किसान आन्दोलन के 14 महीने, उतार चढाव और संघर्ष के बीच आखिर किसान आन्दोलन को मिली सफलता, जाने अध्यादेश पास होने से लेकर पीएम के एलान तक क्या क्या हुआ

ए0 जावेद संग शाहीन बनारसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार सुबह बड़ा एलान कर दिया। उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही। किसान संगठनों ने भले ही इस फैसले का स्वागत किया, लेकिन संसद में कानून वापस होने तक आंदोलन खत्म नहीं करने की बात कही। इस दरमियान किसान आन्दोलन कई उतार चढ़ाव के साथ गुज़रा। एक समय ऐसा भी आया था कि हिंसा के भेट किसान आन्दोलन चढ़ गया होगा।

किसी आन्दोलन में अगर हिंसा शामिल हो जाए तो आन्दोलन प्रभावित होता है। इस सत्य से सभी रूबरू थे। दिन 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में टैक्टर रैली के दरमियान जमकर हिंसा हुई। इस हिंसा का प्रभाव ये पड़ा कि किसान आन्दोलन लगभग टूटने के कगार पर पहुच गया। किसान आन्दोलन में हिंसा की बातो को टीवी पर खूब प्रचार प्रसार मिला। जिसके बाद किसानो के कई गुट आन्दोलन से वापस होने लगे।

यहाँ से शुरू हुआ किसान आन्दोलन का एक और जन्म। टूटते आन्दोलन को देख किसान नेता राकेश टिकैत ने उसी दिन शाम को एक वीडियो रिलीज़ किया। उनके आंसुओ के साथ अपील का असर कुछ ऐसा हुआ कि किसान आन्दोलन दुबारा जी उठा और राकेश टिकैत बड़े किसान नेता के रूप में उभरे। इस रिपोर्ट में हम कृषि बिल को संसद में पेश करने से लेकर उनके वापस होने के एलान तक के सफ़र से आपको रूबरू करा रहे हैं।

