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फारुख हुवे रिदा पर इस तरह फ़िदा कि अपनी “अभिव्यक्ति” के आज़ादी पर लगाम लगाने “रिदा” को किया अपने हयात में शामिल

शाहीन बनारसी

पलिया के रहने वाले फारुख हुसैन “अभिव्यक्ति” के आज़ादी पर लगाम कसने के लिए “रिदा” उनकी हयात में शरीक हो गई है। रविवार को एक वैवाहिक कार्यक्रम में फारुख मियाँ अब बैचलर नही रहे और उनकी हयात में नामी शायरा “रिदा” हुसैन शिरकत कर गई है। मरहूम साबिर हुसैन के साहबजादे फारुख हुसैन लखीमपुर जनपद के पलिया तहसील के एक नामचीन पत्रकार और साहित्यकार है। फारुख मियाँ ने क़ाज़ी के पूछे गए सवाल “क्या निकाह कबूल है” पर अपनी रजामंदी देते हुवे “कुबूल है” कहा तो पूरा हाल मुबारक हो की सदा से गूंज उठा।

पलिया के निवासी मरहूम साबिर हुसैन के पुत्र फारुख हुसैन का अकद रईस अहमद की साहेबज़ादी शबनूर “रिदा” से रविवार की रात एक समारोह के बीच संपन्न हुआ। फारुख हुसैन की गिनती पलिया तहसील के एक ईमानदार, निष्पक्ष, निर्भीक पत्रकार के रूप में होती है। इसके अतिरिक्त फारुख हुसैन “अभिव्यक्ति” नाम से साहित्य भी लिखते है। वही शबनूर “रिदा” नाम से जनपद की मशहूर शायरा है। उर्दू अदब की शायरा “रिदा” अब “अभिव्यक्ति” की आज़ादी पर लगाम लगाने के लिए उनकी हयात में शिरकत कर चुकी है।

बताते चले कि वालिद साबिर हुसैन का इन्तेकाल होने के बाद फारुख हुसैन पर सरपरस्ती खत्म हो गई थी। बहुत ही नाज़ुक उम्र के मोड़ पर फारुख मियाँ के सर पर जिम्मेदारियों का बड़ा बोझ था। मगर अपने वालिद की तरबियत पाए फारुख ने अपनी सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन बखूबी अंजाम दिया। इस दरमियान वो ही परिवार के छोटे भी है और वही बड़े भी है। उनके इस सफ़र में उनकी मुलाकात PNN24 न्यूज़ के चीफ एडिटर तारिक़ आज़मी से हुई। तारिक आज़मी को उन्होंने अपना बड़ा भाई बना लिया और उनकी सरपरस्ती में साहित्यकार “अभिव्यक्ति” एक निष्पक्ष, निर्भीक, इमानदार पत्रकार के तौर पर पुरे पलिया जनपद में मशहूर हो गए। वही तारिक आज़मी से पत्रकारिता पर समय-समय पर मार्गदर्शन लेने वाले फारुख मियाँ अपनी निजी ज़िन्दगी में भी उन्हें अपना बड़ा भाई और अपना सरपस्त मान कर उनसे हर एक छोटे बड़े लम्हों पर सलाह लेना शुरू कर दिया।

दूसरी तरफ उर्दू अदब अपने खून की रवानगी में लेकर बड़ी हुई “रिदा” ने ये अदब अपने वालिदैन से सीखा। सीख भी इतनी कि इसी उर्दू अदब के ज़रिये उनकी पहचान बहुत ही जल्द प्रदेश की बड़ी शायरा में होने लगी। फारुख और “रिदा” दोनों एक ही तहसील के रहने वाले है। उन दोनों के परिवार ने मिल कर इस रिश्ते की डोर को बाँधा और रिश्ता मजबूत किया। “रिदा” की तरबियत ही ऐसी थी कि अदब उनके तहजीब का हिस्सा बन गया है। रविवार को अदब और तरबियत का मिलन हुआ तो इस समारोह में शामिल लोगो ने दोनों को मुबारकबाद दिया।

शादी समारोह में शहर के अधिवक्ता, मानिंद लोग, कारोबारी, समाजसेवक और पत्रकार उपस्थित थे। इस मौके पर तारिक़ आज़मी अपने सेहत की वजह से सफ़र न कर सके। मगर इसको गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुवे निकाह के वक्त फारुख मियाँ ने अपने उस्ताद तारिक आज़मी को वीडियो काल करके पुरे निकाह समारोह को दिखाया। उस्ताद और शागिर्द के इस रिश्ते को देख कर मौके पर मौजूद लोगो ने फारुख की तरबियत को सराहा। वही उस्ताद और शागिर्द की आँखे नम थी। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नफीस अंसारी शायर खीरी, मोहम्मद वसी, मोहम्मद सईद रज़ा, नदीम, सूरज, आसिफ हुसैन, रिजवान खान, मुकीम शादाब, फिरदौस आदि लोग शामिल थे।

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