बापू नंदन मिश्रा
होलिका दहन और होलिका पूजन का हिंदू धर्म में खास महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि होलिका दहन के आसपास के माहौल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही, ये भी कहा जाता है कि इस दिन सच्चे मन से होलिका पूजन करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। लेकिन कई बार पूजा की सही विधि उन्हें पता नहीं होती। होलिका दहन और पूजन की सही और शास्त्र सम्मत विधि पढ़ें यहां।
साथ में भगवान नरसिंह की भी पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा करते वक्त एक लोटा पानी, माला, रोली, चावल, सात प्रकार के अनाज, मूंग, फूल, कच्चा सूत, साबुत हल्दी, गुड़, बताशे, गुलाल होली पर बनने वाले पकवान और नारियल रखे जाते हैं। साथ ही, इस पूजा में नई फसलें भी रखी जाती हैं। कच्चे सूत को होलिका के चारों तरफ तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटा जाता है। उसके बाद सभी पूजन सामग्री होलिका दहन की अग्नि में अर्पित की जाती है। मान्यताओं के अनुसार पूजा करते हुए ये मंत्र पढ़ा जाता है-
अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः।
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।।
होलिका पूजन के बाद अर्घ्य देने की मान्यता है।
होलिका दहन पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त: 17 मार्च 2022, गुरूवार रात 9 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट के बीच माना जा रहा है। होलिका दहन की अवधि करीब एक घंटा 10 मिनट है और इसी वक्त होलिका पूजन भी लाभकारी कहा जा रहा है।
डिस्क्लेमर: दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। PNN24 न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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