दुधवा के जंगलो में स्वच्छंद विचरण कर रहे गैंडो के कुनबे की सोलर फैसिंग की जगह अब लेजर बीम की तकनीक से होगी सुरक्षा

फारुख हुसैन

पलिया कला(खीरी)। लखीमपुर खीरी जिले के इंडो-नेपाल सीमा की तराई में मौजूद दुधवा टाइगर रिजर्व खुले में विचरण कर रहे गेडों की सुरक्षा को लेकर पार्क प्रशासन ने एक नई तकनीक इस्तेमाल करने की बात कही है। दरअसल, दुधवा टाइगर रिजर्व में दुर्लभ गैडों की संख्या में इजाफा करने के लिए काफी वक्त से दुधवा के सलूकापुर वनरेंज में गैंडा पुनर्वास योजना चलाई जा रही है। वही उनको सुरक्षा के मद्देनजर सोलर फेंसिंग रखा जा रहा है, जिससे कि उनको किसी तरह से नुकसान नहीं होने पाए।

वहीं अब गैंडा परिवार को पार्क प्रशासन के द्वारा खास सुरक्षा देने के लिये लेजर बीम की तकनीक का इस्तेमाल करने की बात कही जा रही है। इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए दुधवा के फील्डडायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि दुधवा टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की सुरक्षा पर लगातार काम होता रहा है। यहां गैंडा पुनर्वास केंद्र की सुरक्षा भी अहम है। दुधवा के 25 गैंडा परिवार सदस्यों को अब तक सोलर फेंसिंग के बाड़े में रखा जाता है, जो नाकाफी साबित हुआ है। इसलिये अब इन सब के लिए सुरक्षा बदली जा रही है।

इसमें तकनीक का सहारा लिया जाएगा। 1 साल पहले दुधवा में लेजर बीम तकनीक के इस्तेमाल पर मुहर लगी थी, पर कोरोना के संक्रमण से यह प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ सका। इस प्रोजेक्ट में आईआईटी कानपुर भी दुधवा प्रशासन की मदद करेगा। जिसमें लेजर बीम तकनीक पर काम होना है। इससे जंगल की सुरक्षा मजबूत होगी। अगले कुछ महीनों में इस पर काम शुरू हो जाएगा।

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