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महिला सुरक्षा कानून का दुरूपयोग (भाग -1) : कभी सीमा बनी पाण्डेय तो कभी तिवारी और त्रिपाठी, और कभी प्रीतो और प्रीती, संदिग्ध है मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र में हुई रेलवे कर्मचारी अनिल पाण्डेय की मौत

शाहीन बनारसी

वाराणसी जनपद के निकट चंदौली जिले के पड़ाव पर दिनांक 24 अक्टूबर 2021 को एक पिकअप के धक्के से ऑटो सवार रेलवे कर्मचारी अनिल पाण्डेय की मौत हो गई थी। प्रकरण में काफी कुछ शुरू से ही संदेह के घेरे में था। मगर शायद मुग़लसराय कोतवाली पुलिस को वह संदेह नही दिखाई दिया। एक पिकअप ने एक ऑटो को धक्का मार दिया था। जिसमे गंभीर रूप से घायल रेलवे कर्मचारी अनिल कुमार पाण्डेय का देहांत हो गया था। इसके बाद पुलिस ने काफी पंचायतो को मूकदर्शक बन सामने देखने के बाद लाश का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया था।

घटना के दिन से ही पूरी घटना में एक महिला की उपस्थिति घटना को सदेहास्पद बना रही थी। एक लम्बी तलाश और तफ्तीश के बाद हमने उस महिला से सम्बंधित काफी जानकारी इकठ्ठा किया। कभी बनारस तो कभी मिर्ज़ापुर और कभी पडरौना तो कभी रसड़ा की ख़ाक छानकर निकली जानकारी आपको भी अचंभित कर देगी कि किस प्रकार से महिला सुरक्षा हेतु बने कानून का दुरूपयोग हो रहा है। मगर पुलिस की मज़बूरी तो देखे साहब कि सब कुछ समझते हुवे भी पुलिस के हाथ नियमो से ऐसे बंधे हुवे रहते है कि कुछ कर नही पाती है। इस महिला के सम्बन्ध में भी ऐसी ही जानकारी निकल कर सामने आई इसको जान कर आप इसको समाज का दुश्मन समझ बैठेगे। हम अपनी इस सीरिज़ में इस महिला के भयानक अपराधो से आपको रूबरू करवायेगे। आज पहले अंक के लिए हम वापस अनिल पाण्डेय की दुर्घटना में उठे गंभीर सवालो को समझने की कोशिश करते है।

घटना स्थल पर पहले आते है। शाम के समय रेलवे में ऑडिटर की पोस्ट पर तैनात अनिल कुमार पाण्डेय मुगलसराय से अपने आवास लालपुर पाण्डेयपुर के लिए निकले थे। पड़ाव के निकल उनकी ऑटो को एक पिकअप का धक्का लगता है जिस कथित दुर्घटना में उनकी मौत हो जाती है। मौत की जानकारी के चंद लम्हे ही गुज़रे थे कि एक महिला खुद को सीमा पाण्डेय बताते हुवे आती है और खुद को मृतक की पत्नी कहकर लाश के पोस्टमार्टम की कार्यवाही करवाना शुरू कर देती है। इसी दरमियान कुछ युवक भी आते है। इनमे मृतक का पुत्र भी रहता है। सत्यम अपने पिता की लाश को देख कर रो रहा होता है कि उसके सामने उसकी नई माँ बनकर एक महिला खडी थी। महिला ने जमकर अपने साथियों सहित हंगामा काटा। हंगामे के बाद पुलिस ने महिला की तहरीर पर ही मुकदमा दर्ज किया और पंचनामा में भी महिला का नाम और उसके गवाह डाले गए। मृतक के बेटे की एक नही सुनी गई।

हमने मौके पर हुआ हंगामा देखा था। सिर्फ मै ही क्या वाराणसी जनपद का क्राइम स्टोरी कवर करने वाला हर एक पत्रकार इस महिला को पहचान रहा होता। हमारी सिर्फ एक शंका थी कि “ये कैसे” ? बहरहाल, इस मुद्दे पर हम दुसरे अंक में आयेगे। वैसे बताते चले कि वाराणसी ही नही बल्कि पडरौना, मिर्ज़ापुर जनपद में चर्चित इस महिला का अब नाम सीमा पाण्डेय है। कभी तिवारी, कभी त्रिवेदी, कभी प्रीतो तो कभी प्रीती का इतिहास रखने वाली महिला अब पाण्डेय है। महिला की चर्चा काफी पुरानी है। दमदार और हनक रखने वाली आवाज़ और जमकर चिल्लाने की क्षमता रखने वाली महिला की फैली पंचायत से मुग़लसराय पुलिस भी आखिर पल्ले झाड कर उसके कहने से उसके द्वारा ही पंचनामा भरवाती है और लाश को पोस्टमार्टम हेतु भेज देती है।