  • 14 सितम्बर 2019 को कृषि कानून बिल लोकसभा में पेश किया गया, जो 17 सितंबर, 2020 को पास हुआ। इसके बाद देशभर में किसानों के विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस कृषि बिल के राज सभा में पास होने को लेकर भी काफी विवाद हुआ था।
  • 3 नवम्बर से 26 नवम्बर तक किसानों ने 3 नवंबर को देशव्यापी सड़क नाकेबंदी का एलान किया। 26 नवंबर तक किसानों के गुट दिल्ली की ओर बढ़े तो हरियाणा के अंबाला में उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश की गई। इसके बाद पुलिस ने उत्तर-पश्चिम दिल्ली के निरंकारी मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दे दी।
  • 1 दिसंबर 2020 को कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन 35 किसान संगठनों ने इसे स्वीकार नहीं किया। किसान संगठनों और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बीच यह वार्ता बेनतीजा रही।
  • 3 दिसंबर 2020 को आठ घंटे की मैराथन बैठक चली, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। केंद्रीय नेताओं ने कानूनों में खामियों को दूर करने की बात कही। साथ ही, एमएसपी और खरीद सिस्टम को लेकर कई प्रस्ताव रखे, लेकिन कोई हल नहीं निकला।
  • 5 दिसंबर 2020 को किसानों और सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत हुई। इस बैठक में किसान नेताओं ने मौन व्रत रखा और सरकार से हां या न में जवाब मांगा।
  • 8 दिसम्बर 2020 को प्रदर्शनकारी किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया। इसका सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में दिखा। किसानों के भारत बंद को अधिकतर विपक्षी दलों ने समर्थन दिया। उस शाम भी एक बैठक हुई, जो सफल नहीं रही।
  • 16 दिसंबर 2020 को बॉर्डर बंद होने की वजह से यात्रियों को होने वाली परेशानी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई हुई। मसले को सुलझाने के लिए एक कमेटी गठित करने का सुझाव दिया गया। अदालत ने किसानों के अहिंसक विरोध प्रदर्शन के अधिकार को स्वीकार किया।
  • 21 दिसम्बर 2020 को किसानों ने सभी विरोध स्थलों पर एक दिवसीय भूख हड़ताल की। इसके अलावा 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में राजमार्गों पर टोल वसूली रोकने का एलान किया।
  • 30 दिसंबर 2020 को सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की बातचीत हुई। इसमें केंद्र ने पराली जलाने से संबंधित अध्यादेश में किसानों के खिलाफ एक्शन न लेने और प्रस्तावित बिजली संशोधन कानून को लागू न करने पर सहमति जताई।
  • 4 जनवरी 2021 को सातवें दौर की वार्ता भी विफल रही। किसान नेता तीन कृषि कानूनों को रद्द करने पर अड़े रहे। सरकार ने इससे साफ इनकार किया।
  • 8 जनवरी 2021 को आठवें दौर की बैठक में किसानों ने साफ कहा कि ‘घर वापसी’ तभी होगी, जब तीन कृषि कानून वापस ले लिए जाएं।
  • 12 जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों पर रोक लगाई और एक कमेटी का गठन किया। कोर्ट ने कमेटी से दो महीने में रिपोर्ट देने को कहा।
  • 15 जनवरी 2021 को नौवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। प्रदर्शनकारी किसान कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने की अपनी मुख्य मांग पर अड़े रहे। सरकार ने आवश्यक संशोधनों की बात कही।
  • 21 जनवरी 2021 को 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने डेढ़ साल तक तीनों कानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव रखा। साथ ही, एक संयुक्त समिति बनाने की बात कही, लेकिन यह वार्ता भी बेनतीजा रही।
  • 22 जनवरी 2021 को 11वें दौर की वार्ता में किसान अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हुए। सरकार ने सख्त रुख दिखाया।
  • 26 जनवरी 2021 जब किसान आन्दोलन को मिला एक और जन्म. 26 जनवरी को दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली। इस दौरान आंदोलनकारियों और पुलिस में झड़प हुई।इस झड़प का नतीजा ये हुआ कि किसानो का आन्दोलन समाप्त होने के कगार पर चला गया। कहा जाता है किसी आन्दोलन में हिंसा के आने से आन्दोलन पर असर पड़ता है। ऐसा ही इस आन्दोलन के साथ होता दिखाई दिया और किसान आन्दोलन खत्म होता दिखाई दिया। मगर इसी दिन शाम को राकेश टिकैत ने अपना एक वीडियो रिलीज़ किया जिसमे राकेश टिकैत ने रोते हुवे किसानो से अपील किया। इस अपील का असर ये हुआ कि किसान आन्दोलन दुबारा शुरू हो गया। जिसके बाद राकेश टिकैत किसान आदोलन में बड़े किसान नेता के रूप में उनकी पहचान हुई।
  • 06 फरवरी 2021 को विरोध करने वाले किसानों ने दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक तीन घंटे के लिए देशव्यापी ‘चक्का जाम’ किया।
  • 06 मार्च 2021 को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को 100 दिन पूरे हुए।
  • जुलाई 2021 को लगभग 200 किसानों ने तीन कृषि कानूनों की निंदा करते हुए संसद भवन के पास किसान संसद के समानांतर ‘मॉनसून सत्र’ शुरू किया।
  • 7 सितंबर-9 सितंबर, 2021 को किसान बड़ी संख्या में करनाल पहुंचे और मिनी सचिवालय का घेराव किया।
  • 15 सितंबर, 2021 को किसान आंदोलन के कारण बंद पड़े सिंघु बॉर्डर पर रास्ता खुलवाने के लिए सरकार ने एक प्रदेश स्तरीय समिति का गठन किया।
  • 19 नवंबर, 2021 को गुरु पूर्णिमा के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का एलान किया।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *