आदिल अहमद (इनपुट : सायरा शेख)
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Former Police Commissioner Parambir Singh) मामले में नया खुलासा हुआ है। परमबीर सिंह (Former Police Commissioner Parambir Singh) के खिलाफ आरोप लगा है कि उन्होंने 26/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड कसाब का मोबाइल फोन गायब करवाने में मदद की थी। यह आरोप मुम्बई पुलिस के रिटायर्ड एसीपी शमशेर खान पठान ने लगाया है। शमशेर खान पठान (Shamsher Khan Pathan) इस मामले में 26 सितंबर 2021 को मुंबई सीपी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग की। रिटायर्ड एसीपी ने आरोप लगाया है कि जहां कसाब को पकड़ा गया था वहां परमबीर सिंह भी मौके पर आए थे। तब परमबीर सिंह ने वो फोन अपने पास रख लिया जबकि उन्हें जांच अधिकारी रमेश महाले को देना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह से जांच में सहयोग करने को कहा है। कोर्ट ने फिलहाल परमबीर सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और उनसे पूरे मामले की जांच के दौरान सहयोग बरतने का निर्देश दिया था। कोर्ट में उनके वकील ने कहा कि परमबीर सिंह को पूरे मामले में फंसाया जा रहा है। उन्होंने जिन अधिकारियों को भ्रष्ट आचरण के लिए दंडित किया है, उन्हीं को आज शिकायतकर्ता बनाया गया है। अब तक उनके खिलाफ छह मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट में परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई के दरमियान उनके वकील ने बताया कि वह इसलिए छुपे हुए हैं, क्योंकि मुंबई पुलिस से उनकी जान को खतरा है। उन्होंने बताया कि वह 48 घंटे के भीतर सीबीआई या कोर्ट में पेश होने के लिए तैयार हैं। बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की अवैध वसूली कराने का आरोप लगाने के बाद से परमबीर सिंह फरार चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले में सीबीआई और महाराष्ट्र डीजीपी को नोटिस भी जारी किया गया है। इसके तहत परमबीर सिंह के खिलाफ फिलहाल कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है।
परमबीर सिंह के वकील द्वारा सुप्रीम कोर्ट में उनकी जान के खतरे का दावा किये जाने के बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे ने हैरानी जताई थी। उन्होंने कहा कि यह जानकर हैरान हूं कि जिस व्यक्ति (मुंबई और ठाणे के पुलिस आयुक्त के रूप में सेवा करने वाले पूर्व सीपी परमबीर सिंह) ने महत्वपूर्ण पदों पर काम किया, वह अपने जीवन के लिए खतरा महसूस करता है।
कोर्ट अब इस मामले में छह दिसंबर को अगली सुनवाई करेगा। इससे पहले उनके वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर सवाल उठाया जिसमें उन्हें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण(कैट) का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने 18 नवंबर को संरक्षण की मांग वाली सिंह की याचिका पर यह कहते हुए विचार करने से इनकार करते हुए कहा था कि जब तक वह अपने ठिकाने का खुलासा नहीं कर देते तब तक न तो उनकी याचिका पर सुनवाई होगी और न ही राहत दी जा सकती है। मुंबई की एक अदालत ने 17 नवंबर को उसे भगोड़ा घोषित करने के लिए मुंबई पुलिस की अर्जी को स्वीकार कर लिया था।
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