संदिग्ध है अनिल पाण्डेय की दुर्घटना

अनिल पाण्डेय की दुर्घटना में मौत हो चुकी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण स्पष्ट रूप से “अचानक अटैक” आया है। अनिल पाण्डेय की मृत्यु को संदिग्ध मौके की परिस्थितियां बना रही है। अनिल पाण्डेय की पत्नी का देहांत 2014 में हो गया था। रेलवे में ऑडिटर की पोस्ट पर तैनात अनिल पाण्डेय उस दिन बरौनी से ऑडिट करके वापस मुग़लसराय पहुचे थे। दुर्घटना के समय वह वह ऑटो से वापस अपने आवास लालपुर पाण्डेयपुर आ रहे थे। अब यहाँ एक बड़ा सवाल सामने आता है शायद पुलिस इसका जवाब तलाशना छोड़े चंदौली पुलिस के दिमाग में भी अभी तक ये सवाल नही आया है।

जब कार थी तो ऑटो से क्यों आये अनिल पाण्डेय

मृतक अनिल कुमार पाण्डेय के पास अपनी खुद की कार थी। वह कार के द्वारा ही कही आते जाते थे। दुर्घटना से पूर्व भी वह कार के द्वारा मुग़लसराय गए थे और कार खडी करके ट्रेन से बरौनी गए थे। वापस आने के बाद वह कार से वापस नही हुवे बल्कि ऑटो से हुवे ऐसा क्यों ? उनकी कार उनके कार्यस्थल पर ही खडी थी। सूत्र बताते है कि दुर्घटना के दो दिनों बाद उनकी कथित पत्नी के साथ आया एक व्यक्ति कार लेकर चला गया। ये कार अभी भी उनके आवास पर नही है। कार कहा है इसकी जानकारी शायद सिर्फ उनकी कथित पत्नी को होगी।

अब सवाल ये उठता है कि आखिर किन परिस्थितयो में अनिल कुमार पाण्डेय कार से न आकर ऑटो से वापस आ रहे थे। क्या कारण थे कि कार कार्यालय में ही खडी थी। आखिर कार उनकी दुर्घटना के बाद कहा गई ? सूत्रों से मिली जानकारी को आधार माने तो आखिर कार में ऐसा क्या था कि उनकी कथित पत्नी द्वारा कार को मौके से दो दिन बाद हटवा दिया गया है और अभी भी कार उनके आवास पर नही आई है। ये एक बड़ा सवाल है। क्योकि अनिल पाण्डेय कार के द्वारा ही कही आते जाते थे। गाड़ी भी अनिल पाण्डेय अपनी टिप टॉप करके रखते थे। कोई हलकी सी भी खराबी आने पर तत्काल उसको बनवाते थे। तो ये बात भी नही मानी जा सकती थी कि जब अनिल पाण्डेय वापस आये तो कार ख़राब थी। ये सवाल मृतक के पुत्र सत्यम के द्वारा भी उठाये जा रहे है। मगर जवाब शायद किसी के पास नही है। होगा भी कैसे चंदौली पुलिस के नज़र में ये एक नोर्मल रोड एक्सीडेंट है। वह गंभीरता से इस मुद्दे पर विचार ही नही कर रही है।

अगले अंक में हम आपको अनिल पाण्डेय से जुडी और भी जानकरी देंगे साथ ही बतायेगे कि खुद को अनिल पाण्डेय की पत्नी होने का दावा करने वाली महिला सीमा कौन है ? कैसे वह कभी तिवारी, कभी त्रिवेदी, कभी प्रीती तो कभी प्रीतो बन जाती है। आज कल वह पाण्डेय बनी हुई है। जुड़े रहे हमारे साथ।

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