तारिक़ खान
डेस्क। इस बार होने वाले विधानसभा के करीब आते आते सियासत में भूचाल भी देखने को मिल रहा है। भाजपा को एक से के बड़ा झटका मिल रहा है। वही इन सब के बीच एक और बात सामने आ रही है कि औरैया जिले की बिधूना सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक विनय शाक्य का अपहरण हो गया है। बताते चले कि इस दौरान, औरैया जिले की बिधूना सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक विनय शाक्य भी लापता हो गए। उनकी बेटी ने दावा किया है कि उनका अपहरण किया गया है। हालांकि पुलिस ने मामले में बयान जारी किया और कहा कि उनका अपहरण नहीं हुआ है।
वीडियो में विधायक की पुत्री रिया ने बताया कि उनके पिता विनय शाक्य दो वर्ष से ब्रेन ट्यूमर की बीमारी से जूझ रहे है। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं, सोचने समझने की शक्ति भी कम हो गई है। ऐसी हालात में घर वालों को बिना बताए चाचा और दादी उन्हें कहीं लेकर चले गए। रिया ने प्रदेश सरकार से उनका पता लगवाए जाने और परिवार के लोगों से मिलाए जाने की भी गुहार लगाई है। वहीं विधायक के भाई देवेश शाक्य ने बताया कि वायरल वीडियो एक राजनीति स्टंट है। विधायक विनय शाक्य उनके सगे भाई हैं और मां भी उनके साथ ही है।
विधायक पूरी तरह से स्वस्थ्य और सुरक्षित हैं। कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य उनके नेता हैं। अभी उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है पार्टी से नहीं। वह अपने नेता के साथ हैं। किस पार्टी में रहेंगे किसमें जाएंगे यह सब बैठकर तय किया जाएगा। पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे और सपा में शामिल होने की अटकलों के बीच बिधूना विधायक व उनके भाई के सपा में शामिल होने की अटकलें लग रही है। इधर विधायक की पुत्री रिया के बारे में बताया जा रहा है कि वह विधूना सीट से भाजपा से टिकट मांग रही है। परिवार में चुनाव लड़ने को लेकर दो फाड़ हैं और इसी को लेकर घमासान मचा है।
मामले में औरैया पुलिस का कहना है कि यह प्रकरण पारिवारिक विवाद से संबंधित है। एसपी औरैया द्वारा वीडियो कॉल के माध्य से विधायक विनय शाक्य बिधूना, उनके सुरक्षाकर्मी तथा उनकी माता उनके साथ शान्ति कालोनी जनपद इटावा में सकुशल हैं। अपहरण का आरोप असत्य एवं निराधार है, प्रकरण पारिवारिक विवाद से संबंधित है। विधायक विनय शाक्य के परिजन कोई तहरीर देते हैं तो कार्रवाई की जाएगी।
बिधूना सीट से विनय शाक्य दो बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 2012 में एमलएसी रहते हुए विनय ने अपने भाई देवेश शाक्य को चुनाव लड़वाया था। हलांकि देवेश चुनाव नहीं जीते। इधर उनकी पुत्री रिया अब विधायक पिता की विरासत संभालने में जुटी थी। बेटी भाजपा से ही चुनाव लड़ना चाहती है।
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