अजीत कुमार
प्रयागराज। वह एक शिक्षक था। लोगो को शिक्षा देता था। आखिर कौन सी ऐसी वजह थी जो दूसरो को शिक्षा देने वाले ने अपनी ज़िन्दगी ही खत्म कर लिया। मांडा के बरहाकलां गाव के 62 वर्ष के शिक्षक रामदास पटेल द्वारा ट्रेन के आगे कूद कर किये गए ख़ुदकुशी पर ये सवाल लोगो के ही नही बल्कि पुलिस के दिमाग में भी एक बार आया, मगर जब सुसाइड नोट पुलिस को बरामद हुआ तो पूरी कहानी समझ आई।
उन्होंने अपने कई रिश्तेदारों और परिचितों के तकरीबन 58 लाख रुपये अपने माध्यम से जालसाजों को दे दिए। कुछ रकम चेक और आरटीजीएस के माध्यम से और जबकि शेष नकद दी गई। लेकिन सालों बीतने के बाद भी जालसाजों ने न तो नौकरी दिलवाई और न ही रुपये वापस किए। उधर रुपये देने वाले लगातार दबाव बनाते रहे। एसओ महेश मिश्रा ने बताया कि घरवालों की तहरीर पर तीनों आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
मृतक शिक्षक ने तीन दिन पहले आरोपी पवन तिवारी को सुसाइड नोट व्हाट्सएप से भेजा था लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। इसी के बाद से वह हताश हो गए थे। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा है कि मेजा के बिसहिजन स्थित विश्वनाथ जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक की नौकरी दिलाने के लिए मेजा के सोनाई निवासी पवन तिवारी, सुनील प्रकाश चतुर्वेदी व शिवप्रकाश चतुर्वेदी ने कुल 58।10 रुपये वर्षो पूर्व लिया,लेकिन नौकरी नहीं दिला सके। रुपये वापस मांगने पर फोन उठाना भी बंद कर दिया। परिजनों का यह भी आरोप है कि उन्होंने आईजी, एसएसपी, डीएम सहित आलाधिकारियों को भी सुसाइड नोट भेजकर पूरी बात बताई थी। लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
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