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मलयाली फिल्म मेकर अली अकबर के इस्लाम छोड़ने पर तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ : शायद अकबर साहब आपने ये आकडे नही देखे, मज़हब और मौका परस्ती दो अलग अलग बाते है हुजुर

तारिक़ आज़मी

वसीम रिज़वी के बाद अब मलयाली फिल्म मेकर अली अकबर ने खुद को त्यागी घोषित कर दिया है। अगर समय के साथ देखे तो दोनों ही का ये त्यागी रूप उनकी स्वेच्छा के साथ धारण किया हुआ सियासी रूप ही नज़र आयेगा। अली अकबर के इस्लाम धर्म छोड़ देने की चर्चा पर सोशल मीडिया में एक विशेष फोबिया से ग्रसित लोगो ने इस्लाम के सम्बन्ध में अपने अधकचरे ज्ञान की उल्टियां शुरू कर दिया है। उनके उल्टियो दस्त का शिकार मैं भी हुआ, जब एक सज्जन के गलत ज्ञान की पोस्ट पर मैंने उनके अधकचरे ज्ञान को दुरुस्त करने के लिए चंद कलिमात लिख दिया ताकि सनद हो।

दरअसल, उन्होंने लिखा था कि “नवाब मलिक ने वानखड़े से बिना शर्त माफ़ी मांगी है।” उनका ज्ञान आधा था तो मैंने गलती से उसको पूरा कर दिया और बता दिया कि नवाब मलिक ने वानखड़े से माफ़ी नही माँगा है, बल्कि अदालत के हुक्म उदूली पर नवाब मलिक ने अदालत से माफ़ी माँगा है, मसला बेशक वानखड़े से जुडा हुआ था मगर माफ़ी अदालत से मांगी है। हुक्म उदूली अदालत की हुई थी।

फिर क्या था, साहब ने अपने आधे ज्ञान की उलटी दस्त वही शुरू कर दिया। बेशक काफी घिनौना और बदबूदार ज्ञान का श्रोत था उनका। उन्होंने मेरे नाम में मज़हब की तलाश कर डाली और ज्ञान दे डाला। असल में सोशल मीडिया के कक्षा पांच फेल ज्ञानियों को नाम में मज़हब की तलाश होती है। फिर तो आप “मुल्ला टाइप पत्रकार” भी बन सकते है। सच बताता हु कि ये लफ्ज़ “मुल्ला” किसी गाली से कम नही होता है। ऐसा लगता है कि किसी ने गाली दिया हो। बहरहाल, उन्होंने मुझको ज्ञान दे डाला कि इस्लाम को जिस दिन जान जाओगे उस दिन “त्यागी” बन जाओगे। कमाल ही कहेगे इसको, या फिर कह सकते है कि “नाला कहता है समुन्दर से उमड़ना सीखो।”

उनको शायद ये ज्ञान नही होगा कि जिससे बात वो कर रहे है उसका रोज़मर्रा का तीन घंटा पढाई में ही जाता है। अल्लाह का शुक्र है कि मैंने कुरआन को भी पढ़ा है, और साथ ही वेद पर भी बढ़िया ज्ञान है। हदीस भी समझता हु तो गीता के शब्दों से भी रूबरू हु। बायबल को भी जाना है। तो गुरुवाणी अकसर सुन लेता हु। बुल्ले शाह को सुनता हु तो कबीर और रसखान से भी रूबरू हु। अब ऐसे में वो ज्ञान दे कि मुझको क्या जानना है क्या नही ये सच में काफी मजाकिया लफ्ज़ है।

बहरहाल, “उनका जो पैगाम है वो अहल-ए-सियासत जाने, अपना तो पैगाम-ए-मुहब्बत है जहा तक पहुचे।” भले ही “मुल्ला टाइप” ही सही मगर हु तो इंसान ही। आप हमारी बातो पर तीन बार हंस सकते है। हसना सेहत के लिए बढ़िया होता है। उससे हार्ट की समस्या का काफी समाधान होता है। मगर हम अपने मुद्दे वसीम रिज़वी और अली अकबर की त्यागी रूप पर ही रहते है। वैसे त्याग करने वाले को त्यागी कहते है। तो वसीम रिज़वी और अली अकबर दोनों ने अपने मज़हब का त्याग किया है। वो खुद को त्यागी कह सकते है। वसीम रिज़वी के त्यागी रूप हर कोई समझ सकता है। उनके खुद के बाल बच्चे तक उनको अलविदा कहकर उनसे अलग हो चुके है। ये बात खुद वसीम रिज़वी ने बताया है। इसके अतिरिक्त सत्ता के साथ चलने की तेज़ी ही वसीम रिज़वी के लिया ज़रूरी थी। मगर अली अकबर का अब त्यागी रूप में आना कुछ और भी ब्यान कर रहा है।

