भाई” नई सड़क और दालमंडी में पुलिस के नाम पर अवैध वसूली कर रहा है। एक सामाजिक संगठन का खुद को पहले सदस्य बताने वाले के सम्बन्ध में उस संगठन ने स्पष्ट कह दिया है कि ये “वसूली भाई” उनका सदस्य नही है और संस्था से उसका कोई लेना देना नहीं है। इसके बावजूद भी क्षेत्र में इसके कारनामो की दहशत है। खुद की दूकान पटरी पर कब्ज़ा करके लगाने वाला ये “वसूली भाई” आसपास के दुकानदारों से अतिक्रमण के नाम पर पुलिस की धौस दिखाते हुवे पैसे वसूलता है। खुद का पारिवारिक अपराध का इतिहास रखने वाले “वसूली भाई” द्वारा किसी को भी अपराधी कहकर पुलिस से संबोधित किया जाता है। मगर पुलिस इसकी हरकतों पर नज़रे फेरे रहती है। अब बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर इस “वसूली भाई” पर कब पुलिस अपना शिकंजा कसेगी ?
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