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अरे गजब, कही नही मिली जगह तो कूड़ा के डब्बा पर भी पोस्टर लगा कर प्रचार कर डाला

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वैसे तो वाराणसी अध्यात्म की नगरी रही है। मगर सियासत में भी काशी ने अपना बड़ा योगदान दिया है। अब जब आचार संहिता लग गई है तो सड़क पर टंगे नेता जी लोगो का पोस्टर बैनर हटवाया जा रहा है। इनमे से कुछ तो ऐसे भी है जिन्होंने हज़ारो रुपया खर्च कर अभी दो चार दिन पहले ही नव वर्ष के बधाई सन्देश का बैनर टंगवाया था। अभी वो खुद भी ढंग से अपने बैनरों को निहार नही पाए थे कि आचार संहिता लागू हो गई और नगर निगम के गाडी पर लद कर उनका बैनर अब जमा हो गया।

वैसे नेता जी लोग खुद के प्रचार की कोई जगह छोड़ना नही चाहते है। एक नेता जी का पोस्टर तो हमको कूड़ा के डब्बा पर भी चपका दिखाई दिया। राष्ट्रीय पार्टी के नेता जी ने शायद जिसको पोस्टर चप्काने को कहा होगा तो उसको शायद ये कहना भूल गए होंगे कि नाम का ध्यान रखना। अब पोस्टर चेपने वाले ने चेपते चेपते कूड़ा के डब्बा पर भी पोस्टर चेप डाला। अब नगर निगम के कर्मचारी आज जब पोस्टर और बैनर उखाड़ रहे होंगे तो इसको देख कर भी आँखे फेर लिया होगा नही तो कूड़ा के डब्बा से पोस्टर उखाड़े कौन की बात सामने आ जारी ?

वैसे ये पोस्टर कही और नही बल्कि जिला मुख्यालय के बाहर स्थित जवाहिर के पान की दूकान के सामने रखे कूड़ा के डब्बा पर लगा हुआ है। रोज़ ही सैकड़ो नही बल्कि हज़ारो लोगो का जमावड़ा यहाँ होता है। कूड़े दान का प्रयोग तो इनमे से काफी लोग करते है। इस कूड़ेदान में सिर्फ पान के पत्ते और चार के कुल्हड़ से ही जगह फुल हो जाती है। शायद पोस्टर चेप रहे शख्स को इससे अधिक प्रचार की जगह नही दिखाई दी होगी और उसने वहा पोस्टर चेप डाला।

अब वो भूल गया होगा कि लोग कूड़ेदान का प्रयोग थूकने के लिए भी अक्सर कर डालते है। नेता जी जो अक्सर इधर से होकर गुज़रते है उनके भी नज़र में नही आया होगा। अब आप सोचे कि नगर निगम इस कूड़ा के डब्बा से कैसे पोस्टर उखाड़े। शायद सुबह जब सफाई कर्मी यहाँ सफाई करने आये तो उनके हवाले ये काम सौपा जायेगा। मगर नेता जी का नाम पोस्टर के साथ फिलहाल कूड़ा के डब्बा पर चपका हुआ है। वैसे यहाँ इस पोस्टर को देख कर विरोधी पार्टी एक से एक कमेन्ट भी पास कर रही है। जिनको सुन कर आपको हंसी आ जाएगी।

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