सरताज खान
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि राज्य को अपनी ताकत का इस्तेमाल किसी राजनीतिक विचारधारा या पत्रकारों को धमकाने के लिए नहीं करना चाहिए। अदालत ने कहा कि राजनीतिक वर्ग को अपनी बात रखते वक्त आत्ममंथन करना चाहिए कि वो क्या कह रहे हैं। आज के ट्विटर युग में उन्हें और भी ज्यादा जिम्मेदार होना चाहिए। जस्टिस एस के कॉल और एम एम सुंदरेश की खंडपीठ ने एक न्यूज वेब पोर्टल के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। यह मामला पश्चिम बंगाल में छपे एक आर्टिकल से जुड़ा हुआ है।
अदालत में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे मौजूद थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को बताया कि राज्य सरकार ने तय किया है कि वो Opindia।com की संपादक नुपुर जे शर्मा, यूट्यूबर अजीत भारती और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस लेगी। सुनवाई के दौरान अदालत ने यह साफ किया कि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उन्हें कुछ ऐसा बोलने का अवसर मिल गया जिससे समाज में समस्या खड़ी हो जाए।
फारुख हुसैन डेस्क: असम-मणिपुर सीमा के निकट जिरी नदी में शुक्रवार को एक महिला और…
ए0 जावेद वाराणसी: गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने…
ईदुल अमीन डेस्क: उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने…
माही अंसारी डेस्क: मणिपुर में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। इसे लेकर…
मो0 शरीफ डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के…
निलोफर बानो डेस्क: शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी की वर्किंग…