शाहीन बनारसी
डेस्क: एक मशहूर अदाकार जिसने अपने अदाकारी से लाखो चाहने वालो को हंसाया भी और रुलाया भी। कामेडियन ऐसा कि हर एक रोता हुआ इंसान भी हंस पड़े, और गंभीर रोल में भी अदाकारी का वो कमाल की आँखे नम हो जाए। ऐसे दमदार अदाकार का नाम था ओमप्रकाश। ओमप्रकाश आज ही के दिन वर्ष 1998 में इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। जम्मू में 1919 को जन्मे ओमप्रकाश ने महज़ 12 साल की उम्र में ही क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया था। बतौर कामेडियन उनकी कॉमिक टाइमिंग ज़बरदस्त रहती थी जो बड़े बड़े कॉमेडियन को भी पीछे छोड़ देती थी।
एक दिन ओमप्रकाश पान की दुकान पर खड़े थे तभी एक विधवा महिला आई और अपनी बड़ी बेटी से शादी करने के लिए ओमप्रकाश से मिन्नतें करने लगी। ओमप्रकाश की आत्मकथा के मुताबिक महिला ने कहा कि वो विधवा हैं और उनकी चार बेटियां हैं जिनमें सबसे बड़ी 16 साल की है। वो मुझे दामाद बनाना चाहती थीं। इस बारे में मेरी मां से भी उनकी बात हो चुकी थी। उन्होंने मेरे आगे अपना पल्लू फैलाया और विनती की कि मैं उनकी बेटी से शादी कर लूं। फिर क्या था मैंने अपने प्यार को भुला दिया और उस महिला की लड़की से शादी कर ली।
ओमप्रकाश को करियर में पहला ब्रेक ‘दासी’ फिल्म के जरिये मिला, इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। ओमप्रकाश ने अपने करियर में आजाद, मिस मैरी, हावड़ा ब्रिज, दस लाख, प्यार किए जा, खानदान, साधु और शैतान, गोपी, दिल दौलत दुनिया सहित कई फिल्मों में काम किया। हर फिल्म में उनका किरदार पहले से जुदा होता था। वे डायरेक्टर भी रहे। राजकपूर और नूतन जैसे स्टार्स को उन्होंने ‘कन्हैया’ में डायरेक्ट किया था।
एक्टिंग के साथ-साथ ओम प्रकाश ने फिल्म निर्माण में भी हाथ आजमाया। ओमप्रकाश ने ही फिल्मों में गेस्ट रोल का चलन शुरू किया था। उन्होंने 60 के दशक में फिल्म संजोग, जहांआरा और गेटवे आफ इंडिया जैसी फिल्में बनाईं। आखिरी दिनों में वे बीमार रहने लगे थे और जानते थे कि नहीं बचेंगे। ओम प्रकाश को दिल का दौरा पड़ने पर उन्हें मुंबई में ही लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां वह कोमा में चले गए। 21 फरवरी, 1998 को उन्होंने आखिरी सांस ली।
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