नगर निगम प्रवर्तन दल: नदारद तहजीब कही बन न जाये नगर निगम के लिए ही बड़ी मुश्किल, सिर्फ गरीब ही दिखाई देते है प्रवर्तन दल को, ये अतिक्रमण क्यों नही दिखाई देता ?
तारिक़ आज़मी
वाराणसी। वाराणसी नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए विशेष प्रवर्तन दल बनाया। इस दल के गठन में विशेष रूप से रिटायर्ड फौजियों को जगह दिया गया। कई बड़े अतिक्रमण को तोड़ने के लिए बने इस प्रवर्तन दल की नदारत तहजीब अब काशी वासियों को सुहा नही रही है। उनके अभद्र व्यवहार के कारण जनता के अन्दर रोष व्याप्त है।
वैसे तो इस प्रवर्तन दल का निर्माण बड़े अतिक्रमणों को हटाने के लिए हुआ था। नगर नगर निगम है साहब, अमीर माफ़, गरीब साफ़ के तर्ज पर चलता है। बड़े बड़े अतिक्रमणों को छोड़ कर अब नगर निगम के इस प्रवर्तन दल के निशाने पर गरीबो के खोमचे है, उनके चौके चूल्हे है, किसी गरीब मोमो वाले का खोमचा है, त्यों कही किसी गरीब सब्जी वाले का ठेला है। बड़े अतिक्रमण को तोड़ने के लिए बड़े खतरे को ये प्रवर्तन दल और नगर निगम भली भांति जानता और पहचानता है। अगर ऐसा नही होता और नगर निगम बेफिक्री के साथ सबको एक नज़र से देखता तो शायद सबसे पहले शहर के विशेश्वरगंज में आता और रोज़ लगने वाले अतिक्रमण के कारण जाम से निजात दिलाता।
मगर नगर निगम और उसके प्रवर्तन दल को बखूबी समझ आता है कि बडो को छेड़ कर मुसीबत मोल नही लेना है। इस इलाके के बड़े अतिक्रमण को छेड़ने का मतलब है कि व्यापार मंडल से लेकर नेतागिरी तक तहजीब तो सिखा देगी। इसीलिए अपनी नदारत तहजीब को लेकर ये प्रवर्तन दल सिर्फ गरीबो पर ही अपने हुक्म का जोर दिखाता है। वो दबे कुचले पहले से है। उनको दबाने में कौन सा बड़ा काम है। थोडा और दबा दो। माँ बहन की गालियाँ दे दो, ये गरीब तबका उसको अपनी किस्मत समझ कर चुप चाप अपने आंसू बहा देता है। मगर अमीर अपने आंसू न बहा कर दुसरे के आंसू बहाना जानता है।
बहरहाल, नदारत तहजीब के साथ नगर निगम के प्रवर्तन दल की बदतमीज़ी जारी है। इसका बड़ा उदहारण 29 नवम्बर को देखने को मिला अर्दली बाज़ार में। जब नाटे सब्जी वाले के घर में घुसे 10-12 की संख्या में ये प्रवर्तन दल वाले दहशत बना रहे थे। अपने घर के बाहर ठेला लगा कर नाटे सब्जी बेचने का बड़ा गुनाह करता है। आखिर ये बड़ा गुनाह ही तो है कि नाटे सब्जी बेच कर अपने बच्चो पढाने का बड़ा गुनाह कर रहा था। आप सोचे आखिर नाटे के बच्चे पढ़ लिख जाते तो सीधे प्रवर्तन दल से सवाल पूछते कि कैसे आप घर के अन्दर घुसे ? प्रवर्तन दल वाले उसके घर के अन्दर घुस कर उसके बटखरे तक उठा ले गये। आसपास के लोगो ने जब एतराज़ किया तो प्रवर्तन दल के “दादा” का कहना था कि आप सरकारी काम में बाधा पंहुचा रहे है। हम मुकदमा कर देंगे। वह एक इत्तिफाक से इलाके के रहने वाले पत्रकार ने इनका वीडियो बनाना शुरू किया तो ये लोग बोले कि हम पालीथीन तलाश रहे है। नाटे के घर के अन्दर पालीथीन होगी।
अब आप समझे। इस नदारत तहजीब के साथ प्रवर्तन दल की कार्यशैली को। इनकी थेथ्रोलाजी को समझे। अर्दली बाज़ार के ट्रेनिंग कालेज से लेकर भोजुबीर चौराहे तक दोनों पटरी पर पांच फिट का फुटपाथ था। फुटपाथ नगर निगम का था। उसके ऊपर कब्ज़ा हो कर बड़े बड़े आलीशान भवन बन गए है। यही नही पांच फिट इन मकानों ने फुटपाथ कब्ज़े में लिए और दो फुट और आगे सड़क पर बढ़ गए है। यकीन नही तो आप तस्वीरो में देख ले। इन पक्के अतिक्रमण से प्रवर्तन दल को कोई लेना देना नही है। असल में उनके लिए अतिक्रमण को नेट सब्जे वाले का ठेला था। ससुरा सब्जी वाला कैसे ठेला अपने घर के बाहर लगा कर सब्जी बेच रहा है।
प्रवर्तन दल की हिम्मत नही है कि इन पक्के अतिक्रमण की तरफ नज़र उठा कर देखा ले। असल में परवर्तन दल अपने में परिवर्तन लाया है। गरीबो को माँ बहन की भद्दी भद्दी गलियाँ दे डालो। उनको सताओ, उनको डराओ, गरीबो की कोई आवाज़ नही होती है। तो उनके साथ कुछ भी करो। क्रोनोलाजी ये है कि अमीरों से मुह मत लग जाना। वो तहजीब उलटे सिखा देंगे। इसी तरीके से नगर निगम का ये नदारद तहजीब वाला प्रवर्तन दल काम कर रहा है।
बिना नम्बर की गाडियों को चलता है ये प्रवर्तन दल असल में ट्रैफिक पुलिस के नज़र में नही आता है। वो भी इनकी बेहूदगी से शायद खौफ खाता होगा, वरना वाराणसी पुलिस ने बड़े बड़े शूरवीरो के चालान काट कर इस बात को तो पहले ही साबित कर दिया है कि वह किसी से नही डरते। मगर लगता है प्रवर्तन दल की बेहूदा बातो से इन पुलिस वालो को भी डर लगता है। क्योकि इनकी अधिकतर गाडियों पर या तो नम्बर नही होता है या फिर होता भी है तो “लिखे ईसा, पढ़े मूसा” के तरीके से रहता है।
बहरहाल, प्रवर्तन दल की नदारत तहजीब के खिलाफ काशीवासियों में भारी रोष दिखाई दे रहा है। नित नए नए बदतमीज़ी के आयामों को छूने वाले इस प्रवर्तन दल के खिलाफ कभी भी बड़ा आक्रोश उभर सकता है। शायद इससे बेफिक्र नगर निगम ने इनको बेलगाम कर रखा है। किसी भी इलाके में गरीबो के तोड़े गए रोज़गार के जरिया माश को देखे और उससे पूछे कि आखिर किस तरीके से उसके साथ ये प्रवर्तन दल बदतमीज़ी करता है। आखिर नगर आयुक्त इनके बेलगाम भाषा शैली और बेहूदा तहजीब पर कब अपनी नजर-ए-इनायत करेगे ये सीन देखना शायद अभी पूरा बाकी है। फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरे इस प्रवर्तन दल के बद्तहजीबी को बयां करने के लिए काफी है।