वैसे वसीम रिज़वी भले कहे कि उनका मुस्लिम समुदाय में बड़ी पकड़ है। मगर हकीकत है कि मुस्लिम समुदाय के शिया वर्ग से आने वाले वसीम रिज़वी से शिया समुदाय भी नाराज़ है। यही नही शिया समुदाय ने वसीम रिज़वी को पहले ही इस्लाम से खारिज करार दे दिया था। अब ऐसे में वसीम रिज़वी के द्वारा हिन्दू धर्म अपनाना कोई ऐसी बात नही है जिसके ऊपर बहस अथवा सफाई दिया जाए। बात यहाँ अहम हम आपसे अली अकबर की करेगे। अली अकबर मलयाली फिल्म मेकर है। उन्होंने सीडीएस बिपिन रावत के हेलीकाफ्टर दुर्घटना पर कतिपय लोगो के द्वारा अभद्र टिप्पणी करने के मुद्दे को केंद्र बिंदु रखा और कहा कि इस्लाम छोड़ कर वह हिन्दू धर्म अपना रहे है। अली अकबर के अनुसार पूर्व सेना-प्रमुख और चीफ ऑफ डिफेंस सर्विस बिपिन रावत की शहादत पर लॉफ्टर-रियेक्ट देने वालों से वह आहत हुए हैं।

पहले हम इस मुद्दे पर थोडा ध्यान देते चलते है। शायद जल्दबाजी में अली अकबर जैसे बुद्धिजीवी इस मुद्दे पर ध्यान नही दे पाए है। लॉफ्टर रियेक्ट करने वाले नफरती गधे वैसे तो पड़ोस के ज़लील मुल्क से ताल्लुक रखते है। मगर हम एक बार फिर कहते है कि काबुल में गधे भी होते है। हम अपने यहाँ के मंदबुद्धियो की भी बात करे तो अली अकबर साहब को शायद जानकारी नही होगी कि इस मामले में भारत के विभिन्न शहरों से कुछ गिरफ्तारियां हुई है। हम उनके नाम आपको बताते चलते है। शायद कोई अली अकबर तक ये नाम पंहुचा दे। इस मामले में सबसे पहली आपत्ति जम्मू के राजौरी में दर्ज हुई। राजौरी में एक पूर्व प्रवक्ता जान निसार के ऊपर ऐसे कथित अभद्र टिप्पणी करने का आरोप लगा है। वैसे जानकारी के मुताबिल जान निसार की गिरफ़्तारी नही हुई है। इसी इलाके के एक दुकानदार को गिरफ्तार किया गया है। मगर बताया जाता है कि इस्लाम से उस शख्स का भी कोई लेना देना नही है।

इसके अलावा दूसरी गिरफ़्तारी गुजरात से हुई है। साइबर क्राइम सेल के मुताबिक, आरोपी की पहचान शिव भाई राम (44) के रूप में हुई है, जो गुजरात में अमरेली जिले के राजुला तालुका स्थित भेराई गांव का निवासी है। हालांकि, जनरल रावत के खिलाफ उसकी कथित टिप्पणी के बारे में कुछ भी नहीं बताया। इसी तरीके के मामले में पंधाना तहसील के ग्राम खोदरी निवासी दुर्गेश भी गिरफ्तार हुआ है। साथ ही राजस्थान के टोंक जिले में कोतवाली क्षेत्र का युवक जावाद पोस्ट किया, डिलीट किया, फिर भी एक घंटे में गिरफ्तार हो गया। दरअसल ऐसे लोगो का सम्बन्ध धर्म अथवा मज़हब से नही है बल्कि उनकी गन्दी मानसिकता से होता है। फिर भी नाम में मज़हब तलाशने वाले इन नामो में भी मज़हब तलाश सकते है। रही बात कमज़र्फ पडोसी मुल्क की तो हम उसके सम्बन्ध में सिर्फ इतना कह सकते है कि उसका नाम भी लेने में शर्म आती है।

अब बात आती है अली अकबर द्वारा ऐसी घटनाओं से आहत होकर धर्म-परिवर्तन करने की, तो ये बात गले नहीं उतरती। क्योंकि जब मिनहाज़, अख़लाक़, पहलू, जुनैद जैसे सैकड़ों बेगुनाहों को मजहबी नफरत में सरेआम पीट-पीटकर मार दिया जाता है। जब शंभु रैगर जैसा वहशी एक मुस्लिम-मजदूर को कुल्हाड़ी से काटकर जिंदा जला देता है, जब एक दिवंगत-लेखिका गौरी लंकेश को मरणोपरांत अभद्र गाली दिया जाता है और इसी सोशल मीडिया पर उनकी मौत का जश्न मनाया जाता है। शायद अली अकबर उस वक्त सो रहे होंगे। या फिर सोशल मीडिया इस्तेमाल नही करते होगे। उस वक्त उनकी भावना आहात नही हुई होगी।

