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जेल में भले बंद हो आज़म खान, मगर रामपुर के घर घर पहुच रही है उनकी बाते, बेटे और पत्नी ने संभाल रखा है चुनाव प्रचार का ज़बरदस्त मोर्चा

राकेश भटनागर

रामपुर। नवाबो के शहर रामपुर में भाजपा ने भले ही आज़म खान को घेरने का पूरा प्रयास किया है। अदालत से अनुमति और ज़मानत नही मिलने के कारण आज़म खान भले ही जेल की सलाखों के पीछे है। मगर आज़म खान इस चुनाव में रामपुर के घर घर में दस्तक दे रहे है। हकीकत देखा जाए तो रामपुर में बादशाहत आज भी आज़म खान की कायम दिखाई दे रही है जनता को उनके द्वारा क्षेत्र के लिए किये गए कामो को याद दिलाया जा रहा है। या फिर ये कहना गलत नही होगा कि जनता उनके कामो को याद रखे हुवे है।

आज आजम खान को राजनीति में करीब 45 वर्ष पूरे हो गए हैं। उन्होंने अपना पहला चुनाव 1977 में लड़ा था। इसके बाद से आजतक वे रामपुर की जनता के बीच पूरी तरह से सक्रिय रहे है। जब सरकार में वे अहम मंत्री पदों पर थे तब तक उन्होंने रामपुर में विकास के लिए कई अहम कार्य किए। आज जेल में होने के कारण उनका परिवार और कार्यकर्ता इस चुनाव को लड़ रहे हैं। इस चुनाव में कार्यकर्ता हीं नहीं बल्कि आम लोग भी आजम खान अनुपस्थिति को महसूस कर रहे है। चुनावों के दरमियान वो सुबह से लेकर रात तक रामपुर की गलियों में प्रचार करते और लोगों से मिलते जुलते नजर आते थे। छोटी बड़ी रैलियों में लोग उन्हें सुनने आते थे।

अब जब आज़म खान जेल में बंद है तो वह खुद प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए रामपुर सीट पर प्रचार का जिम्मा उनकी पत्नी तंजीम फातिमा, बेटा और नजदीक की स्वार विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी अब्दुल्ला तथा उनकी बेटी ने संभाल रखा है। एक तरफ जहां रामपुर शहर में महिलाओं के साथ पत्नी तंजीम बैठक कर मोर्चा संभाल रही हैं। वहीं दूसरी तरफ बेटे अब्दुल्ला ने डोर टू डोर कैंपेन का जिम्मा अपने हाथों में लिया है। अब्दुल्ला सुबह 10 बजे रामपुर स्थित अपने घर पर कार्यकर्ता और लोगों से मुलाकात करते हैं। इसके बाद वो रामपुर से करीब 29 किलोमीटर दूर अपनी स्वार विधानसभा सीट पर खुद के जनसंपर्क के लिए निकल पड़ते हैं। इसके बाद रात 9 बजे बाद वे रामपुर सीट पर अपने पिता आजम खान के लिए कैंपेन करते और लोगों से वोट मांगते हैं। रात को वर्षों पुराने कार्यालय में आकर देर रात तक कार्यकर्ताओं की बैठक लेते है।

उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान की जितनी भी रैली, बैठकें और जनसंपर्क हैं वह हम सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा वाट्सएप सहित अन्य सोशल मीडिया ऐप की मदद से आजम खान द्वारा किए गए कार्यों के वीडियो लोगों तक पहुंचा रहे हैं। यही नहीं हर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगा रखी है कि आजम खान द्वारा किए कामों को एक पम्पलेट के जरिए लोगों तक पहुंचा रहे है। आजम खान के जेल में होने के कारण बेटे अब्दुल्ला के ऊपर पूरे प्रचार की जिम्मेदारी आ गई हैं। अपनी स्वार विधानसभा सीट के साथ साथ पिता की रामपुर सीट पर भी वो प्रचार कर सके इसलिए अब्दुला ने प्रचार के लिए दिन बाट लिए है। कई बार वे रामपुर में दिनभर प्रचार करते है तो रात में स्वार क्षेत्र में जाकर कार्यकर्ताओं की बैठक करते है। वहीं जब स्वार में प्रचार करते है तो रात में रामपुर पहुंचकर डोर टू डोर कैंपेन शुरू करते है। इसके बाद कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते है।

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