ए0 जावेद
वाराणसी। वाराणसी नगर निगम के जिम्मेदारो की शायद ज़िम्मेदारी शहर के चंद इलाको तक ही सिमित दिखाई देती है। सीवर समस्या से जूझ रहा वाराणसी शहर इनकी इस लापरवाही से रोज़ ही दो चार हुआ करता है। शहर के पुराने इलाको में सीवर की बढ़ी समस्या का समाधान हो उसके पहले नागरिको के पसीने ही नही छूटते है बल्कि कहा जाए तो पसीने पानी की तरह बह जा रहे है।
वर्त्तमान में जल संस्थान के चल रहे पियरी-बेनिया रोड के काम का ही ले ले। रोज़ सुबह शाम पानी सड़क पर बहता रहता है। सड़के जो अभी कुछ दिन पहले ही बनी थी इस पानी जमाव की समस्या को झेल नही पा रही है। बेनिया तिराहे पर सीवर का पानी अपना रूप दिखा रहा है तो पियरी रोड पर जलसंस्थान के निर्माण कार्यो में बन रहे पानी की निकासी सीवर में नही हो पाने के कारण सीवर जाम है और सड़को पर पानी जमा हुआ है। ज़िम्मेदार शायद इधर से होकर गुज़रते भी नही होंगे वरना बेनिया बाग़ कुड़ेखाने का सड़क पर पड़ा कूड़ा उनको दिखाई ज़रूर देता।
आबादी के अनुसार नही है सीवर लाइन, 6 इंच की पाईप से चल रहा आज भी काम
अब अगर समस्या के मूल में जाकर देखे तो समस्या का निस्तारण थोडा मेहनत का काम है। दालमंडी, नई सड़क, बेनिया, पियरी आदि इलाको के सीवर का कनेक्शन पहले शाही नाले से हुआ करता था। बेनिया बाग़ के निर्माण कार्य में शाही नाले और बेनिया में बने सभी चेंबर लगभग ध्वस्त हो चुके है। इस इलाके में सीवर की लाइन 6 इंच की पाईप के सहारे है। आबादी बढ़ने के कारण पाइप की क्षमता कम होती गई है। सीवर लाइन के पाईप को पूरा बदलने का काम होना चाहिए मगर जल संस्थान बजट का हवाल देकर इसको टाले रहता है।
ठेकेदार कमलेश सोनकर की कैसे तय हो ज़िम्मेदारी, अधिकारियो के आदेश पर भी है उसकी मनमानी भारी
दूसरा मुख्य कारण है यहाँ के ठेकेदार कमलेश सोनकर। कमलेश सोनकर के पास काम करने वाले तीन लोग है। एक जगह की दो समस्याओं की शिकायत आने के बाद उसको टाला गया तो दुसरे दिन शिकायतों की संख्या का इजाफा चक्रवृद्धि ब्याज की तरह हो जाता है। स्थानीय समाज सेवको की माने तो ठेकेदार के साथ खुद को नेता भी बताने वाले कमलेश सोनकर पर किसी भी अधिकारी का दबाव नही पड़ पाता है। काम धीमी रफ़्तार से होने का मुख्य कारण ठेकेदार के पास कर्मचारियों की कमी है।
ढंग से नही होती है सफाई
इस सीवर समस्या का निस्तारण क्षेत्र के हर एक चेंबर की सफाई और शेंनट्रिंग से हो सकता है। मगर ठेकेदार और उनके 3 कर्मचारी ठण्ड का सर्दी के दिनों में हवाला देते है तो गर्मी के दिनों में गर्मी एक बहाना है। इन्ही बहानो के साथ काम बस किसी तरीके से चल रहा है। इलाके का लगभग हर एक चेंबर शिल्ट से भरा हुआ है। मगर भीड़ और रात में काम न कर सकने का हवाला देते हुवे ठेकेदार और उनके कर्मचारियों ने समस्या को टाल कर उसको अब पाल लिया है।
इस सम्बन्ध में हमसे बात करते हुवे स्थानीय वार्ड 65 के पार्षद मोहम्मद सलीम ने कहा कि हमारी पूरी मेहनत पर सीवर समस्या पानी फेर रही है। जल संस्थान से एक एक छोटी छोटी समस्याओ के लिए जूझना पड़ता है। क्षेत्र में लाख विकास कार्य कर रहा हु, मगर सीवर की मुलभुत समस्या दूर नही हो पा रही है। सीवर लाइन के लिए हमारी जद्दोजेहद जारी है। जब तक सीवर की समस्याओं से क्षेत्र को निजात नही दिलवा दूंगा तब तक मैं चैन की सांस कैसे ले सकता हु। हर रोज़ ही सीवर की समस्या आती रहती है। शिकायते करने के बाद भी समस्या हल करवाने के लिए तीन चार चक्कर दौड़ लगानी पड़ती है। उसके बाद तब कही सफाई हो पाती है। हमारा इतिहास संघर्ष का है, हम संघर्ष करते रहेगे और सीवर की समस्या से क्षेत्र को निजात दिलवा कर ही चैन लेंगे।
इस सम्बन्ध में युवा समाजसेवक और पार्षद प्रतिनिधि नुरुज्ज़मा “विक्की” ने हमसे बात करते हुए कहा कि क्षेत्र की हर एक समस्याओं का समाधान करवाया जा चूका है। कही एक छोटी सी भी समस्या नही है। जिस इलाके में 25 सालो से पानी नही आता था वह पाईप लाइन डलवा कर उन घरो में पानी पहुचाया गया। जिस जगह सफाई की व्यवस्था कभी सही नही रही, वह हमने खुद रोज़ खड़े होकर साफ़ सफाई करवाया। हर एक मोर्चे पर हमने क्षेत्र का विकास किया है। इस सीवर की समस्या का भी समाधान होगा। हम लगतार इसके लिए लड़ाई लड़ रहे है। सीवर का एक एक चेंबर साफ़ करवाना है। जल्द ही हमको सफलता मिलेगी। जब तक सफलता नही मिलती हम चैन से बैठने वाले नही है।
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