अली अकबर ने एक वीडियो के जरिये अपनी भावनाएं फेसबुक पर शेयर की थी, लेकिन बाद में वो पोस्ट हटा दी गयी। अली अकबर की पोस्ट का जोरदार विरोध हुआ था, हालांकि, काफी लोगों का सपोर्ट भी मिला था। सपोर्ट किसका मिला होगा इसको बताने की ज़रूरत तो नही है। फिर भी आप समझ सकते है। अली अकबर का कहना है, ‘मुझे पैदाइश के वक्त जो चोला मिला था, उसे उतारकर फेंक रहा हूं। आज से मैं मुस्लिम नहीं हूं। मैं भारतीय हूं। मेरा ये संदेश उन लोगों के लिए है, जो भारत के खिलाफ हंसते हुए स्माइली पोस्ट किये।’

अब बात ये है कि अली अकबर का ये कहना कि वो मुस्लिम नहीं है, ठीक है। उनको संविधान इसका अधिकार भी देता है। यह उनका खुद का मौलिक अधिकार है। ये भी कहना ठीक है कि वो भारतीय हैं। सेना के सबसे बड़े अफसर की मौत पर स्माइली पोस्ट किये जाने का विरोध भी हर भारतीय उसी तरीके से करेगा जैसे करना चाहिए। बिपिन रावत पुरे मुल्क की धरोहर थे। एक इंटरव्यू में अली अकबर कहते हैं, ‘जनरल बिपिन रावत की मौत की खबर पर हंसने वाले ज्यादातर लोग मुस्लिम थे।’ अब यहाँ दो बात उठती है। पहली ये कि कैसे अली अकबर को पता कि वह लोग मुस्लिम थे। और दूसरी बात ये कि क्या इस मामले में गिरफ्तार लोगो का नाम उन्होंने पढ़ा था ?

अब अली अकबर की बात दूसरी उठाते है। क्या भारतीय होने के लिए धर्म जरूरी है। अली अकबर का कहना है कि अब वो मुस्लिम नहीं हैं। अब वो एक भारतीय है। तो क्या वो ये कहना चाहते हैं कि पहले ऐसा नहीं था? भारतीय तो वो पहले से ही हैं। वो ऐसे भी कह सकते हैं कि पहले वो मुस्लिम थे, लेकिन आगे से हिंदू होंगे – लेकिन धर्म बल लेने से किसी के भारतीय होने के स्टेटस में तो कोई फर्क नहीं आ सकता। न ही अली अकबर किसी को भारतीय होने का प्रमाणपत्र दे सकते है।

Tariq Azmi
Chief Editor
PNN24 News
लेख में लिखे गए समस्त शब्द लेखक के अपने विचार है. PNN24 न्यूज़ इन शब्दों से सहमत हो ये ज़रूरी नही है.

अली अकबर के केरल में ही 1999 में जानी मानी लेखिका और कवयित्री कमला दास ने हिंदू धर्म छोड़ कर इस्लाम कबूल कर लिया था और उस पर काफी बवाल हुआ था। हिन्दू धर्म की कथित कुरीतियों और महिलाओं की स्थिति को लेकर तो कमला दास पहले से ही हमलावर रहीं, लेकिन 65 साल की उम्र में जब धर्म बदल लिया तो लोग सन्न रह गये थे। कमला की शादी 15 साल की उम्र में बैंककर्मी माधव दास से हुई थी। 76 साल की उम्र में पुणे के अस्पताल में मई, 2009 में उनका निधन हुआ। तिरुअनंतपुरम की पालायम मस्जिद में उनको पूरे सम्मान के साथ दफनाया गया।

दरअसल इस परिवर्तन की बात को किनारे करे और गहराई से देखे तो अली अकबर का पुराना सियासी कनेक्शन रहा है। अली अकबर केरल में बीजेपी के मुस्लिम फेस रहे है। अली अकबर पार्टी की स्टेट कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं। लेकिन स्थानीय नेतृत्व के साथ मतभेदों के चलते अक्टूबर, 2021 में ही इस्तीफा दे दिया था। अब शायद अली अकबर अपना सियासी कद थोडा बढ़ाना चाहते है। इस मुद्दे को जिस तरीके से अली अकबर ने उठाया वह उनके सियासी फायदे ही गिना रहा है।

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