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687 दिन जेल में गुज़ारने के बाद ज़मानत पर बाहर आये अब्दुल्लाह आजम ने कहा, “10 मार्च को ज़ुल्म की सरकार का होगा खात्मा,” बड़ा सवाल, क्या रामपुर की सियासत में आयेगा बदलाव ?

प्रमोद कुमार  

लखनऊ। लगभग 23 माह यानी 687 दिन जेल में गुज़ारने के बाद सही 43 मुकदमो में मिली ज़मानत के बाद आज सांसद आज़म खान के पुत्र अब्दुल्लाह आज़म को जेल से रिहाई मिली। रामपुर अदालत से ज़मानत के कागज़ात आने के बाद आज सीतापुर जेल से अब्दुल्लाह आज़म की शाम लगभग 8:20 पर रिहाई हुई। इस दरमियान रामपुर जनपद ही नही बल्कि आसपास के जनपद से आज़म खान के समर्थक उनको लेने सीतापुर आये हुवे थे। लगभग पूरा दिन ही सीतापुर पुलिस को मशक्कत करना पड़ा। इस दरमियान कई गाडियों का चालान भी हुआ। जब सीतापुर की सीमा से अब्दुल्लाह आज़म की गाड़ी बाहर चली गई तब जाकर प्रशासन को थोडा राहत महसूस हुई।

बताते चले कि अब्दुल्ला आजम अपने पिता सांसद आजम खां के साथ कई मामलों में सीतापुर की जेल में 27 फरवरी 2020 से बंद थे। अब्दुल्ला के साथ उनकी मां तंजीन फातिमा भी जेल में बंद थी। कई महीनो पहले उनकी रिहाई हो चुकी है। मौजूदा समय में आजम खां और अब्दुल्ला बंद थे। अब्दुल्ला आजम की रिहाई की उम्मीदें उनके परिजनों को पिछले दिनों जगी थी। अब्दुल्ला पर 43 मामले दर्ज थे। बीते गुरुवार तक सीतापुर जेल प्रशासन को 15 परवाना (रिहाई आदेश) मिल चूका था। जिन मामलों में आदेश मिलते रहे, जेल प्रशासन उसमें उनकी रिहाई करता रहा। शुक्रवार को भी रामपुर कोर्ट से एक रिहाई आई थी। बाकी रिहाई आने का इंतजार जेल प्रशासन कर रहा था। रामपुर कोर्ट ने सभी 43 मामलों में अब्दुल्ला की जमानत मंजूर कर ली थी, लेकिन परवाना सीतापुर जेल प्रशासन तक नहीं पहुंच सका था। ऐसे में रिहाई रुकी हुई थी। शनिवार को सभी मामलों की रिहाई आने के बाद शाम तीन से चार बजे के बाद अब्दुल्ला के जेल से बाहर आने के कयास लगाए जा रहे थे।

इस दौरान सुरक्षा के लिहाज से एएसपी साउथ राजीव दीक्षित, एसडीएम अनिल कुमार, सीओ सिटी पीयूष सिंह, शहर कोतवाल टीपी सिंह समेत भारी पुलिस फोर्स और अर्धसैनिक बलों के जवान मुस्तैद रहे। जेल में बंद अब्दुल्ला आजम की रिहाई को लेकर सुबह से ही जेल गेट से लेकर आसपास हलचल शुरू हो गई थी। लोगों के आने-जाने का सिलसिला शुरू हो गया था। जमावड़ा बढ़ता जा रहा था, लेकिन इस जमावड़े में जिले के स्थानीय नेता कहीं नजर नहीं आए। लोग इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी करते रहें, लेकिन जानकारों की माने तो चुनाव का समय है। ऐसे में लोग मामले से खुद को दूर रखना जरूरी समझ रहे हैं। शनिवार को अब्दुल्ला के जेल से रिहा होने की सूचना मिलते ही सीतापुर जेल गेट पर पश्चिमी यूपी के कई जिलों के सपा नेताओं, कार्यकर्ताओं का आना शुरू हो गया था।

सूत्रों की माने तो कई जिलों के सपा जिलाध्यक्ष भी आए थे। रामपुर, संभल, मुरादाबाद, बदांयू, शाहजहांपुर से लेकर हरदोई के भी कुछ सपा नेताओं के आने की बात कही जा रही है। अब्दुल्ला आजम की रिहाई की खबर जैसे ही सामने आई, जिले का पुलिस प्रशासन भी अलर्ट हो गया। महोली बार्डर से लेकर शहर तक में कड़ी चेकिंग की गई। अब्दुल्ला आजम की रिहाई को लेकर जेल गेट के बाहर पहुंचे लोगों ने अपनी कारों को जहां-तहां खड़ी कर दी थी। इसको लेकर यातायात पुलिस ने कार्रवाई की। दर्जनों कारों का पुलिस ने ई-चालान किया। सबसे अधिक समस्या इस मार्ग पर रहने वाले लोगों को हुई। पुलिस पूरे दिन उन्हें रोकती-टोकती रही। आवाजाही को लेकर भी रोक रही, इससे लोग परेशान रहे।

क्या आयेगा रामपुर की सियासत में बदलाव

आज़म खान रामपुर और आसपास के जनपदों में अपनी बड़ी पैठ रखते है। आज़म खान के बेटे अब्दुल्लाह आज़म के जेल से बाहर आने के बाद रामपुर और आसपास के जनपदों में सियासी बदलाव देखने को मिल सकता है। एक तरफ जहा सपा समर्थको में उनके जेल से बाहर आने के बाद हर्ष का माहोल है और वह जोश से भर गए है। वही दूसरी तरफ अन्य दलों को भी कड़ी सियासी टक्कर मिल सकती है। भले ही अभी आज़म खान जेल में बंद है मगर सियासत में उनकी पहुच को नकारा नही जा सकता है। चुनावों के ठीक पहले आज़म खान के बेटे का जेल से बाहर आना बेशक सपा को फायदा दे सकता है।

10 मार्च को ज़ुल्म की हुकूमत का होगा खात्मा: अब्दुल्लाह आज़म

सांसद आज़म खान के बेटे अब्दुल्लाह आज़म ने जेल से बाहर आते ही दो शब्दों में अपनी बात मीडिया के सामने रखते हुवे कहा कि 10 मार्च को इस ज़ुल्म की हुकूमत का खात्मा होगा और बदलाव आयेगा। आज़म खान के रिहाई पर रामपुर से लेकर संभल तक के आये सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच मीडिया को अब्दुल्लाह आज़म ने ज्यादा वक्त नही दिया और तुरंत ही गाडी में बैठ कर रवाना हो गए। अब्दुल्लाह आज़म के रवाना हों जाने के बाद सीतापुर प्रशासन ने राहत की सांस लिया है।

 

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