शाहीन बनारसी
वाराणसी। कल शनिवार की शाम दो पक्षों में हुवे विवाद में जमकर हुवे ईंट पत्थरो की बरसात में कई लोगो के घायल होने की जानकारी हासिल अब हो रही है। कल मौके पर पहुची पुलिस ने दोनों पक्षों को सख्त तम्बी दिया था और मौके से चली गई थी। बताया जा रहा है कि जिस समय पुलिस मौके पर पहुची थी उस वक्त दुसरे पक्ष के घायल लोगो को इलाज करवाने के लिए लोग डाक्टर के यहाँ लेकर गए थे। प्रकरण में क्षेत्र के एक मौलाना की भूमिका इस पुरे विवाद में संदिग्ध रही है।
मौका कल शनिवार की शाम को मिल गया जब बड़े ने छोटे को गलती से गलती करते हुवे सलाह दे डाला कि उसकी एक दिवार के टेढा हो गई है, सीधा करवा ले। मगर पहले से खुन्नस खाए बैठे छोटका भाई ने बड़े की बात समझ नही आई और वह विवाद करने लगा। इस दरमियान बात विवाद से बढ़ते हुवे गाली गलौज और देख लेंगे, दिखा लेंगे तक होने लगी। दुन्नो पक्ष जबरदस्त पहलवानी करने को तैयार था। अस्तीने तनी हुई थी और आवाज़े आसमान को हिला रही थी। मोहल्ले के कुछ लोग बीच बचाव कर रहे थे उन बेचारे मोहल्ले वालो को का पता था कि मौलाना ने फु कर रखा था। अचानक देख लेंगे दिखा देंगे की बात होते होते ढिशुम ढिशुम स्टार्ट हुई और छोटका ने बड़का के कान के नीचे भाड़ से जड़ दिया। बड़का के कान में तो सीटी बजने लगी होगी, तभी बड़का ने भी छोटका को पाड से दे डाला। अभी लोग समझते कि छोटका के छत से अचानक ईंट पत्थर की बारिश होने लगी। इस अचानक होती बरसात की ज़द में बड़का, उसका लड़का और दो लड़की सहित मोहल्ले के तीन लोगन और आ गये, और जाओ गुरु छुडाने के लिए।
अचानक हुवे इस बारिश से मोहल्ले के लोग छोटका के मुखालिफ हो रहे थे कि इसी बीच छोटका के तरफ से किसी ने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस को आता देख मोहल्ले वाले फुर्र हो गए। फ्री का पिटा तो चुके थे लोग अब का पुलिस का डंडा भी खाना था। इधर घायलों को लेकर लोग डाक्टर के पास गए थे और मलहम पट्टी करवा रहे थे कि मौके पर पहुची पुलिस ने दोनों पक्षों को जमकर हडकाया और दुबारा कोई विवाद होने पर दोनों के खिलाफ कार्यवाही करने की तम्बी दिया और वापस चली गई। क्षेत्र में इस घटना को लेकर तरह तरह की चर्चा कल शाम से ही जारी है। लोग इस पुरे प्रकरण में मुख्य दिमागदार लोग मौलाना को बता रहे है। क्षेत्र के बहुविवादित रहे इन मौलाना को लोग “मौलाना जज्बाती” कह कर बुला लेते है।
कौन है मौलाना
मौलाना बंगाल के रहने वाले है अब वो वेस्ट बंगाल से है अथवा बंगलादेश से इसकी पुष्टि नही हो पा रही है मगर दो दशक से अधिक समय से मौलाना अपने जज्बातों से इलाके को हिला देते है। मौलाना का रसूख भी कम नही है। शायद इसी कारण मौलाना के मुखालिफ बोलने वालो को भी “समझ” जाना पड़ता है। क्योकि मौलाना के चेला काफी है। मौलाना आये तो थे अकेले और ऐसा आये कि दुबारा नही गए। यानी यही के होकर रह गए और मौलाना ने अपने जज्बातों से यही अपना परिवार बना लिया तथा शादी ब्याह और बच्चे भी यही कर डाले। मौलाना के जज्बातों के कारण इलाके में लोग इनको मौलाना जज्बाती कहते है। बहरहाल, मामले में अभी तक कोई भी पक्ष पुलिस को तहरीर नही दिया है। बड़का और मोहल्ले के कुछ लोग कुटा के शांत बैठ गए है। पुलिस को देख कर शांति और भी ज्यादा गहरी हो गई है। मौके पर शांति कायम है।
असल में जब धर्म को जज्बातों से जोड़ा जाता है तो ऐसा ही होता है। पिछले दो दशक से अधिक समय से वाराणसी में रह रहे मौलाना के समबन्ध में लोगो को सिर्फ इतना पता है कि वह बंगाल के रहने वाले है। अब ये बंगाल भारत वाला है अथवा बांग्लादेश वह इसकी जानकारी किसी को नही है। जज्बातों को मज़हब से जोड़ कर बैठे लोगो ने कभी इसकी जानकारी हासिल करने की कोशिश नही किया कि मौलाना बगलादेशी नागरिक है अथवा भारतीय नागरिक। बस जज्बातों को मज़हब से जोड़ लिया और बना दिया अपना रहनुमा। कल कोई बात होती है तो लोग मुह बिचका लेंगे। ये घटना कल की है। हमारे इस घटना को लिखने का सबब सिर्फ इतना ही है कि आप समझे आपके जज्बातों से कोई खेल न करे। अपने जज्बातों को काबू में रखे और लोगो को अपने जज्बातों से खेलने न दे।
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