ए जावेद संग शाहीन बनारसी
डेस्क। कोरोना के कारण 2 साल बाद हज यात्रा फिर से शुरू हो रही है। लेकिन, इस बार वाराणसी से कोई फ्लाइट हज के लिए जेद्दा या मदीना नहीं जाएगी।अब पूरे प्रदेश के लोग केवल लखनऊ से ही उड़ान भर सकेंगे। बनारस के साथ ही देशभर के कुल 11 सेंटरों को इस बार बंद कर दिया गया है। इसमें बिहार का पटना और गया सेंटर भी बंद किया गया है।
इस प्रकरण में शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता और हजरत अली समिति के सचिव हाजी फरमान हैदर ने बयान जारी किया है और कहा है कि ऐसा पहली बार है कि वाराणसी को हज यात्रा का सेंटर नहीं बनाया गया। वहीं, हज की जिम्मेदारी पहले विदेश मंत्रालय संभालता था, मगर इस बार अल्पसंख्यक मंत्रालय के पास इसकी जिम्मेदारी आ गई। इसके बाद सेंटर को बंद करने का फरमान आया। विदेश मंत्रालय इस यात्रा को बेहतर ढंग से पूरा कराता है।
वाराणसी से हज यात्रा न होना काशी-काबा की एक संस्कृति पर चोट है। इसको लेकर शहर के मुसलमानों ने मांग की कि हज का प्रभार वापस विदेश मंत्रालय को सौंपने की जिम्मेदारी दी जाए। काशी से काबा की यात्रा पर अड़चन आने से वाराणसी समेत पूर्वांचल के मुसलमानों में खासी नाराजगी है। पूर्वांचल के 20 जिलों के लिए हज यात्रा का सेंटर वाराणसी न होने से पूर्वांचल सहित बिहार के मुसलमानों में इसको लेकर रोष है।
फरमान हैदर ने कहा कि वाराणसी और पूर्वांचल भर से 15 हजार लोग इस यात्रा पर मक्का-मदीना जाते थे। सब्सिडी पहले ही खत्म कर दी गई है। अब सीधी फ्लाइट भी नहीं। सब्सिडी पर 1 हज यात्री पर 2 लाख रुपए खर्च होते थे जो कि सब्सिडी खत्म करते ही यह रेट अब 3 लाख 42 हजार रुपया से ज्यादा हो गया है। हालांकि इसकी भरपाई तो हम मुसलमान कर सकते हैं, मगर वाराणसी से हज यात्रा न होना काशी-काबा की एक संस्कृति पर चोट है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा 2 लाख लोग भारत से हज पर जाते हैं। हम यही गुहार लगा रहे हैं कि सरकार वाराणसी समेत सभी 11 सेंटरों को फिर से खोल दे। इस बार हर साल से अधिक भीड़ होने का अनुमान है, क्योंकि कोरोना के कारण 2 साल से इंतजार करने वालों की अच्छी खासी हुजूम है।
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