मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म : कमालुद्दीन उस्मानी
मुकेश यादव
मधुबन (मऊ)। परहित सरस धरम नहिं भाई पर पीड़ा नाही सम अधमाई गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है कि मानवता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। जहां लोग जाती पाती धर्म के नाम पर लड़ते मरते हैं वहां पर ऐसे लोगो को के लिए आईना दिखाने का काम किया, इस युवा समाज सेवी ने। तुलसीदास के उक्त लाइन को चरितार्थ कर दिखाया है, मधुबन थाना क्षेत्र के ढिलई फिरोजपुर निवासी समाजसेवी कलामुद्दीन उस्मानी ने।
ठंड ऋतु के आगमन से पूर्व क्षेत्र के करीब 500 गरीब असहाय जरूरतमंदों, महिलाओं और बुजुर्गों को उच्च कोटि का कंबल प्रदान कर उनके सिहरन को कम करने का प्रयास किया। कंबल पाकर गरीबो के चेहरे खिल उठे। प्रति कम्बल लगभग 1400 रुपये के थे। इस बाबत कंबल पाने वाली सरिता का कहना है कि इतनी महंगे और अच्छे कंबल को पा कर वह काफी खुश हैं, क्योंकि इतने महंगे कम्बल को हम खरीद नही सकते। आपको बताते चलें कि विगत 10 वर्षों से कमालुद्दीन समाज सेवा और परोपकार के क्षेत्र में बढ़ चढ़कर भागीदार रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने जनपद के परिवारों को छत भी मुहैया करा चुके हैं। यह पब्लिसिटी से दूर मानवता की सेवा में दिन रात लगे हैं।
इस संबंध में कमालुद्दीन का कहना है कि गरीबों और असहाय की मदद करने के पीछे हमारी मंशा यह है कि हमने अपने पिता से समाज सेवा के कार्य को सीखा है। मेरी सोच है कि जात धर्म से ऊपर उठकर, मैं लोगों की सेवा कर सकूं और इसी तर्ज पर समाज के ऐसे लोगों को भी आगे आना चाहिए, जिसको अल्लाह ताला ने धन दिया है वे गरीबो के मदद में लगाए। कंबल पाने वालों में सरिता, सुरेश, सुनैना, मैना, सुमित्रा, जमुनी देवी, पार्वती देवी, विनीता, वसंती, शांति, परवीन, प्रवीण, फुलवा राम, प्रवेश आदि लगभग 400 लोगों में कंबल वितरित किया गया।